Happy Holi 2021: देश के इन शहरों में नहीं मनाई जाती है होली, जानें-इसके बारे में सब कुछ
उत्तराखंड के रुदप्रयाग जिले में कई ऐसे गांव है। जहां होली नहीं मनाई जाती है। ये गांव क्वीली और कुरझन हैं। यहां 150 वर्षों से होली नहीं मनाई गई है। इस बारे में स्थानीय लोगों का कहना है कि कुल की देवी त्रिपुरा सुंदरी को शोरगुल बिल्कुल पसंद नहीं है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Happy Holi 2021: सनातन धर्म में होली पर्व का विशेष महत्व है। हर साल चैत माह में कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को होली मनाई जाती है। वहीं, फाल्गुन माह की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है। इस मौके पर लोग अपने चाहने वालों को रंग और गुलाल लगाते हैं। इसके बाद मिलकर पकवान और मिठाइयां खाते हैं। हालांकि, देश में कई ऐसे शहर भी हैं। जहां, दशकों से होली नहीं मनाई जाती है। अगर आप इससे वाकिफ नहीं है, तो आइए इसके बारे में सब कुछ जानते हैं-
रुदप्रयाग, उत्तराखंड
उत्तराखंड के रुदप्रयाग जिले में कई ऐसे गांव है। जहां होली नहीं मनाई जाती है। ये गांव क्वीली और कुरझन हैं। यहां, 150 वर्षों से होली नहीं मनाई गई है। इस बारे में स्थानीय लोगों का कहना है कि कुल की देवी त्रिपुरा सुंदरी को शोरगुल बिल्कुल पसंद नहीं है। इसके लिए उनके गांव में होली नहीं मनाई जाती है। रुद्रप्रयाग अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों के किनारे स्थित है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान शंकर दानव भष्मासुर से खुद को बचाने के लिए यहीं गुफा में छुपे थे। रुद्रप्रयाग में मां काली की मंदिर अवस्थित है, जिसे धरी देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है।
रामेश्वर, गुजरात
यह गांव गुजरात के बनासकांठा जिले में स्थित है। इस गांव में पिछले 200 से अधिक वर्षों से होली नहीं मनाई गई है। ऐसी मान्यता है कि मर्यादा पुरषोत्तम भगवान राम अपने जीवनकाल में एक बार रामेश्वर गांव आए थे। उस समय से गांव को रामेश्वर कहा जाता है।
दुर्गापुर, झारखंड
बोकारो जिले के दुर्गापुर गांव में लोग होली नहीं मनाते हैं। पिछली बार होली सौ साल पहले मनाई गई थी। ऐसा कहा जाता है कि तत्कालीन समय में होली के दिन स्थानीय राजा के बेटे की मौत हो गई थी। कुछ समय बाद राजा की मौत भी होली के दिन हुई थी। इस वजह से दुर्गापुर में होली नहीं मनाई जाती है। दुर्गापुर गांव के लोग होली खेलने दूसरे गांव या शहर जाते हैं।