यूपी-बिहार के असली जायके को चखना है तो गुरुग्राम की ये जगह है मशहूर
पांचफोरन से तैयार सब्जी की खुशबू, रोहू मछली और लिट्टी-चोखा का लाजवाब स्वाद लेना चाहते हैं तो गुरूग्राम के सेक्टर 29 स्थित मगध अवध जरूर आएं।
दीवारों पर बनारस के घाट और नालंदा की धरोहर से रूबरू कराती चित्रकारी, शीशे और नक्काशीदार, चमक-दमक वाली टेबल-कुर्सियों की जगह साधारण कुर्सी-मेज आपको पूर्वांचल, बिहार की किसी दुकान में बैठे होने का एहसास कराता है। गुरुग्राम का सेक्टर 29 मगध अवध रेस्टोरेंट जहां पूरी तरह से लोकल डिशेज चखने को मिलती है। यहां इन देसी जायकों को फाइन डाइन कैटेगरी में शामिल कर शहरी और विदेशियों तक पहुंचाया जाता है।
बिहारी व्यंजनों की बात छिड़ती है तो शुरुआत लिट्टी-चोखा से ही होती है। लोग बड़े चाव से इसका स्वाद लेते हैं। मगध अवध रेस्टोरेंट ने इसके असली स्वाद के साथ इसे फाइन डाइन में शामिल किया है। यहां इस डिश की बिल्कुल उसी तरह तैयार किया जाता है जहां की यह खासियत है। लिट्टी में भरने के लिए सत्तू और मसाले बिहार से ही मंगाए जाते हैं जिससे उसका देसी फ्लेवर बरकरार रहे। लिट्टी के अलावा पांचफोरन की सब्जी, ताश मटन, भुना मांस, लखनऊ का गोश्त नवाबी, ओल या जिमीकंद की सब्जी, रोहू मछली, मछली चोखा आदि डिशेज के शहरी ही नहीं, विदेशी भी कायल हैं। जल्द ही यहां चॉकलेट लिट्टी भी परोसे जाने की तैयारी है।
दाल पराठा है खास
मगध अवध रेस्टोरेंट में सत्तू और दाल का पराठा बहुत ही खास होता है। बिहार की मिट्टी में उपजी दालों और खड़े मसालों के मिक्सचर से तैयार किए गए इस पराठे को कोयले की आंच पर ही सेका जाता है। इन पराठों के अलावा यहां के आलू और तीसी के पराठे का स्वाद भी आप भूल नहीं पाएंगे। इन पराठों के साथ तीसी और सरसों की चटनी परोसी जाती है, जिससे पराठे का स्वाद दोगुना हो जाता है।
लाजवाब है देसी ड्रिंक्स
यहां की ड्रिंक्स भी खासियत लिए हुए हैं। सत्तू ड्रिंक को जीरा, काला नमक, प्याज, हरा धनिया और अन्य खड़े मसालों से बनाया जाता है। इसके अलावा यहां अजवाइन वाला मट्ठा भी लोग काफी पसंद करते हैं। यह पेट के लिए काफी फायदेमंद है। नालंदा का मशहूर गुड वाला दूध, जिसे केसर के साथ पकाया जाता है, खांटी दूध की चाय, जिसे बनाने के लिए दूध को करीब आठ घंटे तंदूर में उबाला जाता है लोगों को बेहद पसंद है।
मीठे का पारंपरिक स्वाद
अगर आप मीठा खाने के शौकीन हैं तो यहां आपको मिठाई का पारंपरिक स्वरूप और स्वाद दोनों मिलेगा। ठेकुआ, गुड़ और घी के पेस्ट से तैयार रसिया, चंद्रकला और बनारसी पान मगध और अवध के अंदाज में पेश किया जात है। स्वाद और सेहत दोनों ही मामलों में यहां की मिठाइयों का जवाब नहीं।
इंटीरियर में भी लोकल टच
यहां के इंटीरियर में भी यूपी-बिहार के कई जगहों की झलक देखने को मिलती है। बनारस के घाट से लेकर नालंदा तक की पेटिंग्स, दीवारों पर लिखे स्लोगन में भी बिहार और यूपी भाषा की कहावतों की झलक मिलती है।