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'मोछू का छोला' और 'बुढ़ऊ चाचा की बर्फी' है गोरखपुर के लुभावने खानपान के ठीहे

गोरखपुर, संस्कृति और इतिहास में जितनी विभिन्नता रखता है उतना ही खानपान में भी। यहां आकर आप मुगलई खाने का भी आनंद ले सकते हैं और तीखे-चटपटे समोसे का भी। जानेंगे यहां की मशहूर डिशेज़...

By Priyanka SinghEdited By: Published: Mon, 21 Jan 2019 12:01 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jan 2019 12:01 PM (IST)
'मोछू का छोला' और 'बुढ़ऊ चाचा की बर्फी' है गोरखपुर के लुभावने खानपान के ठीहे
'मोछू का छोला' और 'बुढ़ऊ चाचा की बर्फी' है गोरखपुर के लुभावने खानपान के ठीहे

अगर आप भारत में ट्रैवल कर रहे हैं तो हर एक शहर अपनी अलग संस्कृति और इतिहास समेटे हुए है जिसे जानना बहुत ही रोचक होता है। जहां एक-तरफ घूमने-फिरने के शौकीन हर एक जगह को अपनी आंखों में बसा लेने की कोशिश करते हैं वहीं दूसरी तरफ उन लोगों की भी वाहवाही होनी चाहिए जो घूमने के साथ ही उस जगह के मशहूर खानपान के बारे में जानने का शौक रखते हैं।

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वैसे एक बात तो है उत्तर प्रदेश जाकर अगर यहां के तीखे-चटपटे और मसालेदार खानपान का जायका नहीं लिया तो सफर का पूरा मज़ा नहीं लिया। भले ही आप डाइटिंग पर हैं या स्पाइसी फूड नहीं खाकर हेल्थ को मेनटेन किए हुए हैं लेकिन अगर आप यूपी के गोरखपुर शहर में हैं तो कुछ दिनों के लिए इसे दरकिनार कर शहर और वहां की दूर-दूर तक पसंदीदा चीज़ों का लुत्फ जरूर उठाएं।

 

पूरबिया संस्कृति और साहित्यिक मजबूती ही गोरखपुर की पहचान नहीं है, बल्कि आप यहां के स्वाद के भी दीवाने हो जाएंगे। घोष कंपनी चौक पर 100 बरस पहले से स्थापित 'कन्हई' और घंटाघर में 'भगेलू की जलेबी की दुकान' पर आज भी लंबी कतार लगती है तो 'संतू' और 'पोले' का समोसा दशकों से लोगों की पसंद बना हुआ है। बालापार का 'मोछू का छोला' और 'बरगदवां की बुढ़ऊ चाचा की बर्फी' अपनी गुणवत्ता की वजह से गोरखपुर की पहचान बने हुए हैं। 'भगवती की चाट', 'बनारसी का कचालू' और 'बंसी की कचौड़ी' का कोई जोड़ नहीं है। यही वजह है दशकों पहले खुली ये दुकानें आज ब्रांड बन चुकी हैं। अग्रवाल की आइसक्रीम, गणेश व चौधरी का डोसा, कुमार की कुल्फी और शेरे पंजाब के लजीज मांसाहारी व्यंजन की डिमांड बखूबी बरकरार है। हालांकि आज की तिथि में गोरखपुर में खानपान के हर उस आधुनिक ब्रांड की मौजूदगी है, जिसके लिए कुछ समय पहले तक मेट्रो शहर की ओर रुख करना पड़ता था।

इन जायकों का नहीं कोई सानी

काकोरी कबाब

मुगलई खापान की एक और वैराइटी है काकोरी कबाब, ये भी इस शहर की दूसरी खासियत है। जिसका स्वाद लेने दूर-दूर से लोगों की भीड़ जुटती है। मीट को कीमा बनाकर इसे हल्की आंच पर मसालों के साथ पकाया जाता है। सोंधी खुशबू वाले इस मीट को स्वाद कभी न भुलाने वाला होता है।

लजीज़ स्ट्रीट फूड्स

गोरखपुर में आपको खानेपीने की इतने ठिकाने दिखेंगे जो आपको अलग-अलग वैराइटी परोसते हैं। मटर चाट से लेकर कांजी बड़ा, गोलगप्पे, राज कचौड़ी, भेल-पुरी आदि यहां के लजीज़ खानपान का हिस्सा है।

गोरखपुर पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों में से एक है। नेपाल बॉर्डर से नज़दीक होने की वजह से यहां टूरिस्टों का आना-जाना भी लगा रहता है इसलिए ही यहां देसी-विदेशी हर तरह का खानपान देखने और चखने को मिलता है। 


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