कतरनी चावल तो गांवों में मिलने वाली झाल-मूढ़ी का स्वाद बनाता है इस जगह को खास
भागलपुर घूमने आएं तो यहां के मशहूर बालूशाही और मुरही मसाले का स्वाद चखना बिल्कुल भी न भूलें। जिसे खाने के लिए लोगों की भारी भीड़ लगती है।
रामलीला, दुर्गापूजा और शरतचंद ने तो भागलपुर को मशहूर बनाया ही है लेकिन एक और चीज़ है जिसकी खासियत दूर दराज के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है वो है यहां का जायका। तीखे से लेकर मीठे, चटपटे हर एक जायके को चखने के बाद इसका स्वाद कभी नहीं भूलेंगे ये बात पक्की है। यहां की ज्यादातर डिशों को बहुत ही आम चीज़ों से बनाया जाता है लेकिन इसका स्वाद होता है बहुत ही खास।
भागलपुर की गलियों में कई सारे स्ट्रीट फूड्स को चखा जा सकता है। भुजिया, कचौड़ी, गोलगप्पे, लिट्टी-चोखा जैसी कई सारी चीज़ें। लेकिन यहां आकर बालूशाही और मुरही मसाले का स्वाद नहीं लिया तो बहुत कुछ मिस किया समझो।
बालूशाही और मुरही-मसाला होता है खास
प्राचीन अंग प्रदेश की राजधानी रहे भागलपुर का खानपान भी शानदार है। आम के मौसम में आएं तो जर्दालु आम का आनंद जरूर लें। जर्दालु का जलवा वर्षों से कायम है। यह इतना मीठा होता है कि खाने के दौरान आपको शहद की मिठास याद आने लग जाएगी। आम के अलावा यहां गंगा के उत्तरी भाग में केला, लीची, मक्का और रबी फसलों की बढि़या खेती होती है। यदि आप चावल और चावल से बने व्यंजनों के मुरीद हैं तो यहां के खास कतरनी चावल की खुशबू आपका मन मोह लेगी।
यह शहर यूं ही बनते-बिगड़ते अपनी रौ में रहता है और इसके साथ-साथ रंग जमाती हैं यहां के गली-मोहल्लों की वषरें पुरानी दुकानें, जहां आप शौक से नाश्ता भी ऑर्डर कर सकते हैं। इन नाश्तों के आप मुरीद हो जाएंगे। ग्रामीण क्षेत्र हों या शहरी क्षेत्रों के मोहल्ले यहां आप मुरही-मसाला, जिसे बंगाल में झाल-मूढ़ी कहते हैं, काफी प्रचलित है। वैसे, मुरही-मसाला झाल-मूढ़ी से भी अधिक मसालेदार होता है इसका जायका। यहां आप विभिन्न तरह की नमकीन खरीद सकते हैं। यदि कुछ खास स्वाद लेना चाहते हैं तो नाथनगर की बालूशाही जरूर चखें। कजरैली का छेना भी बड़ा प्रसिद्ध है। गुरुद्वारा रोड पर जाएं तो वहां के चाट-पकौड़े का स्वाद लेना न भूलें।