डेस्टिनेशन : भारत ही नहीं दुनिया के इन देशों में भी है भगवान शिव के भव्य मंदिर
कटासराज मंदिर पाकिस्तान के चकवाल गांव से लगभग 40 किमी की दूरी पर कटस में एक पहाड़ी पर है.
By Pratima JaiswalEdited By: Published: Mon, 12 Feb 2018 05:54 PM (IST)Updated: Tue, 13 Feb 2018 11:58 AM (IST)
महाशिवरात्रि के दिन चारों तरफ शिवभक्तों की भीड़ नजर आती है. इस दिन शिव मंदिरों में विशेष आयोजन किए जाते हैं, अगर आपका मन भी किसी धार्मिक स्थल पर जाने का कर रहा है, तो आप शिवरात्रि पर भोलेनाथ के दर्शन कर सकते हैं. हमारे देश में शिव के अनगिनत मंदिर हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि विदेशों में भी भगवान शिव के आलीशान मंदिर है. आइए, जानते हैं उन मंदिरों के बारे में.
शिवा हिन्दू मंदिर-जुईदोस्त, एम्स्टर्डम
यह मंदिर लगभग 4,000 वर्ग मीटर को क्षेत्र में फैला हुआ है. इस मंदिर के दरवाजे भक्तों के लिए जून 2011 को खोले गए थे. इस मंदिर में भगवान शिव के साथ-साथ भगवान गणेश, देवी दुर्गा, भगवान हनुमान की भी पूजा की जाती है. यहां पर भगवान शिव पंचमुखी शिवलिंग के रूप में है.
अरुल्मिगु श्रीराजा कलिअम्मन मंदिर- जोहोर बरु, मलेशिया
इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1922 के आस-पास किया गया था। यह मंदिर जोहोर बरु के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है. जिस भूमि पर यह मंदिर बना हुआ है, वह भूमि जोहोर बरु के सुल्तान द्वारा भेंट के रूप में भारतीयों को प्रदान की गई थी. कुछ समय पहले तक यह मंदिर बहुत ही छोटा था, लेकिन आज यह एक भव्य मंदिर बन चुका है.
मुन्नेस्वरम मंदिर- मुन्नेस्वरम, श्रीलंका
इस मंदिर के इतिहास को रामायण काल से जोड़ा जाता है. मान्यताओं के अनुसार, रावण का वध करने के बाद भगवान राम ने इसी जगह पर भगवान शिव की आराधना की थी. इस मंदिर परिसर में पांच मंदिर हैं, जिनमें से सबसे बड़ा और सुंदर मंदिर भगवान शिव का ही है.
कटासराज मंदिर- चकवाल, पाकिस्तान
कटासराज मंदिर पाकिस्तान के चकवाल गांव से लगभग 40 किमी की दूरी पर कटस में एक पहाड़ी पर है. कहा जाता है कि यह मंदिर महाभारत काल (त्रेतायुग) में भी था. इस मंदिर से जुड़ी पांडवों की कई कथाएं प्रसिद्ध हैं. मान्यताओं के अनुसार, कटासराज मंदिर का कटाक्ष कुंड भगवान शिव के आंसुओं से बना है.
शिवा-विष्णु मंदिर- मेलबोर्न, ऑस्ट्रेलिया
भगवान शिव और विष्णु को समर्पित इस मंदिर का निर्माण लगभग 1987 के आस-पास किया गया था. मंदिर के उद्घाटन कांचीपुरम और श्रीलंका से दस पुजारियों ने पूजा करके किया था. इस मंदिर की वास्तुकला हिन्दू और ऑस्ट्रेलियाई परंपराओं का अच्छा उदाहरण है.
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें