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यहां दाल-बाटी का तीखा-चटपटा तो मावा कचौड़ी का मीठा स्वाद हर किसी को बना देता है अपना कायल

राजस्थान जितना अपने रंग-बिरंगी संस्कृति के लिए जाना जाता है उतना ही अपने अलग खानपान के लिए भी। तो राजस्थान आकर इन जायकों का स्वाद लेना बिल्कुल भी न भूलें। जानेंगे इनके बारे में।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Mon, 01 Oct 2018 11:03 AM (IST)Updated: Mon, 01 Oct 2018 11:03 AM (IST)
यहां दाल-बाटी का तीखा-चटपटा तो मावा कचौड़ी का मीठा स्वाद हर किसी को बना देता है अपना कायल
यहां दाल-बाटी का तीखा-चटपटा तो मावा कचौड़ी का मीठा स्वाद हर किसी को बना देता है अपना कायल

राजपूत खाने-पीने के बहुत शौकिन हुआ करते थे बल्कि यों कहें कि आज भी हैं। और राजस्थान तो राजपूतों का गढ़ माना जाता है। वेज से लेकर नॉन वेज तक में यहां खाने की इतनी वैराइटी मौजूद है जिसका आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते। यहां के खान-पान में घी, तेल मसालों का भरपूर इस्तेमाल उसके जायके को बढ़ाने के लिए किया जाता है। वहीं बाजरे, दाल और राब स्वाद के साथ-साथ सेहत के लिए भी बहुत ही फायदेमंद होते हैं। मतलब राजस्थान के गलियारों में सुबह होते ही इन जायकों को चखने वालों की भीड़ लगने लगती है। सबसे अनोखी बात जो देखने को मिलती है वो है यह कि इतना तीखा और मसालेदार होने के बावजूद भी विदेशी यहां के खान-पान के दीवाने हैं।

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दाल-बाटी चूरमा

ये राजस्थान की सबसे मशहूर डिश है जिसका स्वाद आपको इससे बेहतरीन कहीं चखने को नहीं मिलेगा। अलग-अलग तरह के तीन आइटम्स एक साथ परोसे जाते हैं। इसमें मासलेदार दाल, डीप फ्राई बाटी और मीठा चूरमा होता है। आटे से बनी हुई बाटी को पकाने के बाद घी में डुबोया जाता है जो इसके जायके को बढ़ाने का काम करता है। चना, तुवर, मूंग, उड़द से बनी हुई दाल को पंचमेल दाल कहते हैं जिसे बाटी के साथ खाया जाता है।

गट्टे की सब्जी

आसानी से पचने वाली ये डिश भी राजस्थानी की मशहूर डिश है। गट्टे बेसन के छोटे-छोटे गोले होते हैं जिन्हें फ्राई करके मसालेदार करी में डाला जाता है। इसे रोटी और चावल किसी के भी साथ सर्व किया जा सकता है।

लाल मास

ये नॉन वेज में बहुत ही पॉप्युलर डिश है। लाल रंग के लिए लाल मिर्च का भरपूर इस्तेमाल किया जाता है। इसे बहुत सारे टमाटर, मिर्च और मसालों के साथ पकाया जाता है। तो इसे जरूर ट्राय करें अगर आप नॉन वेजिटेरयन हैं तो।

मावा कचौड़ी

कचौड़ी और वो भी मीठी...जी हां, राजस्थान में आलू, दाल और प्याज के अलावा एक और खास तरह की कचौड़ी मिलती है जिसे एक बार खाने के बाद आपका दिल बार-बार खाने को करेगा। वो है मावा कचौड़ी। जो किसी खास उत्सव या त्यौहारों पर नहीं बल्कि कभी भी चखा जा सकता है। राजस्थान के हर गली में, खाने-पीने की दुकान में आप इस कचौड़ी का स्वाद ले सकते हैं।

मिर्च वड़ा

ये स्नैक्स की वैराइटी है। जिसे यहां के लोग बड़े चाव से खाते हैं। बड़ी-बड़ी हरी मिर्च के अंदर आलू की भरावन होता है। जिसे डीप फ्राई किया जाता है। सुबह से लेकर शाम तक किसी भी वक्त आप इसे चाय के साथ एन्जॉय कर सकते हैं।

प्याज की कचौड़ी

इसे लोग सुबह के नाश्ते में खाना पसंद करते हैं। प्याज की कचौड़ी और आलू की सब्जी का स्वाद आपको यहां की ज्यादातर गलियों में चखने को मिल जाएगा।

बाजरे की राब

हेल्दी और टेस्टी डिशेज़ में से एक है राब। सर्दी-जुकाम भगाने और कमजोरी दूर करने में राब बेहतरीन है। बाजरे, घी, अदरक, गुड़ से तैयार राब आयरन और मैग्नीशियम से भरपूर होती है।

बालूशाही

दिखने में डोनट जैसी नज़र आने वाले बालूशाही का स्वाद तो आपको नार्थ इंडिया में कई सारी जगहों पर चखने को मिल जाएगा लेकिन जो बात राजस्थान के बालूशाही में है वो शायद कहीं और न मिले। चाशनी में डूबे हुए बालूशाही खाने के साथ-साथ पैक करा कर अपने साथ ले जाना न भूलें।

केर सांगरी

केर जंगली बेर होती है जिसका स्वाद खट्ठा-मीठा होता है और सांगरी लंबी बीन जो जैसलमेर और बाड़मेर में पाई जाती है। सांगरी की पैदावार के लिए यहां की जलवायु अनुकूल होती है। तेल और मसालों के साथ बनाई जाने वाली इस डिश को बाजरे की रोटी और छाछ के साथ परोसा जाता है।


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