जयपुर बारिश में डूबने से बची मिस्र की ममी, पहली बार शोकेस से आई बाहर
ब्रिटिश हुकूमत के समय सन 1883 ई. में सवाई माधो सिंह के इंडस्ट्रीयल आर्ट इकोनॉमिक एंड एजुकेशनल म्यूज़ियम एग्ज़िबिशन में कायरो से ममी लाई गई थी।
दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। उत्तर भारत समेत देश के कई हिस्सों में पिछले एक सप्ताह से मूसलाधार बारिश हो रही है। दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में पिछले दो दिनों से रुक-रुक कर तेज़ बारिश हो रही है, जिससे आम जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। जबकि जयपुर में 14 अगस्त को 132 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है। ऐसी बारिश जयपुर में लंबे समय बाद हुई है। इस दौरान सड़कों पर बाढ़ जैसे हालात थे। नदी-नाले उफान पर थे।
इस बारिश से अलबर्ट हॉल संग्रहालय में भी पानी भर गया। इससे संग्राहलय में रखी सभी फाइलें और किताबें भीग गई। जबकि संग्राहलय में रखी तकरीबन ढाई हजार साल पुरानी ममी को बड़ी मुश्किल से सुरक्षित बचाया जा सका। खबरों की मानें तो पहले ममी को ग्राउंड फ्लोर में रखा गया था, लेकिन 2017 से ममी बेसमेंट में है।
शुक्रवार को जब बारिश का पानी बेसमेंट में घुसा तो ममी के शो केस की सतह तक पहुंच गया। जब स्थिति प्रतिकूल हो गई, तो संग्रहालय प्रशासन ने शो केस के शीशे को तोड़कर ममी को सुरक्षित बचा लिया। फ़िलहाल ममी सुरक्षित हैं और उनके संपूर्ण संरक्षण की तैयारी चल रही है।
गौरतलब है कि ब्रिटिश हुकूमत के समय सन 1883 ई. में सवाई माधो सिंह के इंडस्ट्रीयल आर्ट इकोनॉमिक एंड एजुकेशनल म्यूज़ियम एग्ज़िबिशन में कायरो से ममी लाई गई थी। ममी 322 से 30 ईस्वी पूर्व की हैं और उनका नाम तूतू है जो कि मिस्र के पानोपॉलिस शहर में पाई गई थी। ममी की आवरण पर वह पवित्र भृंग है, जो पुनर्जन्म का संकेत है। जबकि ममी मिस्र की सांस्कृतिक परिधान में सजी हैं।
ऐसा माना जाता है कि मिस्र की सभ्यता सबसे पुरानी सभ्यता में से एक है। इस सभ्यता में लोगों का पुनर्जन्म में बड़ी आस्था रही है। उनका मानना था कि अगर शरीर को सुरक्षित रखा जाए, तो वह जल्दी शरीर पाता है। इसके लिए ममी तैयार की जाती थी। तूतू ममी भी उन्हीं में से एक हैं।