Dussehra 2019: दशहरे का शाही अंदाज देखना हो, तो रुख करें मैसूर का
मैसूर का दशहरा अपने शाही अंदाज के लिए मशहूर है। मैसूर महल को इस दौरान तकरीबन 1 लाख बल्ब से सजाया जाता है। जो शाम 7 बजे से रात 10 बजे तक लगातार जलती रहती हैं।
त्योहारों के इतने सारे रंग-ढंग की वजह से ही भारत फेस्टिवल टूरिज्म के लिए सबसे बेस्ट है, क्योंकि इनके जरिए है बाहर से आए सैलानी देश की रंग-बिरंगी विविधता की जीवंत झलक देख पाते हैं। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था के साथ-साथ टूरिज्म इंडस्ट्री को भी बढ़ावा मिलता है। दशहरे की रौनक देखनी हो तो वक्त निकालकर मैसूर आएं। जहां पूरा शहर अलग ही रंग में नजर आता है। आइए जानते हैं यहां दशहरे से जुड़ी रोचक बातों के बारे में...
मैसूर के ऐश्र्वर्य की झलक
साफ-सफाई, शानदार मैसूर महल और मैसूर पाक के अलावा कुछ और भी है जो इस जगह को खास बनाती है वो है यहां मनाया जाने वाला शाही दशहरा। ब्रिटिश ऑर्किटेक्ट इरविन की ने इस खूबसूरत महल को बनाया था। इंडो-अरेबिक शैली में बने इस भव्य मैसूर महल की सुंदरता दशहरे के दौरान अपने पूरे शबाब पर होती है। इसे सजाने के लिए तकरीबन 1 लाख बल्ब का इस्तेमाल किया जाता है। जो शाम 7 बजे से रात 10 बजे तक लगातार जलती रहती हैं।
दशहरे की शुरूआत
हरिहर और बुक्का नामक दो भाइयों ने 14वीं शताब्दी में यहां नवरात्रि मनाया था। पूरे छह शताब्दी बाद वाडियार राजवंश के शासक कृष्णराज वाडियार ने इस पर्व को दशहरे का नाम दिया। उस समय दशहरे के साथ कई तरह के कार्यक्रमों जैसे संगीत, नृत्य और जुलूस का भी आयोजन होता था।
जम्बू सवारी होती है खास
मैसूर में दसवें दिन मनाए जाने वाले उत्सव को जम्बू सवारी के नाम से जाना जाता है जिसमें बलराम नामक हाथी मुख्य होता है और उसके साथ 11 अन्य हाथी। इस दिन बहुत ही भव्य जुलूस निकाला जाता है जिसमें खास सजावट वाले हाथी भी शामिल होते हैं। बलराम के हौदे पर मां चामुंडेश्वरी देवी को विराजमान किया जाता है और पूरा मैसूर भ्रमण करती हैं। मैसूर महल के ठीक सामने लगने वाली प्रदर्शनी भी बहुत खास होती है। जिसमें कपड़ों से लेकर सजावट हर तरह की खरीददारी की जा सकती है।