मथुरा में घूमने जाएं तो चखना न भूलें यहां के जायके
अगर आप मीठा खाने के शौकीन हैं, तो रसमलाई के अलग-अलग फ्लेवर का मजा मथुरा में ले सकते हैं.
मथुरा में घूमने जाएं तो चखना न भूलें यहां के जायकेट्रिप का मजा और भी दुगुना हो जाता है. जब आप खाने-पीने के शौकीन होते हैं. सोचिए, आप घूमते-घूमते उस जगह की स्पेशल डिश भी चखकर एक नए तरह का एक्सपीरियंस ले सकते हैं. आज हम आपको मथुरा के खास जायकों के बारे में बता रहे हैं, अगर आप कभी मथुरा जाएं, तो यहां के जायकों को चखना न भूलें. इन जायकों का स्वाद आपनी ट्रिप को और भी मजेदार बना देगा.
लाल पेड़ा
आप चाहे मथुरा कभी न गए हो, लेकिन आपने मथुरा के पेड़ों के बारे कभी न कभी जरूर सुना होगा. मथुरा के पेड़े पूरे देश में मशहूर है. आप खाने के बाद पेड़े का मजा ले सकते हैं.
डुबकी वाले आलू
आलू को मसालेदार ग्रेवी में डुबोकर चटनी और दही के साथ परोसा जाता है. ग्रेवी काली मिर्च, मिर्च, अदरक, अमचूर, प्याज और मौसमी सब्जियों को मिलाकर बनाई जाती है.
घेवर
वैसे तो घेवर एक राजस्थानी डिश है, लेकिन आप मथुरा में घेवर की कई वैराइटी चख सकते हैं. आप अगर घरवालों के लिए कुछ स्पेशल ले जाना चाहते हैं, तो घेवर एक अच्छा ऑप्शन साबित हो सकता है.
ठंडाई
ठंडाई शिवरात्रि और होली पर खासतौर पर पी जाती है लेकिन अगर आपका मन बिना तीज-त्यौहार के ठंडाई पीने का कर रहा है, तो आप मथुरा की स्पेशल ठंडाई का मजा चख सकते हैं.
कचौड़ी-जलेबी
मीठे और तीखे का मजा एक साथ. देश के कई इलाकों में जलेबी को दूध और दही के साथ खाने का रिवाज है लेकिन मथुरा में जलेबी को कचौड़ी के साथ खाया जाता है.
रसमलाई
अगर आप मीठा खाने के शौकीन हैं, तो रसमलाई के अलग-अलग फ्लेवर का मजा मथुरा में ले सकते हैं.
कैसे पहुंचे
मथुरा सभी महानगरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है. आप मथुरा रेलवे स्टेशन बस या ट्रेन से पहुंच सकते हैं.
कब जाएं
आप जनवरी से अप्रैल के बीच मथुरा घूम सकते हैं. अक्टूबर से नवम्बर का महीना भी यहां घूमने के लिए ठीक है.