चारों धामों में सबसे खास है बद्रीनाथ धाम की यात्रा, श्रद्धालु अब घर बैठे भी कर पाएंगे पूजा-अर्चना
धर्मग्रंथों में कहा गया है कि स्वर्ग और धरती पर मौजूद तीर्थों में बदरीनाथ जैसा तीर्थ न कोई था न है और न होगा ही। कुछ ऐसी है यहां की महिमा। जानेंगे इसकी खासियत।
नर-नारायण पर्वत के मध्य में विराजमान बदरीशपुरी को भगवान विष्णु का धाम माना गया है। धर्मग्रंथों में उल्लेख है कि 'बहुनि शंति तीर्थानी दिव्य भूमि रसातले, बद्री सदृश्य तीर्थं न भूतो न भविष्यति:' अर्थात् स्वर्ग और धरती पर असंख्य तीर्थ हैं, लेकिन बदरीनाथ सरीखा तीर्थ न कोई था, न है और न होगा ही। गंगाजी ने जब स्वर्ग से धरती के लिए प्रस्थान किया तो उसका वेग इतना तेज़ था कि संपूर्ण मानवता खतरे में पड़ जाती। इसलिए गंगाजी बारह पवित्र धाराओं में बंट गई। इन्हीं में एक है अलकनंदा, जिसके तट पर बदरीनाथ धाम स्थित है। समुद्रतल से 3133 मीटर (10276 फीट) की ऊंचाई पर चमोली जिले में स्थित इस मंदिर का निर्माण आठवीं सदी में आद्य गुरु शंकराचार्य ने करवाया था।
बदरीनाथ यात्रा मार्ग: बदरीनाथ धाम की यात्रा ऋषिकेश से शुरू होती है। यात्री को इस मार्ग पर सर्वप्रथम पंच प्रयागों में श्रेष्ठ देवप्रयाग और यहां स्थित पौराणिक एवं ऐतिहासिक रघुनाथ मंदिर के दर्शन होते हैं। यहां से आगे यात्री श्रीनगर में कमलेश्र्वर महादेव, कलियासौड़ में सिद्धपीठ धारी देवी, रुद्रप्रयाग में अलकनंदा व मंदाकिनी नदी के संगम, कर्णप्रयाग में अलकनंदा व पिंडर नदी के संगम, नंदप्रयाग में अलकनंदा व नंदाकिनी नदी के संगम, जोशीमठ में भगवान नृसिंह बदरी, शंकराचार्य व त्रिकुटाचार्य की गुफा, विष्णुप्रयाग में अलकनंदा व धौली गंगा के संगम और पांडुकेश्र्वर में योग-ध्यान बदरी व कुबेरजी के दर्शन कर सकते हैं। बदरीनाथ धाम से तीन किमी. आगे देश का अंतिम गांव माणा पड़ता है। इसके आसपास यात्री व्यास गुफा, गणेश गुफा, सरस्वती मंदिर, भीम पुल, वसुधारा आदि के दर्शन कर सकते हैं।
ये जगहें भी हैं दर्शनीय
समय की पर्याप्त उपलब्धता होने पर आप आदि बदरी (कर्णप्रयाग), भविष्य बदरी (सुभाई गांव जोशीमठ), ध्यान बदरी (उर्गम घाटी), वृद्ध बदरी (अणीमठ-जोशीमठ), मध्यमेश्र्वर (रुद्रप्रयाग), तुंगनाथ (रुद्रप्रयाग), रुद्रनाथ (चमोली), कल्पेश्र्वर (चमोली), पंचगद्दी स्थल ओंकारेश्र्वर मंदिर (ऊखीमठ) जैसे पौराणिक तीथरें के दर्शन भी कर सकते हैं। हालांकि, इनमें से ज्यादातर तीर्थ उच्च हिमालयी क्षेत्र में होने के कारण अति दुर्गम हैं।
घर बैठे ऑनलाइन अभिषेक-पूजा
इस बार श्रद्धालु घर बैठे भगवान बदरी विशाल व बाबा केदार का महाभिषेक कर सकते हैं। साथ ही देश-दुनिया के किसी भी कोने से भगवान को दान व चढ़ावा भी भेज सकते हैं। इसके लिए श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने ऑनलाइन व्यवस्था की है। इस संबंध में समिति की बेवसाइट www.badrikedar.org पर संपूर्ण जानकारी उपलब्ध है।
ऐसे पहुंचें चारधाम
चारधाम दर्शनों को आने वाले यात्री हवाई जहाज से सीधे जौलीग्रांट एयरपोर्ट अथवा रेल से सीधे ऋषिकेश पहुंच सकते हैं। ऋषिकेश से संयुक्त रोटेशन यात्रा व्यवस्था समिति की देखरेख में यात्रा का संचालन होता है। समिति में नौ परिवहन कंपनियां शामिल हैं, जिनके पास 1549 बसों का बेड़ा है।
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