विनय वर्मा। प्रकृति प्रेमी हैं तो पर्यटन के लिए मनपसंद स्थान ढूंढ ही लेंगे, लेकिन मध्यप्रदेश के बैतूल जिले की बात ही अलग है। सघन वनों के रूप में हरियाली की चादर ओढ़े यह जिला अपनी गोद में काफी बागानों की अप्रतिम सुंदरता समेटे हुए है। यहां पहुंच कर एक अलग तरह की मानसिक संतुष्टि की अनुभूति होती है। भैंसदेही तहसील के कुकरू गांव में स्थित ये बागान असम के काफी बागानों को मात देते नजर आते हैं।

सतपुड़ा पर्वतमाला की चोटियों के बीच स्थित इस स्थान को यहां के वातावरण और मनोहारी दृश्य के चलते मिनी पचमढ़ी भी कहा जाता है। विशेष बात यह भी है कि यहां आने वाला पर्यटक अधिक भागदौड़ किए बिना चिखलदरा हिल स्टेशन के भी प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद उठा सकता है। महाराष्ट्र की सीमा में स्थित चिखलदरा हिल स्टेशन यहां से मात्र 33 किलोमीटर दूर है।

100 एकड़ में काफी बागान

सन् 1944 में एक ब्रिटिश महिला फ्लोरेंस हैंडिक्स ने सबसे पहले यहां 44 हेक्टेयर में काफी के पौधे लगवाए थे, तब यहां 80 से 100 क्विंटल तक उच्च गुणवत्ता की काफी बीन्स का उत्पादन होता था। देश स्वतंत्र होने के बाद ये काफी बागान वन विभाग की देखरेख में चल रहे हैं। अब ये बागान 100 एकड़ में फैल गए हैं।

प्रकृति अपने मूल स्वरूप में

कुकरू में प्रकृति अपने मूल स्वरूप में नजर आती है। कुकरू विश्राम गृह से आधा-आधा किलोमीटर की दूरी पर सनराइज और सनसेट पाइंट हैं, जहां ऊंचाई से सूर्योदय और सूर्यास्त का मनोहारी दृश्य देखा जा सकता है। कुकरू और बागानों से लगा खामला आदिवासी ग्राम है। क्षेत्र के गांवों में गोंड और कोरकू जनजातियां रहती हैं, जहां इनकी जीवन शैली को नजदीक से जाना जा सकता है।

इसलिए भी जाएं चिखलदरा

चिखलदरा महाराष्ट्र का पर्वतीय कस्बा है। यहां सतपुड़ा पर्वतमाला की चोटियां, मनमोहक घाटियां, कुंड और प्राचीन दुर्ग आकर्षण का केंद्र्र हैं। चिखलदरा से महाभारतकालीन कथा भी जुड़ी हुई है। कहा जाता है अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने यहां समय बिताया था। यही वह जगह मानी जाती है, जहां भीम ने द्रौपदी का अपमान करने वाले कीचक का वध करके उसे खाई में फेंक दिया था।

ऐसे पहुंच सकते हैं

बैतूल, नई दिल्ली-चेन्नई रेल मार्ग पर स्थित स्टेशन है। वहीं यह सड़क मार्ग से मप्र की राजधानी भोपाल से 188 तो महाराष्ट्र के नागपुर से 199 किमी दूरी पर स्थित है। भोपाल और नागपुर हवाई अड्डे देश भर के प्रमुख शहरों से हवाई मार्ग से जुड़े हैं, जहां से रेल या सड़क मार्ग से बैतूल पहुंचा जा सकता है। बैतूल शहर से कुकरू की दूरी 88 किमी है। बैतूल से कुकरू तक निजी वाहन या टैक्सी से जाया जा सकता है।

ये हैं ठहरने के विकल्प

कुकरू में वन विभाग ने दो विश्रामगृह बना रखे हैं, जिनमें बैतूल के पश्चिम वन मंडल के माध्यम से बुकिंग की जा सकती है। वहीं पर्यटन स्थल चिखलदरा में ठहरने के लिए कई होटल भी उपलब्ध हैं।

Edited By: Sanjay Pokhriyal