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Eye Twitching Causes: आंखों के फड़कने के पीछे हो सकती हैं ये 2 गंभीर बीमारियां, इग्नोर करने की गलती न करें

Eye Twitching Causes आंखों का फड़कना कभी भी शुरू हो सकता है और अपने आप ही ठीक भी हो जाता है। हालांकि अगर यह समस्या हफ्तों या महीनों रहे तो आपको डॉक्टर की सलाह ज़रूर लेनी चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि इसके पीछे कई गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Tue, 06 Dec 2022 12:45 PM (IST)Updated: Tue, 06 Dec 2022 12:45 PM (IST)
Eye Twitching Causes: आंखों के फड़कने के पीछे हो सकती हैं ये 2 गंभीर बीमारियां, इग्नोर करने की गलती न करें
Eye Twitching Causes: आंखों के फड़कने का कारण हो सकती हैं ये 2 गंभीर बीमारियां

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Eye Twitching Causes: आंखों का फड़कना वैसे तो आम बात है, आमतौर पर इसे ज्योतिष से जोड़कर देखा जाता है। लेकिन, आज हम आपको बता रहे हैं कि आंखें आखिर क्यों फड़कती हैं और इसके पीछे का साइंस क्या है।

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पलक की मांसपेशियों में ऐंठन के कारण किसी की भी आंख फड़कना शुरू हो सकती है। आंखों का फड़कना बेहद मामूली सी बात है और आमतौर पर ऊपरी पलक पर ही इसका असर ज़्यादा देखने को मिलता है। हालांकि, ये नीचे और ऊपर दोनों पलके फड़क सकती हैं। वैसे तो ज़्यादातर मामलों में आंख फड़कना शुरू होती है और अपने आप ही कुछ घंटों या फिर अगले दिन तक बंद भी हो जाती है, लेकिन अगर ऐस हफ्तों या महीनों तक होता है, तो आपको डॉक्टर को ज़रूर दिखाना चाहिए। मेडिकल में इसकी तीन अलग-अलग कंडीशन होती हैं- मायोकेमिया, ब्लेफेरोस्पाज़्म और हेमीफेशियल स्पाज़्म।

किन-किन वजहों से फड़क सकती हैं आंखें

1. आईलिड मायोकेमिया

इसमें आंखों का फड़कना हल्का होता है और कभी-कभार होता है, जो कुछ घंटों या फिर एक दिन तक रहता हौ और फिर अपने आप ही ठीक हो जाता है। इसकी वजह तनाव, आंखों की थकावट, कैफीन का उच्च सेवन, नींद का पूरा न होना या फिर कम्प्यूटर-मोबाइल का ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल करना हो सकता है।

2. बिनाइन इसेन्शियल ब्लेफेरोस्पाज़्म (BEB)

ये आंखों के फड़कने से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। यह तब होती है जब आपकी आंखों की मांसपेशियां सिकुड़ जाती हैं, जिससे आपकी आंखों को नुकसान पहुंच सकता है। इस बीमारी में जब हम अपनी पलकें झपकाते हैं, तो उसमें दर्द महसूस होता है। इसमें आंखों को खोलना मुश्किल हो जाता है, आंखों में सूजन और धुंधला दिखने लगता है। भौहों के साथ आंखों के आसपास की मांसपेशियां भी फड़कने लगती हैं। इससे आपकी दोनों आंखों प्रभावित हो सकती हैं। यह पुरुषों से ज़्यादा महिलाओं में ज़्यादा देखा जाता है।

3. हेमीफेशियल स्पाज़्म

इसमें चेहरे का आधा हिस्सा सिकुड़ जाता है, जिसमें आंखें भी शामिल हैं, पलकों के बंद होने और सिकुड़ने के साथ। इसकी वजह से चेहरे, गाल और मुंह की मांसपेशियां फड़कती हैं और सिकुड़ती हैं। यह आमतौर पर जलन और चेहरे की नसों के संपीड़न के कारण होता है। यह ऐंठन, बेल्स पाल्सी, सर्वाइकल डिस्टोनिया, मल्टीपल सेरोसिस, पार्किंसंस रोग, टॉरेट सिंड्रोम जैसे मस्तिष्क या तंत्रिका विकारों से कम ही जुड़ी होती है।

आंखों के फड़कने के पीछे कारण क्या होते हैं?

आंखों का फड़कना आमतौर पर इन वजहों से होता है:

तनाव: स्ट्रेस हॉर्मोन फड़कने को ट्रिगर करते हैं।

थकावट: अगर आपकी आंखों को पर्याप्त आराम नहीं मिलता है, तो इससे मसल स्पाज़्म ट्रिगर हो सकता है।

आंखों पर दबाव: आंखों का नियमित चेकअप ज़रूर कराएं। आजकल कम्प्यूटर, मोबाइल, टैब जैसे गैजेट्स के ज़्यादा उपयोग से आंखें कमज़ोर होने लगती हैं। समय पर इलाज न होने से ज़रूरत से ज़्यादा दबाव पड़ने लगता है, जिससे भी मसल स्पाज़्म हो सकता है।

कैफीन: इसका ज़्यादा सेवन आंखों की मांसपेशियों के फड़कने का कारण बन सकता है।

शराब: ज़रूरत से ज़्यादा शराब का सेवन भी आंखों के फड़कने का कारण बन सकता है।

ड्राई आइज़: हम सभी का स्क्रीन टाइम पहले से काफी ज़्यादा बढ़ा है, जो आंखों के फड़कने को ट्रिगर करता है।

जंक फूड: बाहर का खाना आपके शरीर को ज़रूरी पोषक तत्व नहीं देता। खासतौर पर मैग्नीशियम, जिससे मांसपेशियों में ऐंठन शुरू हो सकती है।

एलर्जी: एलर्जी की प्रतिक्रिया के दौरान जारी हिस्टामाइन भी आखों के फड़कने को ट्रिगर कर सकता है।

आंखों के फड़कने पर क्या करना चाहिए?

मामूली केस में आंखों का फड़कना अपने आप ठीक हो जाता है। आप इसके लिए आंखों को आराम दे सकते हैं, आई-ड्रोप का उपयोग कर सकते हैं, अच्छी नींद लें, कैफीन का सेवन कम करें, सांस से जुड़ी एक्सरसाइज़ करें जिससे तनाव कम हो।

1. दिमाग और आंखों को आराम दें

लंबी वॉक पर जाएं, एक्सरसाइज़ करें, दोस्तों या परिवार के साथ समय बिताएं। इसके अलावा आप अच्छी नींद ले सकते हैं, जिससे आंखों का फड़कना कम हो सकता है।

2. डाइट में सुधार करें

अपनी डाइट से जंक फूड कम करें, स्वस्थ हरी सब्ज़ियों का सेवन करें, फल और खूब सारा पानी पिएं, ताकि शरीर डीटॉक्स हो और उसे ज़रूरी पोषक तत्व मिलें।

3. आई-ड्रॉप का उपयोग

अगर प्रोफेशनल कारणों की वजह से आपका स्क्रीन टाइप काफी ज़्यादा है, तो आपको डॉक्टर की सलाह से लुब्रिकेंट आई-ड्रॉप का इस्तेमाल दिन में 2-3 बार ज़रूर करना चाहिए। इससे आपकी आंखों में ज़रूरी नमी बनी रहेगी।

4. आंखों का चेकअप ज़रूर कराएं

डॉक्टर सलाह देते हैं कि नियमित रूप से आंखों का चेकअप ज़रूर करवाना चाहिए, ताकि अगर आंखें कमज़ोर हो रही हैं, तो उसका इलाज किया जा सके। इससे आंखों पर कम दबाव पड़ेगा।

Disclaimer:लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

Picture Courtesy: Freepik

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