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World Tiger Day 2021: बाघों के महत्व को उजागर करना है इस दिन को मनाने का उद्देश्य

World Tiger Day 2021 वन्य जीव संरक्षण कानून के तहत राष्ट्रीय पशु बाघ को मारने पर सात साल सजा का प्रावधान है। पर लचर स्थिति के कारण इस पर सही से अमल नहीं हो पाता। तो इसके लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Thu, 29 Jul 2021 08:36 AM (IST)Updated: Thu, 29 Jul 2021 08:36 AM (IST)
World Tiger Day 2021: बाघों के महत्व को उजागर करना है इस दिन को मनाने का उद्देश्य
जंगल में घूमता हुआ राष्ट्रीय पशु शेर

हर साल पूरे विश्व में 29 जुलाई को बाघों के पारिस्थतिकीय महत्व को उजागर करने के नजरिए से विश्व बाघ दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर शिखर सम्मेलन में बाघों की दुर्दशा पर दुनिया का ध्यान आकर्षित करने के लक्ष्य के साथ हुई थी।

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जब बाघ बना राष्ट्रीय पशु

भारत में भारतीय वन्य जीव बोर्ड द्वारा 1972 में शेर के स्थान पर बाघ को भारत के राष्ट्रीय पशु के रूप में अपनाया गया था। देश के बड़े हिस्सों में इनकी मौजूदगी के कारण ही इन्हें भारत के राष्ट्रीय पशु के रूप में चुना गया था। इसके बाद सरकार ने बाघों की कम होती संख्या को देखते हुए 1973 में बाघ बचाओ परियोजना शुरू की थी। जिसके तहत चुने हुए बाघ आरक्षित क्षेत्रों को विशिष्ट दर्जा दिया गया और वहां विशेष संरक्षण के लिए प्रयास किए गए, इसी परियोजना को अब नेशनल टाइगर अथॉरिटी बना दिया गया है।

बाघ संरक्षण

वाइल्फ लाइफ प्रोटेक्शन सोसायटी ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, बीते दो सालों में देश में 201 बाघो की मौत हुई है। इनमें से 63 बाघों का शिकार किया गया है। साल 2017 में 116 और 2018 में 85 बाघों की मौत हुई है। 2018 में हुई गणना के अनुसार 308 है। साल 2016 में 120 बाघों की मौत हुई थी, जो साल 2006 के बाद सबसे अधिक थी। साल 2015 में 80 बाघों की मौत की पुष्टि की गई थी। इससे पहले साल 2014 में यह संख्या 78 थी। आज दुनिया में केवल 3,890 बाघ ही बचे हैं। अकेले भारत में दुनिया के 60 फीसदी बाघ पाए जाते हैं, लेकिन भारत में बाघों की संख्या मं बीते सालों में काफी गिरावट हाई है। एक सदी पहले भारत में कुल एक लाख बाघ हुआ करते थे। यह संख्या आज घटकर महज 1500 रह गई है। ये बाघ अब भारत के दो फीसदी हिस्से में रह रहे हैं।

Pic credit- Pixabay


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