World Post Day 2020: दुनिया की सबसे बड़ी डाक प्रणाली है भारतीय डाक विभाग, जहां हैं 1 लाख से ज्यादा डाकघर
World Post Day 2020 वैसे तो आज यानि 9 अक्टबूर को वर्ल्ड पोस्ट डे मनाया जाता है लेकिन भारत में नेशनल पोस्ट डे एक दिन बाद 10 अक्टूबर को मनाया जाता है। जानेंगे इसके मज़ेदार सफर के बारे में।
प्रेम हो या वियोग, सुख हो या दुख, ये चिट्ठियां हर एहसास का साक्षी रहती थीं। सीमा पर देश की रक्षा कर रहे जवानों के लिए जीने का जरिया रहीं ये चिट्ठियां। सीमा पर तनाव झेलने वाले जवान भी अपने घर से आई चिट्ठियों से झूम उठते थे। उसे चूमते और प्यार करते। ये चिट्ठियां बड़ी कमाल की चीज है। वह चिट्ठी जिसे पढ़कर चेहरे पर मुस्कान आ जाए, जो दूर बैठे अपनों का एहसास दिलाए, वह जो जरिया बनी दिलों को जोड़ने का। तो आज हमें चिट्ठियों के अनोखे सफर के बारे में जानेंगे।
वर्ल्ड पोस्ट डे का इतिहास
9 अक्टबूर का दिन वर्ल्ड पोस्ट के तौर पर मनाया जाता है। इसी दिन 1874 में 22 देशों ने पोस्टल यूनियन के गठन के लिए स्विटजरलैंड की राजधानी बर्न में एक संधि पर हस्ताक्षर किए थे। अपने गठन के एक साल बाद 1875 में यह यूनियन पूरी तरह से अस्तित्व में आई। इसके लगभग 90 साल बाद जब 1969 में जापान में इस दिन की वर्ल्ड पोस्ट डे के रूप में मनाए जाने की घोषणा की गई। तब से यह परंपरा बन गई। भारत इस यूनियन का सदस्य इसके गठन के दो साल बाद बना। ऐसा करने वाला यह पहला एशियाई देश था।
आजादी की जंग से इंटरनेट युग तक
भारतीय डाक ने स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर हाई स्पीड इंटरनेट तक एक लंबा दौर देखा है। आज एक लाख 55 हजार से भी ज्यादा डाकघरों वाला हमारा डाक विभाग दुनिया की सबसे बड़ी डाक प्रणाली है। यूं तो भारत में पहला पोस्ट ऑफिस 1727 में ही कोलकाता में खुला। इसके बाद 1774 में बंगाल के गर्वनर वारेन हेस्टिंग्स ने कोलकाता में ही एक प्रधान डाकघर बनाया।
भारत में डाक विभाग की स्थापना सही मायने में एक अक्टूबर 1854 को मानी जाती है जब तत्कालीन भारती वॉयसराय लार्ड डलहौजी ने इस सेवा का केंद्रीकरण कर दिया।
उस समय ब्रिटिश हुकूमत या फिर ईस्ट इंडिया कंपनी की जद में आने वाले 701 डाकघरों को मिलाकर भारतीय डाक विभाग की स्थापना की गई। इसलिए इस साल को भारतीय डाक के स्थापना वर्ष के रूप में देखा जाता है।
जब मनीआर्डर के रूप में आया
1880 में देश में एक और रूप सामने आया है जो है मनीआर्डर सेवा। इस सुविधा के शुरू होने के बाद लोगों ने छोटी-छोटी रकमों को सुगमता और सुरक्षा के साथ अपने प्रियजनों या दूसरे लोगों के पास भेजना शुरू कर दिया। 1877 में वीपीपी और पार्सल सेवा शुरू हुई और 1879 में पोस्टकार्ड की शुरुआत हुई।
जब बना एरिया का पिनकोड
1972 में पिनकोड रूप आया। देश के अलग-अलग राज्यों और क्षेत्रों को पिनकोड के हिसाब से बांटा गया जिससे कि डाक सेवाएं उपलब्ध कराने में आसानी हो। इसके बाद 1986 में डाक विभाग द्वारा स्पीड पोस्ट की सुविधा शुरू की गई। जरूरी डाक अब तेजी से अपनी मंजिल पर पहुंचने लगी। इस सिलसिले में बाद में ई पोस्ट और ग्रीटिंग पोस्ट सर्विस भी जुड़ी।
नए युग में अब पेमेंट बैंक तक पहुंचा
2018 में यह सिलसिला पेमेंट बैंक तक आ पहुंचा है। यानि अब डाकिया चिट्ठी-पत्री के साथ गांव और कस्बों के घर-घर तक बैकिंग सेवाएं भी पहुंचाएगा। इनमें बचत और चालू खाते के साथ मनी ट्रांसफर, बिल पेमेंट और एटीएम जैसी सुविधाएं शामिल हैं।
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