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Republic Day 2023: हर साल 26 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है गणतंत्र दिवस, जानें इसका इतिहास और महत्व

2023 Republic Day India भारत हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाता है। यह दिन भारत के इतिहास में एक अलग अहमियत रखता है। इस साल देश अपना 74वां गणतंत्र दिवस मनाने वाला है। तो चलिए जानते हैं इस दिन के इतिहास और इसके महत्व के बारे में-

By Harshita SaxenaEdited By: Harshita SaxenaPublished: Wed, 25 Jan 2023 01:51 PM (IST)Updated: Thu, 26 Jan 2023 09:12 AM (IST)
Republic Day 2023: हर साल 26 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है गणतंत्र दिवस, जानें इसका इतिहास और महत्व
जानें गणतंत्र दिवस का इतिहास और महत्व

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Republic Day 2023: देश इस साल अपना 74वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। 26 जनवरी का दिन हर भारतीय के लिए बेहद खास होता है। यह दिन भारतीय नागरिकों की लोकतांत्रिक रूप से अपनी सरकार चुनने की शक्ति को दर्शाता है। भारत के इतिहास में यह दिन कई तरह से महत्वपूर्ण है। यही वजह है कि इस दिन को पूरे देश में हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस राष्ट्रीय त्योहार की अपनी अलग खासियत है, जिसके चलते लोग इसे धूमधाम से सेलिब्रेट करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है। अगर आपके मन में भी यह सवाल उठ रहा है, तो आज हम आपको बताएंगे गणतंत्र दिवस के इतिहास और इसके महत्व के बारे में-

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गणतंत्र दिवस का इतिहास

दरअसल, हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन पूरे देश में संविधान लागू किया गया है। 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू होने के साथ ही भारत को पूर्ण गणराज्य घोषित किया गया था। यही वजह है कि हर साल इस खास दिन की याद में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। साल 1947 में भारत को मिली आजादी के बाद इसे लोकतांत्रिक बनाने के मकसद से देश का संविधान बनाना शूरू किया गया। 2 साल 11 महीने और 18 दिन में बनकर तैयार हुए भारत के संविधान को 26 नवंबर, 1949 में देश की संविधान सभा ने स्वीकार किया। इसके बाद अगले ही साल 26 जनवरी, 1950 को पूरे देश में यह संविधान लागू किया गया था।

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26 जनवरी का महत्व

26 नवंबर को स्वीकार किए गए भारत के संविधान को लागू करने के लिए 26 जनवरी का दिन ही क्यों चुना गया, यह सवाल लगभग हर भारतीय के मन में आता होगा। संविधान लागू करने के लिए इस तारीख को चुनने का भी एक खास मकसद था। दरअसल, 26 जनवरी 1930 को अंग्रेजों की गुलामी के खिलाफ कांग्रेस ने भारत को पूर्ण स्वतंत्र घोषित किया था। ऐसे में पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव लागू होने की इस तिथि के महत्व को ध्यान में रखते हुए संविधान लागू करने के लिए 26 जनवरी का दिन चुना गया था। 1950 में इसी दिन संविधान लागू करने के साथ ही देश को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया गया और तब से लेकर अब तक हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है।

दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान

आजादी के साथ ही देश के लिए एक संविधान की जरूरत भी महसूस हुई। ऐसे में इसे बनाने के लिए एक संविधान सभा का गठन हुआ था। इस सभा ने 9 दिसंबर, 1946 से संविधान बनाने का काम शुरू किया। भारत की इस संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे। जबकि संविधान की ड्राफ्टिंग समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर थे। डॉ. अंबेडकर ने भारत के संविधान को बनाने में एक अहम भूमिका निभाई थी, जिसकी वजह से उन्हें संविधान निर्माता भी कहा जाता है। भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है, जिसे बनाने में पूरे 2 साल, 11 माह, 18 दिन लगे थे। इसके बाद 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा ने अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को देश का संविधान सौंपा था। यही वजह है कि हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है।

Picture Courtesy: Freepik


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