Move to Jagran APP

बच्चा बनेगा संवेदनशील और समझदार जब सिखाएंगे उन्हें ये छोटी-छोटी बातें

आजकल बच्चे छोटी-छोटी बातों पर बहुत जल्दी नाराज़ हो जाते हैं। उनके व्यवहार में भी उग्रता नज़र आती है। इसलिए शुरू से ही उन्हें यह सिखाना बहुत ज़रूरी है कि दूसरों की भावनाओं को समझते हुए उनके साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए जैसा कि अपने लिए पसंद करते हैं।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Fri, 22 Oct 2021 04:31 PM (IST)Updated: Fri, 22 Oct 2021 04:31 PM (IST)
बच्चा बनेगा संवेदनशील और समझदार जब सिखाएंगे उन्हें ये छोटी-छोटी बातें
बच्चे के साथ बातचीत करते माता पिता

यह सच है कि शरारत का बचपन से बहुत करीबी रिश्ता है, इसी वजह से ज्य़ादातर पेरेंट्स बच्चों के ऐसे व्यवहार को नियंत्रित करने की कोशिश नहीं करते। इससे धीरे-धीरे उनके व्यवहार में उद्दंडता और अनुशासनहीनता आने लगती है। खासतौर पर जैसे ही बच्चा स्कूल जाना शुरू करता है, उसके समाजीकरण की प्रक्रिया तेज़ी से होने लगती है। ऐसे में पेरेंट्स को चाहिए कि वो उनके व्यवहार पर नजर रखें और उन्हें सही समय पर सही सीख दें तभी बात बनेगी।

loksabha election banner

सही व्यवहार की सीख

चार साल की उम्र के बाद जब बच्चे स्कूल जाना शुरू करते हैं तो उन्हें सामाजिक संबंधों से जुड़े विभिन्न पहलुओं को समझने का अवसर मिलता है। 'क्या करना चाहिए' और 'क्या नहीं', इस उम्र में बच्चों को यह सिखाने की सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है। कई बार वे जबरन अपने दोस्तों से उनके खिलौने छीनने की कोशिश करते हैं और मना करने पर रोने लगते हैं। ऐसे में उन्हें यह समझाना बहुत ज़रूरी है कि अगर कोई दूसरा बच्चा तुम्हारे साथ भी ऐसा ही व्यवहार करे तो तुम्हें कैसा लगेगा? इससे बच्चे को यह समझाना आसान हो जाएगा कि हमें दूसरों के साथ बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए। जब भी वह कोई गलत व्यवहार कर रहा हो तो उसे उसी वक्त रोकना चाहिए, अन्यथा वह आपकी बातों को गंभीरता से नहीं लेगा। उसे यह समझाएं कि गलतियां केवल बच्चों से ही नहीं, बड़ों से भी होती हैं पर उन्हें स्वीकार कर माफी मांगने में शर्म महसूस नहीं होनी चाहिए।

अच्छी है शेयरिंग की आदत

भाई-बहनों या दोस्तों के साथ चीज़ें शेयर करने की आदत बच्चे में शुरू से ही विकसित करनी चाहिए। इससे न केवल रिश्तों में मज़बूती आती है बल्कि वह दूसरों की भावनाओं और ज़रूरतों का खयाल रखना भी सीखता है। अपने रोज़मर्रा के व्यवहार से उसे यह एहसास दिलाना ज़रूरी है कि कोई भी वस्तु या सुविधा केवल तुम्हारे लिए नहीं है। भाई-बहनों या दोस्तों को भी खिलौने से खेलने की इच्छा होती है, इसलिए तुम अपने साथ उन्हें भी खेलने का मौ$का दो। अगर परिवार में एक ही बच्चा है तो कभी-कभी आप जानबूझकर उससे चॉकलेट का छोटा टुकड़ा मांगें, कभी उसके साथ कोई इंडोर गेम खेलें। इससे उसे दूसरों की अहमियत का एहसास होगा और वह शेयरिंग भी सीख जाएगा।

सहज हो संवाद

आजकल माता-पिता के पास बच्चों के साथ बातचीत के लिए समय नहीं होता। उनके मन में ढेर सारी बातें होती हैं, जिन्हें वे पेरेेंट्स को बताना चाहते हैं। इसलिए उनसे बातचीत के लिए समय ज़रूर निकालें।

इस तरह अगर आप इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखेंगे तो निश्चित रूप से आपका बच्चा संवेदनशील और समझदार बनेगा। 

(सर गंगाराम हॉस्पिटल की क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ.आरती आनंद से बातचीत पर आधारित)

Pic credit- pexels


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.