Merry Christmas 2020: आधी रात को धरती पर आए थे यीशु मसीह, जानें इस दिन से जुड़ी अन्य जरूरी बातें
Merry Christmas 2020 क्रिसमस का त्योहार यूं तो ईसाई समुदाय के लोगों का सबसे बड़ा त्योहार है लेकिन पूरी दुनिया में हर धर्म के लोग क्रिसमस को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। यह त्योहार यीशु मसीह या ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस या बड़े दिन का त्योहार प्रभु के पुत्र ईसा मसीह, जीसस क्राइस्ट या यीशु के धरती पर अवतरण की खुशी में पूरे हर्षोल्लास से मनाया जाता है और आमतौर पर इस दिन लगभग पूरी दुनिया में छुट्टी रहती है। ट्रेडिशनल रूप से क्रिसमस 12 दिन तक चलने वाला उत्सव है। यूं तो 25 दिसंबर को यीशु का जन्मदिन होने का कोई सही जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन पूरी दुनिया 25 दिसंबर को ही यह रोमन पर्व सदियों से मनाती चली आ रही है। बताया जाता है कि पहला क्रिसमस डे रोम में 336 ईस्वी में मनाया गया था।
ऐसे हुआ था यीशु का जन्म
ईसाई पौराणिक कथा के अनुसार, आज से हजारों साल पहले प्रभु ने नासरत शहर में ग्रैबियल नाम के एक स्वर्गदूत को मरियम नाम की एक यहूदी लड़की के पास भेजा। जिसने मरियम को बताया कि वह प्रभु के पुत्र को जन्म देगी। वह पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती होगी और एक पुत्र को जन्म देगी और उसका नाम यीशु रखना।
उस समय मरियम की शादी नहीं हुई, यूसुफ नाम के शख्स से सगाई हुई थी। मरियम ने यह बात यूसुफ को बताई तो उन्होंने बदनामी के डर से मरियम को छोड़ने का मन बना लिया था, लेकिन उनके विचारों को जानकर उसी स्वर्गदूत ने यूसुफ से कहा कि मरियम पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती है तो उसे अपनाने से डरो मत। स्वर्गदूत की बात मानकर यूसुफ ने मरियम से शादी कर ली।
गौशाले में हुआ अवतरण
उस समय नासरत रोमन साम्राज्य का हिस्सा था। मरियम की गर्भावस्था के दौरान ही रोम राज्य की जनगणना का समय आ गया। तब नियमों के चलते यूसुफ भी मरियम को लेकर नाम लिखवाने येरूशलम के बेथलेहम नगर को चल दिया। बेथलेहम पहुंचकर सराय में जगह न मिलने के कारण उन्होंने एक गौशाले में शरण ली। जहां मरियम ने आधी रात को एक बालक को जन्म दिया और उस बालक को कपड़े में लपेटकर घास की बनी चरनी में लिटा दिया और उसका नाम यीशु रखा।
ऐसे होता है क्रिसमस का सेलिब्रेशन
क्रिसमस के दिन लोग एक-दूसरे को गिफ्ट्स देते हैं और चर्च को बहुत ही आकर्षक ढंग से सजाया जाता है। लोग अपने घरों में क्रिसमस ट्री बनाकर उसे रंग-बिरंगे बल्बस, स्टार्स और खिलौनों से सजाते हैं। चर्च में यीशु के जन्म से रिलेटेड झांकियां तैयार की जाती हैं। 24 दिसंबर रात बजे यीशु का जन्म होना माना जाता है, इसलिए चर्च में इस वक्त विशेष प्रार्थना की जाती है। कैरोल गाए जाते हैं और अगले दिन धूमधाम से त्योहार मनाया जाता है। इस दौरान केक और कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं।
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