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सच्चा प्यार

पढ़ाई में कमजोर छात्र ने प्यार को पाने के लिए कड़ी मेहनत करके पाई नौकरी और बंधा शादी के बंधन में...

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 17 Apr 2017 02:54 PM (IST)Updated: Mon, 17 Apr 2017 02:54 PM (IST)
सच्चा प्यार
सच्चा प्यार

मैंने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास कर स्नातक में प्रवेश लिया। उस समय जिंदगी मानो लक्ष्यविहीन थी। बस इतना सोचता था कि कुछ अच्छा करना है, जबकि मेरी पढऩे में खास रुचि नहीं थी। एक बार अपने घनिष्ठ मित्र के यहां विवाह के अवसर पर जाना हुआ। वहां मैं एक लड़की की तरफ बरबस खिंचा चला गया। पहली ही निगाह में मैं उसकी खूबसूरती का कायल हो गया। कुछ घंटे विवाह समारोह में बिताए और फिर जब मुझसे नहीं रहा गया तो मित्र से उस लड़की के बारे में पूछ बैठा। मित्र ने बताया कि पास ही में रहती है। इसका नाम मिली है।

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विवाह समारोह से वापस आने के बाद कई दिनों तक मैं उसके बारे में सोचता रहा। पहले सोचा किमित्र से बात करूं लेकिन फिर मन में प्रश्न आया कि पढ़ाई पूरी नहीं हुई और न ही दो वक्त की रोटी का जुगाड़ हो पाया है। ऐसे में किसी तरह की बात करना पागलपन है। मेरे मित्र और मिली का घर करीब में ही था। अब मैं हर रोज किसी न किसी बहाने उसके घर के पास से गुजरते उसे देखने की कोशिश करता। वक्त बीतता गया और मेरा ग्रेजुएशन पूरा हो गया। एक दिन मित्र के यहां उससे मिलना हुआ तो उसने बातों-बातों में कहा कि मैं एक निजी स्कूल में पढ़ाती हूं।

वहां विज्ञान शिक्षक की जरूरत है। आप पढ़ाना चाहें तो मैं प्रिंसिपल से बात कर सकती हूं। मेरे लिए मिली से मिलने का इससे सुनहरा दूसरा अवसर नहीं था। मैंने बिना देर किए उस स्कूल में पढ़ाना शुरू कर दिया।

एक ही स्कूल में पढ़ाने के बाद भी मैं कभी इतनी हिम्मत नहीं जुटा पाया कि मिली से प्यार का इजहार कर सकूं। साल बीत गया लेकिन मन से प्यार का भूत नहीं उतरा। सोचता था कि किसी तरह मेहनत से नौकरी पानी है और मिली से ही शादी करनी है। इस प्रतियोगी दौर में भला इतनी जल्दी सरकारी या अच्छी नौकरी कहां मिलने वाली थी। एक दिन मेरे मित्र ने कहा कि तुम्हें मिली से शादी करनी है तो पहले नौकरी पानी होगी और वह तुम्हारे वश की बात नहीं है, क्योंकि तुम्हारा एकेडमिक रिकॉर्ड बहुत अच्छा नहीं है। मित्र की यह बात मेरे दिल को तीर की तरह चीर गई। मैंने सोचा कि लोग प्यार के लिए क्या-क्या नहीं करते हैं। क्या मैं अपना प्यार पाने के लिए नौकरी भी नहीं पा सकता। इशारों-इशारों में मिली की तरफ से भी जवाब था कि अगर मैं अच्छी नौकरी करने लगूंगा तो शायद बात बन जाए। मैंने संकल्प लिया कि मुझे हर हाल में अपने प्यार को जीतना है। मैंने सोचा कि अगर एमबीए कर लूं तो नौकरी जल्दी मिल सकती है। पढ़ाई में मैं कभी गणित विषय से दूर भागता था लेकिन एमबीए करने के लिए मैंने जी-जान से मेहनत शुरू कर दी। मेहनत रंग लाई और पहले ही प्रयास में मैं एमबीए में दाखिला पाने में सफल रहा। इस दौरान मिली के घरवालों ने शादी की कई जगह बात की लेकिन बात कहीं फिट नहीं हुई। मैंने एमबीए की डिग्री पूरी कर ली। मेरा रिजल्ट बहुत अच्छा रहा। इसके बाद थोड़े ही समय में मुझे एक निजी कंपनी में नौकरी मिल गई। अब मुकम्मल इजहार का वक्त आ चुका था।

इस खुशी को बांटने मैं मिली के घर गया तो मेरी सफलता पर वह भी मुस्कुरा उठी और उसकी आंखें आंसुओं से डबडबा गईं। मैंने अपने घर में मिली से शादी करने की बात कही तो अधिक पारिवारिक विरोध नहीं हुआ। हमारे घरवाले मिली के यहां शादी की बात करने गए। जल्द ही उनके भाई मेरे घर रिश्ता लेकर आए और कुछ ही माह में हम विवाह के बंधन में बंध गए।

आज मैं एक निजी कंपनी में वरिष्ठ प्रबंधक के पद पर कार्यरत हूं। जब भी पलटकर सोचता हूं तो महसूस होता है कि अगर उस विवाह पर मिली से मिलना नहीं हुआ होता और उसका प्यार जीवन में नहीं होता तो न मैं एमबीए कर पाता और न ही इस गरिमा भरे पद पर पहुंच पाता। सच है वो मेरे प्रेम की ही प्रेरणा थी जिसने मेरे जीवन को सही दिशा प्रदान की। मैं पाठकों से कहना चाहता हूं कि आपका प्रेम मंजिल तक पहुंच पाए या अधूरा ही रह जाए, यह अहसास ही इतना खूबसूरत होता है कि जिंदगी को मुकम्मल बना देता है। बस शर्त इतनी है कि हर स्थिति में आप इसके सकारात्मक पक्ष को ही देखें और जीने की कोशिश करें। प्यार के नाम पर तेजाबी हमला, छींटाकशी और मारपीट करना कभी प्यार नहीं हो सकता और न ही इससे कुछ हासिल होता है।

अमित कु. अम्बष्ट, कोलकाता


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