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स्टार और एक्टर में फर्क सदा रहेगा

पिता नसीरुद्दीन शाह से सीख लेते हुए अभिनय की दुनिया में आगे बढ़ रहे हैं विवान शाह। उनकी अगली फिल्म है ‘लाली की शादी में लड्डू दीवाना'...

By Srishti VermaEdited By: Published: Thu, 23 Mar 2017 11:47 AM (IST)Updated: Thu, 23 Mar 2017 12:35 PM (IST)
स्टार और एक्टर में फर्क सदा रहेगा
स्टार और एक्टर में फर्क सदा रहेगा

मशहूर अभिनेता नसीरुद्दीन शाह और रत्ना पाठक शाह के बेटे विवान शाह अपनी फिल्म में बिन ब्याहे बाप की भूमिका में है। फिल्म का नाम लाली की शादी में लड्डू दीवाना है।

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प्यार और रोजगार का द्वंद्व
विवान बताते हैं, ‘हमने हंसी-हंसी में बड़ी गंभीर बात कही है। प्यार और रोजगार के द्वंद्व से कैसे निकला जाए? उस बारे में भी हमारी फिल्म बात करती है। मैं लड्डू के किरदार में हूं। उसके लिए कॅरियर ही सब कुछ है। प्यार से बढ़कर है कॅरियर। प्रेमिका लाली भी उसी मिजाज की है। दोनों एक-दूसरे को अमीर समझकर मुगालते व लालच में प्यार करते हैं। दोनों भावनाओं में बहते हैं। लाली गर्भवती हो जाती है। अब लड्डू यह जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता, क्योंकि उसे अपना कॅरियर संवारना है। फिर क्या होता है, वह इस फिल्म में है। लड्डू की कारस्तानी सुन मां-बाप उसे अपनी जिंदगी से बेदखल कर देते हैं। लाली की शादी का जिम्मा वे उठाते हैं। उसकी शादी वीर से कर देते हैं। लड्डू शादी रोकने जाता है, पर वहां एक अलग ही कहानी खुलती है। हमने फॉर्मूले में फलसफे को पिरोया है।’

प्रेमचंद, परसाई, साहनी को पढ़ा
घर में फिल्मी माहौल के सवाल पर विवान कहते हैं, ‘मेरे माता-पिता की थिएटर में दिलचस्पी व साहित्य प्रेम का असर मुझपर भी पड़ा। मुंबई के अंग्रेजीदां माहौल में पला-बढ़ा होने के बावजूद मैं हिंदी साहित्य से अछूता नहीं रहा हूं। प्रेमचंद, हरिशंकर परसाई व भीष्म साहनी की रचनाओं को मैंने खूब पढ़ा है। सिनेमा, संगीत और थिएटर के आला दर्जे के काम से वास्ता तो रहा ही है। अदाकारी भी खून में थी, फलस्वरूप इस फील्ड में राहें बनाने में मुश्किलें नहीं आईं। ’

स्टार और एक्टर के रसूख में फर्क
विवान आगे कहते हैं, ‘मेरे पिता बेहतरीन एक्टर रहे, पर स्टार कोई और रहा। आज भी स्टार खानत्रयी हैं। यह फर्क सदा रहेगा। पिछली सदी के पांचवें दशक में हम्फ्रे बोगार्ट हॉलीवुड के स्टार थे। वह पर्सनैलिटी केंद्रित एक्टिंग किया करते थे। वह मर्लिन ब्रांडो वाले कद के एक्टर नहीं थे। ब्रांडो के बाद रॉबर्ट डिनेरो आए। तब वहां बदलाव हुआ। स्टार-एक्टर का फर्क मिटा जरूर, पर फिर से आज पॉपुलर स्टार मजबूत कद-काठी और आकर्षक चेहरे वाले कलाकार ही हैं। मेरे ख्याल से पब्लिक और कल्चर से यह तय होता है कि खास नैन-नक्श वाले स्टार बनेंगे या आम चेहरे मोहरे वाले।’

संतुलन साधकर चलना है
पिता से प्रेरणा के सवाल पर विवान कहते हैं, ‘मैं पिता के नक्शेकदम पर हूं। उन्होंने भी एक साथ मसाला और समानांतर फिल्में की थीं। मैं भी करूंगा। मेरे खाते में ‘सात खून माफ’ और ‘बॉम्बे वेल्वेट’ जैसी लीक से हटकर बनी फिल्में हैं। उसके साथ ही मैं ‘हैप्पी न्यू ईयर’ और ‘लाली...’ जैसी मसाला फिल्मों का भी हिस्सा हूं। एक कोरियन फिल्म की रीमेक भी है मेरे खाते में। मैं उसमें वॉयस ओवर आर्टिस्ट बना हूं। उसे दृष्टिहीन लड़की से प्यार है। उसका शीर्षक तय होना शेष है।’

बड़े पापा की तरह थे ओमपुरी

नसीरुद्दीन शाह व ओमपुरी की दोस्ती बड़ी मशहूर रही है। उनके साथ बिताए दिनों को याद करते हुए विवान कहते हैं, ‘हम उन्हें ओम पापा पुकारते थे। खूब लाड़-प्यार करते थे वह। उनका काम हर दौर में प्रासंगिक रहेगा। मेरी बहन तो उनकी राह पर चल भी पड़ी हैं। उनका चयन प्रख्यात ईरानी सिनेकार माजिद मजीदी की फिल्म ‘बियॉन्ड द क्लाउड्स’ में हुआ है।

-अमित कर्ण

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