खेल-पढ़ाई में स्मार्ट संयोजन
लोग यह सोचते हैं कि खेल और पढ़ाई में संयोजन करना आसान नहीं है, लेकिन अगर आप स्मार्ट हैं, तो ऐसा कर सकते हैं।
भारतीय टीम के स्पिनर कुलदीप यादव बचपन में ऐसा ही करते थे। उनका कहना है कि पढ़ाई और खेल में किसी एक चीज को छोड़ा नहीं जा सकता। दोनों की जिंदगी में जरूरत पड़ती है, लेकिन आपको यह तय करना होता है कि किसको कितना समय देना है और किसको आगे बढ़ाना है?
कुलदीप बचपन में तेज गेंदबाजी करते थे, लेकिन उनके कोच ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें स्पिन गेंदबाजी करने को कहा। अब वह दुनिया के चुनिंदा ‘चाइनामैन’ गेंदबाजों में से एक हैं और वर्तमान टीम इंडिया के सदस्य हैं। कुछ दिन पहले हुई मुलाकात में उन्होंने बताया था कि उनके घर से स्कूल काफी दूर था, लेकिन वहां की क्रिकेट टीम अच्छी होने के कारण वह वहीं जाते थे।
वह कहते हैं, ‘ऐसा इसलिए, क्योंकि मेरा पहला प्यार क्रिकेट था। यह संयोग था कि वहां क्रिकेट और पढ़ाई दोनों के लिए बेहतर माहौल था, इसलिए मेरे लिए क्रिकेट के साथ पढ़ाई करना भी आसान था। मैं किसी क्लास में फेल नहीं हुआ। मैं क्रिकेट भी सीखता था, तो स्मार्ट तरीके से। ऐसा नहीं कि हर समय अभ्यास ही करता रहूं। जितना जरूरी होता था, उतना ही अभ्यास करता था। इसके साथ ही मुझे पता था कि सिर्फ खेल से काम नहीं चलेगा। इसलिए जब भी समय मिलता, मैं पढ़ाई भी करता। हां, यह जरूर था कि मुझे क्रिकेट में आगे बढ़ना था। इसलिए पढ़ाई की तुलना में क्रिकेट को ज्यादा समय देता था। जिन्हें पढ़ाई में आगे बढ़ना है, वे खेल में कम और पढ़ाई में ज्यादा समय देकर खुद को आगे बढ़ा सकते हैं। कुल मिलाकर, आजकल के समय में आपको स्मार्ट होना पड़ेगा।’
इंटरैक्शन : अभिषेक त्रिपाठी
यह भी पढ़ें : जानिये हम सबके फेवरेट मोमोज कैसे हो गए इतने पॉपुलर