Shaheed Diwas 2023: इन तीन वीरों की याद में मनाया जाता है शहीद दिवस, जानें क्या है इस दिन का महत्व
Shaheed Diwas 2023 23 मार्च को भारत में शहीद दिवस मनाया जाता है। आज ही के दिन साल 1931 में भगत सिहं और उनके दो साथी सुखदेव राजगुरू को फांसी दी गई थी। इस वजह से ये दिन और भी खास हो जाता है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Shaheed Diwas 2023: मार्च की 23 का दिन भारत में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि आज ही के दिन सन् 1931 में अंग्रेजों ने भारतीय युवा क्रांतिकारियों भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर को फांसी पर लटकाया था। मात्र 23 साल की उम्र में हंसते-हंसते ये नौजवान देश के लिए कुर्बान हो गए थे। इनकी फांसी से पूरा देश शोक में था और युवा गुस्से में। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में इस दिन का रोल बहुत ही खास माना जाता है। शहीदों के सम्मान में भारत में हर साल सिर्फ 23 मार्च ही नहीं बल्कि कुल सात शहीद दिवस मनाए जाते हैं। यह सात दिन 30 जनवरी, 23 मार्च, 19 मई, 21 अक्टूबर, 17 नवंबर, 19 नवंबर और 24 नवंबर हैं।
इस वजह से हुई थी भगत सिंह को फांसी की सजा
भारत को अंग्रेजों से आजाद कराने के लिए बहुत सालों तक संग्राम चला। जिसमें कई वीरों ने हंसते-हंसते अपनी जान की कुर्बानी दे दी। जिनमें भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव भी शामिल थे। इन तीनों ने अंग्रेजी हुकूमत की खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते हुए पब्लिक सेफ्टी और ट्रेड डिस्ट्रीब्यूट बिल के विरोध में सेंट्रल असेंबली में बम फेंके थे। इसके बाद इन्हें अरेस्ट कर लिया गया था और 23 मार्च, 1931 को फांसी दी गई थी।
एक दिन पहले ही दे दी गई थी फांसी
अंग्रेजों ने भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की फांसी के लिए 24 मार्च, 1931 की सुबह 6 बजे का वक्त तय किया था। लाहौर सेंट्रल जेल के बाहर दो दिन पहले ही लोगों की भारी भीड़ इकट्ठा होने लगी थी। जिसकी वजह से लाहौर में धारा 144 लागू करने की नौबत आ गई लेकिन लोगों पर इस धारा का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ा। जिससे अंग्रेज बहुत घबरा गए और इन दिनों को 12 घंटे पहले ही फांसी दे दी गई। दुखद बात है कि इन तीनों को अपने परिजनों से आखिरी बार मिलने का भी मौका नहीं मिला।