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एचआइवी के इलाज की दिशा में मिली एक नई कामयाबी

वैज्ञानिकों ने एचआइवी प्रतिरोधी कोशिकाओं का समूह तैयार करने का तरीका ईजाद किया है। ये कोशिकाएं तेजी से वायरस से प्रभावित कोशिकाओं का स्थान लेने में सक्षम होती हैं।

By Srishti VermaEdited By: Published: Wed, 12 Apr 2017 01:26 PM (IST)Updated: Wed, 12 Apr 2017 01:49 PM (IST)
एचआइवी के इलाज की दिशा में मिली एक नई कामयाबी
एचआइवी के इलाज की दिशा में मिली एक नई कामयाबी

एचआइवी एड्स के इलाज की दिशा में वैज्ञानिकों को बड़ी कामयाबी मिली है। वैज्ञानिकों ने एचआइवी प्रतिरोधी कोशिकाओं का समूह तैयार करने का तरीका ईजाद किया है। ये कोशिकाएं तेजी से वायरस से प्रभावित कोशिकाओं का स्थान लेने में सक्षम होती हैं। अमेरिका स्थित द स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट (टीएसआरआइ) के
शोधकर्ताओं ने एचआइवी से लड़ने वाले एंटीबॉडी को इम्यून कोशिकाओं के साथ जोड़कर इस काम को अंजाम दिया। शोधकर्ता जिया शी ने कहा, ‘इस प्रक्रिया से मिलने वाली सुरक्षा लंबी अवधि तक कारगर रहेगी।’

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एचआइवी के इलाज की वर्तमान तकनीक में एचआइवी से लड़ने वाले एंटीबॉडी खून में तैरते हुए वायरस से लड़ते हैं। नई तकनीक इस मामले में ज्यादा कारगर है। इसमें एंटीबॉडी कोशिका की सतह से जुड़ जाते हैं और वायरस कोशिका को संक्रमित नहीं कर पाता। शी ने इस प्रक्रिया को नेबर इफेक्ट (पड़ोसी का प्रभाव) नाम दिया है। उन्होंने कहा कि सतह पर चिपका हुआ एक एंटीबॉडी खून में घूम रहे कई एंटीबॉडी से ज्यादा कारगर है। एचआइवी के खिलाफ इस तकनीक को आजमाने से पहले वैज्ञानिकों ने सामान्य जुकाम की वजह बनने वाले राइनोवायरस पर भी इसे सफलतापूर्वक आजमाया था।

-प्रेट्र

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