Happy Pongal 2021 Wishes: अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को भेजें पोंगल के खूबसूरत मैसेज!
Happy Pongal 2021 पोंगल 4 दिन तक मनाया जाता है। पहले दिन घर की बेकार और खराब चीज़ों को एकत्र कर जलाया जाता है और नई चीज़ों को घर में लाया जाता है। दूसरे दिन लक्ष्मी की और तीसरे दिन पशुधन की पूजा होती है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Pongal 2021 Wishes: पोंगल का त्योहार हर साल लोहड़ी और मकर संक्रांति के बाद आता है। मकर संक्रांति की तरह पोंगल का पर्व भी सूर्य के उत्तरायण होने के उपलक्ष में दक्षिण भारत में मनाया जाता है। चार दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में इंद्र, सूर्य, नंदी, और कन्याओं को पूजा जाता है। पोंगल का अर्थ होता है उबालना, वैसे इसका दूसरा अर्थ नया साल भी है। गुड़ और चावल उबालकर सूर्य को चढ़ाए जाने वाले प्रसाद को ही पोंगल कहा जाता है।
फसल की अच्छी उपज होने की खुशी में लोग इस पर्व को मनाकर भगवान सूर्य को शुक्रिया करते हैं। सुख समृद्धि के त्योहार पोंगल के खास अवसर पर लोग अपने करीबी लोगों को बधाई के संदेश भेजते हैं। ऐसे में हम आपके लिए आकर्षक इमेजेज़ और खूबसूरत मैसेज लेकर आए हैं जिनके जरिए आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को शुभकामनाएं दे सकते हैं।
खुशी और उत्साह के साथ पोंगल
मनोरंजन और उल्लास के साथ पोंगल
पोंगल पर्व की ढेर सारी शुभकामनाएं।
भगवान करे कि आपके दिल में प्यार
और मोहब्बत हमेशा उसी तरह बनी रहे
जैसे कि पोंगल के मटके में चावल
पोंगल की हार्दिक शुभकामनाए!
क्यों मनाते हैं पोंगल
दक्षिण भारत में धान की फसल के बाद लोग खुशी व्यतीत करने के लिए पोंगल का त्योहार मनाते हैं और भगवान से आगामी फसल के अच्छे होने की प्रार्थना करते हैं। समृद्धि लाने के लिए वर्षा, धूप, सूर्य, इन्द्रदेव और खेतिहर मवेशियों की पूजा और आराधना की जाती है।
पोंगल का पावन त्योहार
आपके जीवन में लाए खुशियां,
मुबारक हो आपको साल का पहला त्योहार।
हैप्पी पोंगल!
तन में मस्ती, मन में उमंग
चलो आकाश में डाले रंग
हो जाएं सब संग संग, उड़ाए पतंग
Happy Pongal 2021
हर सपने हों पूरे आपके,
धन-दौलत समृद्धि मिले।
जो भी विश हो पूरी हो जाए,
पोंगल आपको मुबारक हो।
किस तरह मनाया जाता है ये त्योहार?
पोंगल 4 दिन तक मनाया जाता है। पहले दिन घर की बेकार और खराब चीज़ों को एकत्र कर जलाया जाता है और नई चीज़ों को घर में लाया जाता है। दूसरे दिन लक्ष्मी की और तीसरे दिन पशुधन की पूजा होती है। किसान अपनी गाय-बैलों को स्नान कराकर सजाते भी हैं। चौथे दिन काली पूजा होती है। यानी दिवाली की तरह रंगाई-पुताई, लक्ष्मी की पूजा और फिर गोवर्धन पूजा की तरह मवेशियों की पूजा। घर के बाहर रंगोली बनाई जाती है, नए कपड़े और बर्तन खरीदे जाते हैं। बैलों और गायों के सींग रंगे जाते हैं। सांडों-बैलों के साथ भाग-दौड़कर उन्हें नियंत्रित करने का जश्न भी होता है।