Pongal 2021: जानें कैसे मनाया जाता है दक्षिण भारत में पोंगल का त्योहार
Pongal 2021 मकरसंक्रांति और लोहड़ी की तरह दक्षिण भारत में धान की फसल के बाद लोग खुशी व्यतीत करने के लिए पोंगल का त्योहार मनाते हैं और भगवान से आगामी फसल के अच्छे होने की प्रार्थना करते हैं।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Pongal 2021: पोंगल तमिलनाडु के सबसे ख़ास त्योहारों में से एक है। तमिल में पोंगल का मतलब होता है उफान। उत्तर भारत में मनाए जाने वाले मकर संक्रांति और लोहड़ी की तरह ही पोंगल का त्योहार भी फसल और किसानों का त्योहार होता है। पोंगल को 4 दिनों तक मनाया जाता है। यह त्योहार तमिल महीने 'तइ' की पहली तारीख से शुरू होता है और इसी दिन से तमिल नववर्ष की भी शुरुआत होती है।
क्यों मनाते हैं पोंगल
दक्षिण भारत में धान की फसल के बाद लोग खुशी व्यतीत करने के लिए पोंगल का त्योहार मनाते हैं और भगवान से आगामी फसल के अच्छे होने की प्रार्थना करते हैं। समृद्धि लाने के लिए वर्षा, धूप, सूर्य, इन्द्रदेव और खेतिहर मवेशियों की पूजा और आराधना की जाती है।
किस तरह मनाया जाता है ये त्योहार?
पोंगल 4 दिन तक मनाया जाता है। पहले दिन घर की बेकार और खराब चीज़ों को एकत्र कर जलाया जाता है और नई चीज़ों को घर में लाया जाता है। दूसरे दिन लक्ष्मी की और तीसरे दिन पशुधन की पूजा होती है। किसान अपनी गाय-बैलों को स्नान कराकर सजाते भी हैं। चौथे दिन काली पूजा होती है। यानी दिवाली की तरह रंगाई-पुताई, लक्ष्मी की पूजा और फिर गोवर्धन पूजा की तरह मवेशियों की पूजा। घर के बाहर रंगोली बनाई जाती है, नए कपड़े और बर्तन खरीदे जाते हैं। बैलों और गायों के सींग रंगे जाते हैं। सांडों-बैलों के साथ भाग-दौड़कर उन्हें नियंत्रित करने का जश्न भी होता है।
क्या है पोंगल की पौराणिक कथा?
कथा के अनुसार शिव अपने बैल वसव को कहते हैं कि धरती पर जाकर संदेश दें और मनुष्यों से कहें कि वे प्रतिदिन तेल लगाकर नहाएं और माह में एक दिन ही भोजन करें। वसव धरती पर जाकर उल्टा ही संदेश दे देता है। इससे क्रोधित होकर शिव शाप देते हैं कि जाओ, आज से तुम धरती पर मनुष्यों की कृषि में सहयोग दोगे।