मजबूरी नहीं मज़े और फिटनेस के लिए दुनियाभर में कुछ इस तरह करते हैं लोग साइकिल की सवारी
साइकिल चलाना फिटनेस के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है। देशभर में लोग अलग-अलग तरीके से करते हैं साइकिल की सवारी। जहां डेनमार्क को सिटी ऑफ साइक्लिस्ट कहा जाता है वहीं जापान में अंडरग्राउंड मल्टीस्टोरी ऑटोमेटिक पार्किंग सिस्टम की व्यवस्था।
साइकिल, एक ऐसी चीज है, जिसके साथ ज्यादातर लोगों का रिश्ता रहा है। कुछ के लिए आज भी यह जिंदगी का अहम हिस्सा है तो कुछ के लिए न भूल पाने वाली यादें। हम भले ही अब साइकिल को एक स्टेंडर्ड न मानते हों, लेकिन दुनिया के बहुत से देशों के लिए यह आज भी उतनी ही लोकप्रिय है। तो चलते हैं दुनिया में साइकिल की सवारी पर...
नीदरलैंड
एकमात्र ऐसा देश है जिसे साइकिल के देश के रूप में जाना जाता है। दरअसल नीदरलैंड में सबसे ज्यादा साइकिल कल्चर है। यहां की सबसे खास बात यहां के लोगों का साइकिल प्रेम है।
चीन
चीन की बात करें तो पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा साइकिलें यहां की सड़कों पर चलती हैं। यहां के हर एक घर में एक साइकिल के एवरेज में देश में 50 करोड़ से ज्यादा साइकिल हैं।
डेनमार्क
डेनमार्क के कोपेनहेगेन को सबसे ज्यादा साइकिल फ्रेंडली देश माना जाता है। इसे सिटी ऑफ साइक्लिस्ट भी कहा जाता है। यहां की तकरीबन 52 परसेंट पॉपुलेशन रेगुलर साइकिल चला रही है। यानि तेल की बढ़ती-घटती कीमत इन्हें परेशान नहीं करती।
जापान
जापान की बात करें तो लोग भले ही इसे पैसे और संसाधनों की बर्बादी बताएं लेकिन जापान दुनिया का पहला देश है, जिसने अपने यहां कई बड़े शहरों में साइकिलों को पार्क करने के लिए अंडरग्राउंड मल्टीस्टोरी ऑटोमेटिक पार्किंग सिस्टम लगाया हुआ है।
अमेरिका
अमेरिका ही दुनिया में ऐसा देश है जिसके लोग अपने आने जाने की कूल ट्रिप्स का केवल एक परसेंट साइकिल चलाकर पूरा करते हैं।
कोलंबिया
कोलंबिया के बोगोटा शहर में 13 परसेंट के पास ही कार है, इससे साइकिल यहां के लोगों के लिए अपरिहार्य बन चुकी है। शहर की प्रमुख सड़कों को सप्ताह में एक दिन के लिए वाहनों से मुक्त रखा जाता है। इस दिन केवल साइकिल सवार, जॉगिंग और स्केटिंग करने वाले लोग ही चल सकते हैं।
ब्राजील
ब्राजील के क्युरितिबा शहर की संरचना में साइकिल यातायात को ध्यान में रखा गया है। हर जगह आपको साइकिल के चलने के लिए अलग लेन दिख जाएगी।
फिर भी पीछे भारत
दुनिया के दूसरे बड़े साइकिल उत्पादक का तमगा भले ही हमें हासिल हो, 40 परसेंट भारतीय परिवारों के पास होने के बावजूद आज वही साइकिल से चलते हैं जिनके पास कोई विकल्प नहीं है। साइकिल से चलना हमें शान के खिलाफ लगता है। हालांकि यहां भी जनमानस बदल रहा है। पर्यावरण के बारे में लोग सोचना शुरू कर चुके हैं।
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