पर्यावरण संरक्षण : अब एनजीओ सुधारेंगे दिल्ली एनसीआर की आबोहवा
दिल्ली-एनसीआर में डीजल वाहनों के पंजीकरण पर वाहन की कुल लागत का 2 फीसद पर्यावरण कर के रूप में देना पड़ता है।
दिल्ली एनसीआर की आबोहवा में सुधार की डोर अब सरकारी एजेंसियों के ही हाथों में नहीं रहेगी। एनजीओ (स्वयंसेवी संस्थाएं) भी पर्यावरण के प्रहरी बन सकेंगे। वे पर्यावरण प्रदूषण को लेकर विभिन्न क्षेत्रों में काम करेंगे। इसके लिए उन्हें सीपीसीबी (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) से यथासंभव आर्थिक सहयोग भी मिलेगा।
गौरतलब है कि दिल्ली-एनसीआर में डीजल वाहनों के पंजीकरण पर वाहन की कुल लागत का 2 फीसद पर्यावरण कर के रूप में देना पड़ता है। इस कर के रूप में आने वाला पैसा सीपीसीबी के खाते में जमा होता है। इस खाते व फंड का नाम है ईपीसी (एनवॉयरमेंट प्रोटेक्शन चार्ज)।
लगभग 20 करोड़ रुपये से अधिक के इस फंड को लेकर पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने सीपीसीबी और ईपीसीए (पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण) को आदेश दिया था कि इसका उपयोग पर्यावरण की बेहतरी के लिए किया जाना चाहिए। जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के इसी आदेश के मद्देनजर सीपीसीबी ने अपना प्रस्तावित प्लान ईपीसीए को सौंप दिया है। ईपीसीए ने इसे कोर्ट में जमा करा दिया है। प्लान में पर्यावरण की बेहतरी के लिए काम करने वाले संगठनों, संस्थानों और एनजीओ को आर्थिक मदद करने का निर्णय लिया गया है। यह मदद पांच श्रेणियों में दी जाएगी।
सीपीसीबी के एक अधिकारी बताते हैं कि इससे पर्यावरण संरक्षण का दायरा और विस्तृत होगा, जनता भी जागरूक होगी। निजी स्तर पर भागीदारी बढ़ने से परिणाम भी सकारात्मक आएंगे। खास बात यह कि इस फंडिंग के दायरे में एनसीआर के साथ-साथ पंजाब भी शामिल रहेगा।
संजीव गुप्ता