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Nirjala Ekadashi 2020: इन प्यार भरे मैसेज के साथ करें इस शुभ दिन की शुरुआत

हिंदू पंचांग के हिसाब से एक साल में कुल 24 एकादशियां पड़ती हैं। सभी में भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना खासतौर से की जाती है। लेकिन निर्जला एकादशी करने से सभी एकादशियों का फल मिलता है।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Tue, 02 Jun 2020 07:00 AM (IST)Updated: Tue, 02 Jun 2020 07:21 AM (IST)
Nirjala Ekadashi 2020: इन प्यार भरे मैसेज के साथ करें इस शुभ दिन की शुरुआत
Nirjala Ekadashi 2020: इन प्यार भरे मैसेज के साथ करें इस शुभ दिन की शुरुआत

निर्जला एकादशी का व्रत आज यानि 2 जून (मंगलवार) को है। जो हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के हिसाब से एक साल में कुल 24 एकादशियां पड़ती हैं। सभी में भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना खासतौर से की जाती है। लेकिन निर्जला एकादशी करने से सभी एकादशियों का फल मिलता है।

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Nirjala Ekadashi wishes in Hindi

1. विष्णु जिनका नाम हो, उस प्रभु को 

निर्जला एकादशी के पावन अवसर पर 

शत-शत प्रणाम

हैप्पी निर्जला एकादशी।

2. दो नयनों में क्यों रहें, निरंतर चर्तुर्मास

एकादशी है निर्जला, रख लो तुम उपवास।

3. ताल बजे, मुदंग बजे

बजे हरी की वीणा

जय राम, जय राम कृष्ण हरी

हैप्पी निर्जला एकादशी।

4. कमलनयन नारायण योगनिद्रा में चर्तुमा जो सोवत हैं 

निद्रा में ही...इस कर से उस करवट प्रभु जी होवत हैं।

5. शान्ताकारं भुजगशयनं पद्नानाभं सुरेशं।

विश्वधारं गगनसद्शं मेघवर्णं शुभाड्गमं।

लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं।

वंदे विष्णु भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।

हैप्पी निर्जला एकादशी।

6. ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नमः

हैप्पी निर्जला एकादशी।

तो अपने प्रियजनों निर्जला एकादशी के ये मैसेज भेजने के साथ ही उससे जुड़ी कथा भी जान लें।

निर्जला एकादशी की व्रत कथा

एक बार जब महर्षि वेदव्यास पांडवों को चारों पुरुषार्थ- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाले एकादशी व्रत का संकल्प करा रहे थे। तब महाबली भीम ने उनसे कहा- पितामह। आपने प्रति पक्ष एक दिन के उपवास की बात कही है। मैं तो एक दिन क्या, एक समय भी भोजन के बगैर नहीं रह सकता- मेरे पेट में वृक नाम की जो अग्नि है, उसे शांत रखने के लिए मुझे कई लोगों के बराबर और कई बार भोजन करना पड़ता है। तो क्या अपनी उस भूख के कारण मैं एकादशी जैसे पुण्य व्रत से वंचित रह जाऊंगा?

तब महर्षि वेदव्यास ने भीम से कहा- कुंतीनंदन भीम ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की निर्जला नाम की एक ही एकादशी का व्रत करो और तुम्हें वर्ष की समस्त एकादशियों का फल प्राप्त होगा। नि:संदेह तुम इस लोक में सुख, यश और मोक्ष प्राप्त करोगे। यह सुनकर भीमसेन भी निर्जला एकादशी का विधिवत व्रत करने को सहमत हो गए और समय आने पर यह व्रत पूर्ण भी किया। इसलिए वर्ष भर की एकादशियों का पुण्य लाभ देने वाली इस श्रेष्ठ निर्जला एकादशी को पांडव एकादशी या भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है।


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