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DIGITAL WORLD : लर्निंग-नेटवर्किग की खुली हैं राहें

वर्चुअल क्लासरूम वीडियो आगमेंटेड रियलिटी रोबोट जैसे कई तरह के तकनीकी टूल बेहतर समावेशी शैक्षणिक माहौल तैयार कर रहे हैं। यदि इन विविध तकनीकों को प्रभावी ढंग से उपयोग में लाया जाए तो मूल्यांकन निगरानी के साथ-साथ वर्चुअल क्लासरूम के माध्यम से पढ़ाई भी अपेक्षाकृत अधिक उन्नत हो सकती है।

By Jagran NewsEdited By: Brahmanand MishraPublished: Fri, 30 Sep 2022 04:37 PM (IST)Updated: Fri, 30 Sep 2022 04:37 PM (IST)
DIGITAL WORLD : लर्निंग-नेटवर्किग की खुली हैं राहें
युवाओं के लिए तमाम प्रामाणिक आनलाइन प्लेटफार्म उपलब्ध हैं, जिसका उपयोग करके मनपसंद कोर्स/पढ़ाई की जा सकती है,

ब्रह्मानंद मिश्र । आज के समय में जानने-सीखने की ललक रखने वाले युवाओं के लिए तमाम प्रामाणिक आनलाइन प्लेटफार्म उपलब्ध हैं, जिसका उपयोग करके न सिर्फ अपना मनपसंद कोर्स/पढ़ाई की जा सकती है, बल्कि नेटवर्किंग से जुड़कर करियर को आगे बढ़ाने का रास्ता भी तलाशा जा सकता है। जानते हैं कुछ ऐसे ही तरीकों के बारे में...

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डिजिटल लर्निंग टूल्स पढ़ाई को रोचक बनाने, लेसन प्लान और व्यक्तिगत शिक्षण को आसान बनाने में बेहद मददगार साबित हो रहे हैं। नये जमाने की स्किल्स सीखने में भी डिजिटल तकनीकें कहीं अधिक कारगर हैं। वर्चुअल क्लासरूम, वीडियो, आगमेंटेड रियलिटी, रोबोट जैसे कई तरह के तकनीकी टूल बेहतर समावेशी शैक्षणिक माहौल तैयार कर रहे हैं। यदि इन विविध तकनीकों को प्रभावी ढंग से उपयोग में लाया जाए, तो मूल्यांकन, निगरानी के साथ-साथ वर्चुअल क्लासरूम के माध्यम से पढ़ाई भी अपेक्षाकृत अधिक उन्नत हो सकती है। यहां जानते हैं कुछ ऐसे तरीकों के बारे में, जिससे शिक्षण-प्रशिक्षण में तकनीकों का अधिकतम लाभ उठाया जा सकता है :

डिजिटल लाइब्रेरी का उठाएं फायदा

किसी कोर्स की शुरुआती तैयारी करने से लेकर एक्सपर्ट कोर्सेज तक की सुविधा डिजिटल माध्यमों से प्राप्त की जा सकती है। स्मार्ट सर्च इंजन और क्लाउड स्टोरेज से आज अनेक तरह की सूचनाएं प्राप्त करना आसान हो गया है। अपने स्टडी रूम में रिफरेंस मैटीरियल के लिए अब किताबों के ढेर को पलटने की जरूरत नहीं है। रिफरेंस या साइटेशन के इस्तेमाल से बड़े पैमाने पर डिजिटल डाटा को आसानी से एक्सेस किया जा सकता है। डिजिटली फार्मेटेड किताबें, पेपर टेक्स्टबुक के मुकाबले काफी सस्ती होती हैं। इससे समाज के हर वर्ग के छात्र को अच्छी किताबों का एक्सेस मिल जाता है। लर्नर इन किताबों और शोधपत्रों को अपने टेबलेट या लैपटाप में सेव भी कर सकते हैं। छात्र आनलाइन माध्यमों से सूचनाएं और आइडियाज को भी खोज सकते हैं, जिससे उनका समय बचेगा। संस्थानों के साथ भागीदारी कर तमाम तरह की ई-बुक, ई-जर्नल, ई-मैगजीन, ई-रिसर्च पेपर समेत तमाम तरह के स्टडी मैटीरियल प्राप्त किए जा सकते हैं।

डिजिटल दुनिया में जिन माध्यमों की मदद ली जा सकती है, उनमें प्रमुख हैं :

  • नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी आफ इंडिया (https://ndl.iitkgp.ac.in/)
  • गूगल बुक्स (https://books.google.co.in/)
  • प्रोजेक्ट गुटेनबर्ग (https://www.gutenberg.org/)
  • ओवर ड्राइव (https://www.overdrive.com/) आदि।

सेल्फ गाइडेड लर्निंग की सुविधा

तकनीक की मदद से लर्नर दुनिया में कहीं से भी तरह-तरह के रिसोर्स और एक्सपर्ट को एक्सेस कर सकते हैं। साथ ही, लर्नर किसी विषय की सैद्धांतिक समझ को अपनी क्षमता के अनुरूप और समय के हिसाब से विकसित कर सकते हैं। तकनीक आधारित शिक्षा में छात्रों को सीखने और समझने के लिए कई तरह की वैकल्पिक व्यवस्था उपलब्ध होती है। पाठ्यक्रमों का अभ्यास और मूल्यांकन करने के लिए कई तरह के आनलाइन टूल्स मौजूद हैं। साइंस, इंजीनियरिंग और मैथ्स के सिद्धांतों को विजुअल एड के बिना समझना आसान नहीं होता। वर्चुअल माडल्स और सिमुलेशन के माध्यम से कठिन-कठिन विषयवस्तु को आसानी से समझा जा सकता है। इसमें ड्यूलिंगो, सोलोलर्न, खान एकेडमी, कोर्सेरा, ईडीएक्स जैसे प्लेटफार्म मददगार साबित हो सकते हैं।

चुनें मनपसंद आनलाइन कोर्स

हाल के वर्षों में आनलाइन कोर्सेस की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है। करियर डेवलपमेंट के लिए भी आनलाइन माध्यमों द्वारा कम समय और कम फीस में कोर्स किए जा सकते हैं। कंप्यूटर कोडिंग या वेब डेवलपमेंट जैसे कोर्स करना हर किसी के लिए आसान हो गया है। साथ ही, आप इस तरह के कोर्स कर रहे या कर चुके लोगों के साथ भी वर्चुअली जुड़ सकते हैं। उनसे कोर्स और करियर संभावनाओं के बारे में विचार-विमर्श कर सकते हैं। इससे सीखने की क्षमता में तो सुधार होगा ही, आपके नेटवर्क का दायरा भी बढ़ेगा। इससे आपको अपने करियर का दायरा बढ़ाने में मदद मिल सकती है। दूरदराज के इलाकों में रहने वाले छात्र भी इन माध्यमों पर विश्वस्तरीय कोर्सों से जुड़ सकते हैं। हार्वर्ड (https://pll.harvard.edu/catalog) और कैंब्रिज विश्वविद्यालय (https://www.ice.cam.ac.uk/courses/online-courses) समेत दुनिया के लगभग सभी शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों द्वारा आनलाइन कोर्सेज की सुविधा दी जा रही है। इसके अलावा अपग्रेड, उडेमी, कोर्सेरा, लिंक्डइन लर्निंग और स्किलशेयर से भी कोर्स किए जा सकते हैं।

एआइ और एमएल के फायदे

लर्निंग प्रासेस और फीडबैक प्राप्त करने में भी तकनीक काफी मददगार है। मूल्यांकन के लिए शिक्षक की प्रतिक्रिया का इंतजार करने के बजाय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) और मशीन लर्निंग (एमएल) से कुछ सेकंड में ही प्रश्नों के उत्तरों को जांचा जा सकता है यानी छात्रों/प्रतियोगी परीक्षाओं के अभ्यर्थियों को जिस विषय या स्किल पर अधिक अभ्यास की जरूरत है, वे एआइ और एमएल की मदद से अपने प्रदर्शन का आकलन करते हुए उसमें सुधार कर सकते हैं। भारत में छात्र-शिक्षक अनुपात एक गंभीर चिंता का विषय है, लेकिन एडटेक कंपनियों के विस्तार से इस समस्या का भी प्रभावी समाधान दिखने लगा है। इसका कारण है कि टीचिंग और लर्निंग दोनों ही प्रक्रिया अब तेजी से आटोमेशन आधारित होती जा रही है।

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कौशल अपडेट करके रहेंगे आगे

आज के समय में लाइफलांग लर्निंग की आवश्यकता लगभग सभी के लिए है, चाहे वह कोई छात्र हो या फिर किसी भी क्षेत्र के वर्किंग प्रोफेशनल। सभी को बदलते समय और तकनीक के अनुसार नये कौशल को सीखने की जरूरत होती है। स्थापित आनलाइन लर्निंग प्लेटफार्म पर दुनिया के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों के सहयोग से कोर्स/कंटेंट उपलब्ध कराये जा रहे हैं। आनलाइन होने के कारण इसका लाभ कहीं से भी उठाया जा सकता है। इसमें तमाम कोर्स/कंटेंट निश्शुल्क भी होते हैं। कोर्सेरा पर दुनिया की 28 भाषाओं में कोर्स उपलब्ध हैं। हिंदी सहित भारत की अन्य भाषाओं में भी कंटेंट/कोर्स उपलब्ध कराने पर काम किया जा रहा है।

राघव गुप्ता, प्रबंध निदेशक, कोर्सेरा (भारत)


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