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रमजान के पाक महीने का आखिरा अशरा शुरू, गुनाहों से तौबा मांगने की रात है लैलातुल कद्र

Ramadan 2020 लैलातुल कद्र वो रात है जिस रात को अल्लाह अपने बंदों की दुआएं कबूल करता है। उनके गुनाहों को माफ करता है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Fri, 15 May 2020 12:34 PM (IST)Updated: Fri, 15 May 2020 12:34 PM (IST)
रमजान के पाक महीने का आखिरा अशरा शुरू, गुनाहों से तौबा मांगने की रात है लैलातुल कद्र
रमजान के पाक महीने का आखिरा अशरा शुरू, गुनाहों से तौबा मांगने की रात है लैलातुल कद्र

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। रमजान के पाक महीने का आखिरा अशरा(रमजान के महीने के आखिरी दस दिन) शुरू हो गया है। मुसलमानों के लिए रमजान का ये आखिरी अशरा अल्लाह के और भी करीब पहुंचने का है। रमजान के 21 वें रोजे से मुसलमान उस पाक रात की तलाश में जुट जाते हैं, जिस रात को कुरान नाजिल हुआ था। इस रात मुसलमान पूरी रात जाग कर अल्लाह की इबादत करते हैं। अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं और अल्लाह की बारगाह में दुआएं तलब करते हैं। आखिरी नबी मोहम्मद सल्लाहो अलैहे वसल्लम लैलातुल कद्र पर अल्लाह की पूरी रात इबादत करते थे और नमाज की पाबंदी रखते थे। जिस रात को कुरान नाजिल हुआ, उस रात को शब-ए-कद्र कहते हैं।

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कौन-कौन सी है लैलातुल कद्र- रमजान के आखिरी अशरे में अल्लाह ताला ने लेलातुल कद्र को इन पांच रातों में छुपाया हुआ है, जो रमजान के महीने की आखिरी दस रातों में से एक है। ये वो रात है, जो रामजान के 21वे, 23 वे 25 वे, 27 वे और 29 वे रोजे की रात में किसी एक दिन होती है। लैलातुल कद्र की इन पांच रातों में से मुस्लमान 27 वे रोजे की राज को कसरत से इबादत करते हैं और खुदा से दुआ तलब करते हैं। लैलातुल कद्र की रात में की गई इबादत को कुरान में एक हजार रातों तक की गई इबादत के बराबर बताया गया है। इस रात को कई नामों से पुकारा जाता है। गुनाहों से तौबा करने की रात, मगफिरत की रात और इबादत की रात है, जब खुदा ने कुरान नाजिल किया।

लोगों के लिए इस रात की अहमियत- इस रात का सारे आलम के मुसलमान शिद्दत से इंतजार करते हैं। इन पांच रातों में पूरी रात जागकर इबादत करते हैं। इस मुकद्दत रात में अपने गुनाहों की अल्लाह से माफी मांगते हैं। अपनी और अपने वाल्देन (माता-पिता) की मगफिरत की दुआएं करते हैं। 

                    Written By Shahina Noor


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