परफेक्ट के बजाय खुद को बेहतर बनाने की करें कोशिश, रहेंगी हमेशा खुश
परफेक्शन की चाहत आपको पूर्णता तो नहीं देती पर मन में अधूरापन जरूर ला देती है। अच्छाइयों के बजाय कमियों पर फोकस करने की ओर ले जाती है इसलिए परफेक्ट नहीं बेहतर बनने की कोशिश करें।
हर काम में परफेक्ट होना, हर बात में सही सलीका अपनाना और जिम्मेदारी के हर मोर्चे पर एक आदर्श उदाहरण पेश करने की अपेक्षाओं महिलाओं से की जाती है। वे खुद भी परफेक्ट बनने और हर एक की अपेक्षाओं पर खरे उतरने के मोह को दूर नहीं कर पाती, पर ऐसा करना उनके लिए शारीरिक-मानसिक समस्याओं का सबब बन जाता है। इनसे दूर रहने के लिए आपको अपने रवैये में बदलाव करने की जरूरत है। परफेक्शन की चाहत आपको पूर्णता तो नहीं देती पर मन में अधूरापन जरूर ला देती है। अपनी अच्छाइयों के बजाय कमियों पर फोकस करने की ओर ले जाती है, इसलिए परफेक्ट बनने की कोशिश करने के बजाय खुद को बेहतर बनाने की कोशिश कीजिए।
1. बेहतर बनिए
आदर्श या अव्वल हो जाने के लिए नहीं, बल्कि बेहतरी की राह पर चलने की सोचें। यूं भी पूरी तरह खुद को आदर्श व्यक्तित्व बनाने के फेर में पड़ने की बजाय संवारने की कोशिशें ज्यादा अच्छी होती हैं। ऐसी कोशिशें, जिनमें आप खुद को तराशें और आज को बीते हुए कल से बेहतर बना सकें। साथ ही आने वाले कल की बेहतरी की बुनियाद भी रख सकें। सुखद है कि ऐसे प्रयास परफेक्शन के पहलू पर सोचने के नहीं होते बल्कि जिंदगी के सफर को जी भरकर जीने का जरिया बनते हैं।
2. कोई परफेक्ट नहीं होता
खुद को इम्परफेक्ट समझते हुए एक बड़ी गलती दूसरों को परफेक्ट समझ लेने की भी होती है। जबकि सच तो यह है कि कोई भी इंसान परफेक्ट नहीं होता है, इसलिए अपने-परायों के बीच खुद को कमतर आंकने की सोच मन में ना आने दें। यह आपके आत्मविश्वास और स्वाभिमान को चोट पहुंचाने वाले विचार हैं। खुद के प्रति सकारात्मक विचारों के मोर्चे पर हमेशा मजबूती से डटी रहें। इतना ही नहीं इस बात की भी परवाह मत कीजिए कि लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं। ऐसी सोच हर पहलू पर आपका अपना बिगाड़ ही करती है। हर इंसान में कुछ ना कुछ खास जरूर होता है पर कोई भी इंसान आदर्श व्यक्तित्व का धनी नहीं हो सकता। इसलिए अपनी खासियत को कायम रखिए। परफेक्ट होने से ज्यादा अच्छा है, यूनीक होना।
3. खुशियां बटोरिए
कहावत है कि 'यह बात बिल्कुल सच है कि आप बहुत सारी चीजों में परफेक्ट नहीं हैं, लेकिन यह बात भी बिल्कुल सच है कि बहुत सारी चीजें आपके बिना परफेक्ट नहीं हैं।' इसलिए खुद को स्वीकारिए। अपने हिस्से की खुशियां बटोरने के लिए अपने बारे में अच्छा महसूस करने की आदत डालिए। खुद को जानने और स्वीकारने के भाव के प्रति सहज रहना सीखिए। आप भीतर या बाहर से जो भी हों, अपने आप पर स्नेह लुटाइए। आप जो कुछ भी करें उसमें हर हाल में अव्वल नहीं रह सकतीं। परफेक्ट मां, परफेक्ट पत्नी और परफेक्ट प्रोफेशनल पर्सन नहीं बन सकतीं। हां, जो कुछ कर रही हैं, उसे मन से कीजिए। अपनी उस खास भूमिका को एन्जॉय करना सीखिए। अनुभव बटोरिए और सहजता से आगे बढ़ जाइए। खुद पर परफेक्ट बनने या बने रहने का अस्वाभाविक दबाव मत बनाइए। याद रखिए कि बिना किसी दबाव के जीना, अपने जैसा होना ही आपको सच्ची खुशी दे सकता है।4. दूसरों से भी उम्मीद ना लगाएं
कई बार मन सिर्फ इस बात को लेकर दुखी हो जाता है कि आपने जिस इंसान को हर तरह से परफेक्ट समझा, वह इंसान कुछ अलग ही निकलता है। उसमें कई कमियां दिखने लगती हैं। ऐसे में हैरान-परेशान ना हों। कोई इंसान पूरी तरह परफेक्ट नहीं होता। अफसोस कि यह जानते-समझते हुए भी हम अपने जीवनसाथी, दोस्तों, रिश्तेदारों और आस-पड़ोसियों से परफेक्ट होने की उम्मीद लगा लेते हैं। नतीजतन, उनसे हमारी अपेक्षाएं भी बढ़ जाती हैं। हमारे मन में उनकी एक खास छवि बन जाती है जबकि कोई भी इंसान किसी एक खांचे में फिट नहीं हो सकता। कई बार समय और हालात भी इंसान को बदल देते हैं। इन सभी बातों को सहजता से स्वीकारिए। न तो खुद को परफेक्ट बनाने की सोचिए और ना ही दूसरों से हर हाल में परफेक्ट रहने की उम्मीद पालिए।