वर्ल्ड हीमोफीलिया डे- मरीजों को मिलेगा अब पूरा इलाज
विश्व हीमोफीलिया दिवस.. मरीजों को रक्तस्राव से बचाव के लिए हर हफ्ते लगाया जाएगा इंजेक्शन..
हीमोफीलिया का इलाज महंगा होने के कारण मरीजों को सही इलाज नहीं मिल पाता, लेकिन अब लोकनायक अस्पताल के हीमोफीलिया सेंटर में मरीजों को पूर्ण इलाज देने की व्यवस्था होगी। इसके तहत मरीज को हर सप्ताह एक इंजेक्शन लगाया जाएगा ताकि हीमोफीलिया से पीड़ित मरीजों को आंतरिक या बाहरी रक्तस्राव न होने पाए। इससे मरीजों में यह बीमारी गंभीर रूप धारण नहीं कर पाएगी। 17 अप्रैल को विश्व हीमोफीलिया दिवस है। ऐसे में हीमोफीलिया से पीड़ित मरीजों और उनके तीमारदारों के लिए यह राहत भरी खबर हो सकती है। हीमोफीलिया के इलाज के लिए लोकनायक अस्पताल में देश का सबसे बड़ा सेंटर है। यहां देश के दूसरे राज्यों से भी मरीज पहुंचते हैं। मौजूदा समय में अस्पताल में हीमोफीलिया की बीमारी से पीड़ित करीब 2750 मरीज पंजीकृत हैं, जबकि देश में डेढ़ लाख लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। इलाज महंगा और जांच कठिन होने के चलते इसके इलाज की सुविधा चुनिंदा जगहों पर ही है।
हीमोफीलिया अनुवांशिक बीमारी है, जिससे पुरुष पीड़ित होते हैं और महिलाएं इस बीमारी की वाहक होती हैं। लोकनायक अस्पताल के हीमोफीलिया सेंटर के प्रमुख डॉ. नरेश गुप्ता ने कहा, यह बीमारी अक्सर बचपन में सामने आ जाती है। वैसे किसी भी उम्र के लोग इससे पीड़ित हो सकते हैं। व्यक्ति के रक्त में फैक्टर आठ व नौ की कमी के के चलते यह बीमारी होती है और पीड़ित मरीज को शरीर के किसी हिस्से में आंतरिक या बाहरी रक्तस्राव होने लगता है। रक्त जमकर ट्यूमर का रूप ले लेता है। इस बीमारी से पीड़ित मरीजों को फैक्टर आठ व नौ का इंजेक्शन लेना पड़ता है। उन्होंने कहा कि मरीजों को यह इंजेक्शन तब दिया जाता है, जब उन्हें परेशानी होती है। अब ऐसा नहीं होगा। मरीजों को हर सप्ताह एक इंजेक्शन लगाया जाएगा। इससे मरीजों में बीमारी उभरकर सामने नहीं आएगी।
पहले क्या थी परेशानी
पहले मरीजों को पूरा इलाज इसलिए नहीं मिल पाता था क्योंकि मरीजों को सप्ताह में फैक्टर आठ के तीन व फैक्टर नौ के दो इंजेक्शन लेने पड़ते थे। अब नया इंजेक्शन आया है, जिसे सप्ताह में सिर्फ एक बार लगाना पड़ेगा। अस्पताल में उसका क्लिनिकल ट्रायल सफल रहा है। उम्मीद है कि जल्द ही ड्रग्स कंट्रोलर से उस इंजेक्शन को स्वीकृति मिल जाएगी। इसके बाद वह इंजेक्शन उपलब्ध हो जाएगा।
2750 मरीज पंजीकृत हैं मौजूदा समय में इस बीमारी से।
बीमारी का इलाज महंगा और कठिन होने से इलाज की सुविधा चुनिंदा जगहों पर है।
-जेएनएन
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