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Happy Lohri 2021: जानें लोहड़ी पर आग जलाने के पीछे की वजह और पर्व से जुड़ी कुछ खास बातें

Happy Lohri 2021 लोहड़ी के अवसर पर पंजाब में फसल की कटाई शुरु हो जाती है। नई फसल के आगमन की खुशी में अलाव जलाकर और रेवड़ीमूंगफली बांटकर यह त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। लोग नाचते-गाते भी हैं।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Wed, 13 Jan 2021 07:42 AM (IST)Updated: Wed, 13 Jan 2021 07:42 AM (IST)
Happy Lohri 2021: जानें लोहड़ी पर आग जलाने के पीछे की वजह और पर्व से जुड़ी कुछ खास बातें
लोहड़ी सेलिब्रेशन बैनर और खूबसूरत ग्रीटिंग कार्ड

लोहड़ी का पर्व खुशी और उल्लास मनाने का त्योहार है, जिसमें सभी लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर मौज-मस्ती से यह त्योहार मनाते हैं। इसे मनाने के लिए बीचो-बीच आग जलाई जाती है और उसके चारों तरफ पंजाबी लोग नृत्य करते हुए गीत गाते हुए फेरे लगाते हैं। कभी सोचा है आखिर लोहड़ी के त्योहार में आग क्यों जलाई जाती है? लोहड़ी पर आग जलाने के पीछे एक पौराणिक कथा और पर्व से जुड़ी कुछ खास बातें..

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अच्छी फसल की कामना के लिए

पंजाब प्रांत देश के उन राज्यों में से एक है जहां के किसान काफी समृद्घ और मेहनती माने जाते हैं। खेती ही उनका मुख्य व्यवसाय होता है। लोहड़ी के अवसर पर यहां फसल की कटाई शुरु हो जाती है। नई फसल के आगमन की खुशी में अलाव जलाकर और रेवड़ी,मूंगफली बांटकर यह त्योहार मनाया जाता है। पंजाबी लोगों में नवविवाहित जोड़ों और बच्चे के जन्म लेने पर लोहड़ी का त्योहार विशेष धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इसके अलावा इस दिन गन्ने की फसल की भी कटाई की जाती है। वहीं नई फसल के गुड़ का प्रयोग त्योहार में भी किया जाता है। वहीं जिन लोगों का नया विवाह हुआ होता है उन्हें लोहड़ी के दिन गाने गाकर बधाई दी जाती है। इसके अलावा इस दिन लोहड़ी के गीत भी गाए जाते हैं।

पौराणिक मान्यताएं भी

मान्यता है कि लोहड़ी के दिन आग राजा दक्ष की पुत्री सती की याद में आग जलाई जाती है। पुरानी मान्यताओं के अनुसार राजा दक्ष ने यज्ञ करवाया तो पुत्री सती और दामाद शिव को आमंत्रित नहीं किया। इस पर सती ने अपने पिता से इसका कारण पूछा तो वे दोनों की निंदा करने लगे। इससे सती ने क्रोधित होकर उसी यज्ञ में अपनेआप को भस्म कर लिया। सती की मृत्यु यह समाचार सुनकर भगवान शिव ने यज्ञ को विधवंस कर दिया। तभी से सती की याद में इस पर्व पर आग जलाने की परंपरा है।

दुल्ला भट्टी का याद में

लोहड़ी के पर्व के दौरान दुल्ला भट्टी। को भी याद किया जाता है और लोहड़ी के गानों में दुल्ला भट्टी का नाम जरूर लिया जाता है, दुल्ला भट्टी एक लुटेरा हुआ करता था जो कि लड़कियों को अमीर व्यापारियों से छुड़वा कर उनकी शादी करवाता था। इसके अलावा दुल्ला भट्टी गरीब लोगों की भी मदद किया करता था। मान्यता है कि तब से ही हर साल लोहड़ी के पर्व पर दुल्ला भट्टी की याद में उनकी पूर्व पर दुल्ला भट्टी की याद में उनकी कहानी सुनाने की परंपरा चली आ रही है।

लोहड़ी के त्योहार का समय

देशभर में लोहड़ी का त्योहार बुधवार के दिन 13 जनवरी को मनाया जाएगा। वहीं लोहड़ी संक्रांति का समय 14 जनवरी की सुबह 8.29 का होगा। 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी।

दुल्ला भट्टी की बहादुरी की दास्तां के रूप में आज भी लोहड़ी के दिन ये गीत गाया जाता है

सुंदर मुंदरिये हो, तेरा कौन विचारा हो,

दुल्ला भट्टी वाला हो, दुल्ले धी (लड़की) व्याही हो,

सेर शक्कर पाई हो।

अलग-अलग नामों से पहचान

- लोहड़ी को अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है।

- पंजाब के कुछ ग्रामीण इलाकों में इसे लोई भी कहा जाता है।

- इसके पीछे मान्यता यह है कि संत कबीर की पत्नी को लोही कहा जाता था।

- उन्हीं के नाम पर इस त्योहार को लोहड़ी कहा जाने लगा। कई जगह लोहड़ी को तिलोड़ी भी कहा जाता था।

- यह शब्द तिल और रोड़ी यानि गुड़ के मेल से बना है। समय के साथ इसे बदलकर लोहड़ी कहा जाने लगा।

Pic credit- Freepik


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