Fact Check By Vishvas News: ज़ुकरबर्ग की एडिटेड फोटो से लेकर मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी के झूठे वीडियो तक, जानें सभी वायरल पोस्ट का सच
Fact Check By Vishvas News जागरण की वेबसाइट विश्वास न्यूज़ की फैक्ट चेक टीम रोज़ाना ऐसी ही ख़बरों का सच हमारे रीडर्स के लिए सामने लाती है। एक नज़र डालें मंगलावर 25 मई 2021 की टॉप 6 ख़बरों पर।
नई दिल्ली। सोशल मीडिया के इस ज़माने में लगभग रोज़ाना हमारा सामना कम से कम एक अफवाह या फेक न्यूज़ से ज़रूर हो जाता है। हालांकि, अफवाह आजकल ज़्यादा हो गई हैं, ऐसा नहीं है। ये तब से हैं जब दुनिया में इंटरनेट, टीवी या टेलीफोन नहीं थे। ये बात अलग है कि उस ज़माने में इन अफवाहों का दायरा कम होता है और आज इंटरनेट की वजह से दुनिया के हर कोने में पल भर में फैल जाती हैं।
जागरण की वेबसाइट 'विश्वास न्यूज़' की फैक्ट चेक टीम रोज़ाना ऐसी ही ख़बरों का सच हमारे रीडर्स के लिए सामने लाती है। पेश हैं मंगलावर की टॉप 6 ख़बरें।
Fact Check: फेसबुक फाउंडर मार्क जुकरबर्ग के साथ इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू की ये तस्वीर एडिटेड है
फलस्तीन और इजरायल के बीच चल रही हिंसक झड़पों के बीच इससे जुड़े ढेरों दावे सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। इस बीच सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर की जा रही है, जिसमें इजरायली फ़ौज की यूनिफॉर्म पहने फेसबुक फाउंडर मार्क जुकरबर्ग के साथ इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू को देखा जा सकता है। इस तस्वीर को शेयर करते हुए सोशल मीडिया यूजर्स दावा कर रहे हैं कि फेसबुक इजरायल को सपोर्ट कर रहा है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में ये दावा झूठा निकला है। असल में यह तस्वीर मॉर्फ्ड है। असली तस्वीर में नेतन्याहू के साथ इजरायल के सेनाध्यक्ष, लेफ्टिनेंट जनरल अवीव कोहावी थे, फेसबुक फाउंडर मार्क जुकरबर्ग नहीं। असली तस्वीर 2019 की है। पूरी ख़ूबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
Fact Check: पूर्व पीएम डॉक्टर मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी का पुराना वीडियो झूठे दावे से वायरल
सोशल मीडिया पर पूर्व पीएम डॉक्टर मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का एक वीडियो वायरल हो रहा है। यूजर्स दावा कर रहे हैं कि यूपीए सरकार में जब मनमोहन सिंह पीएम थे तो उनकी इज्जत नहीं थी और उन्हें साइडलाइन कर दिया गया था। विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा झूठा निकला है। यह वीडियो 2017 का है और तब डॉक्टर मनमोहन सिंह पीएम नहीं थे। इस वीडियो में तब श्रीलंका के पीएम रानिल विक्रमसिंघे अपनी भारत यात्रा के दौरान पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी से मिले थे। पूरी ख़ूबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
Fact Check: पान के सेवन से कोरोना वायरस से बचाव का फ़र्ज़ी दावा हो रहा सोशल मीडिया पर वायरल
सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस से जुडी फ़र्ज़ी ख़बरों और अफवाहों का सिलसिला अभी भी जारी है। इसी तर्ज़ पर अख़बार की एक क्लिप वायरल हो रही है, जिसमें वैद्य एम् आर शर्मा के हवाले से यह दावा किया गया है कि अगर पान का सेवन किया जाए तो कोरोना वायरस से बचा जा सकता है। विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल दावा फ़र्ज़ी है। पान के सेवन के ज़रिये कोविड 19 वायरस से बचने का कोई भी साइंटिफिक सबूत मौजूद नहीं है। वायरल दावा पूरी तरह बेबुनियाद है। पूरी ख़ूबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
Fact Check: ग्वालियर किले की तस्वीरों को कर्नाटक में मस्जिद के नीचे से निकला जैन मंदिर बता कर किया जा रहा है वायरल
सोशल मीडिया पर एक 4 तस्वीरों का कोलाज वायरल हो रहा है, जिसमें कुछ लोगों को एक पुरानी इमारत का मुआयना करते देखा जा सकता है। तस्वीरों में भगवान महावीर की मूर्तियां प्रमुख तौर पर देखी जा सकती हैं। पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है कि यह कर्नाटक के रायचूर की तस्वीरें हैं, जहां एक मस्जिद के नीचे यह जैन मंदिर निकला है। विश्वास न्यूज़ की पड़ताल में दावा गलत निकला। असल में यह ग्वालियर किले के अंदर की तस्वीरें हैं। पूरी ख़ूबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
Fact Check : राजस्थान सरकार के नाम पर 4 लाख रुपए कोरोना मुआवजा देने की फर्जी पोस्ट वायरल
सोशल मीडिया में एक मैसेज तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें दावा किया जा रहा है कि राजस्थान में कोरोना के कारण जिनका निधन हुआ है, उनके परिवार को चार लाख रुपए सरकार की ओर से मिलेंगे। पोस्ट को वायरल करने के साथ बाकायदा एक फॉर्म का फॉर्मेट भी वायरल हो रहा है। पोस्ट के साथ बकायदा #rajasthan लिखकर वायरल किया गया है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह पोस्ट फर्जी साबित हुई। हमारी जांच में पता चला कि राजस्थान सरकार की ओर से ऐसा कोई फॉर्म जारी नहीं किया गया है। इसलिए राजस्थान के संदर्भ में यह पोस्ट फर्जी साबित होती है। पूरी ख़ूबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
Fact Check: पश्चिम बंगाल की पुरानी तस्वीर असम के नाम से हो रही वायरल
सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें सड़क पर सब्जियां बिखरी दिख रही हैं और एक युवक इन्हें एकत्रित करता दिख रहा है। तस्वीर को असम का बताकर शेयर किया जा रहा है। दावा है कि असम पुलिस कर्फ्यू के नाम पर आम जनता को तकलीफ दे रही है। विश्वास न्यूज ने पड़ताल में पाया कि वायरल पोस्ट के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक है। दरअसल वायरल तस्वीर मई 2020 में पश्चिम बंगाल में खींची गई थी। इस तस्वीर का असम से कोई संबंध नहीं है। पूरी ख़ूबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
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