Dussehra Facts 2021: दशहरा के बारे में 8 ऐसी बातें जो शायद ही जानते होंगे आप!
Dussehra Facts 2021 नवरात्रि के बाद दशहरा को मनाने के लिए रावण के विभिन्न पुतलों को जलाया जाता है और रामलीला का मंचन किया जाता है। आइए जानें दशहरा के बारे में कुछ ऐसी 8 बातें जो काफी कम लोग जानते हैं।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Dussehra Facts 2021: बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने वाले त्योहार दशहरा, का उत्सव दस दिनों तक पूरे देश में होता है। नवरात्रि के बाद, दशहरा को मनाने के लिए रावण के विभिन्न पुतलों को जलाया जाता है और रामलीला का मंचन किया जाता है। आइए जानें दशहरा के बारे में कुछ ऐसी 8 बातें जो काफी कम लोग जानते हैं।
नाम का महत्व
त्योहार दो जीत का जश्न मनाता है, एक, भगवान राम की दुष्ट राजा रावण पर और दूसरी देवी दुर्गा की राक्षस राजा महिषासुर पर। इसे दशहरा और विजयदशमी दोनों के रूप में जाना जाता है। इन दोनों शब्द संस्कृत से आए हैं, जिनका अर्थ है, दशहरा, दशा + हारा या सूर्य की हार और विजया + दशमाई जिसका अर्थ हुआ, दसवें दिन जीत।
मैसूर में दशहरा
दशहरा भारत के सबसे भव्य त्योहारों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि दशहरा को भव्य तरीके से मनाने की परंपरा 17 वीं शताब्दी के आसपास शुरू हुई थी।
पारंपरिक सावरियां होती हैं, जहां सजे-धजे हाथियों को जुलूस में निकाला जाता है। मुख्य आकर्षण देवी चामुंडेश्वरी हैं, जिन्हें एक सजे हुए हाथी के ऊपर एक सुनहरी पालकी में रखा जाता है।
रावण के 10 सिर
पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण के 10 सिर छह शास्त्रों और चार वेदों के उनके ज्ञान का प्रतीक हैं, जो उन्हें पौराणिक कथाओं में सबसे बुद्धिमान व्यक्ति बनाते हैं। इसके अलावा, 10 सिर 10 मानवीय भावनाओं क्रोध, ईर्ष्या, अहंकार, वासना, लालच, अभिमान, मोह, स्वार्थ, अन्याय और क्रूरता का प्रतिनिधित्व करते हैं।
कुल्लू दशहरा
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में एक सप्ताह तक दशहरा मनाया जाता है। त्योहार दशहरा से शुरू होता है, और उसके बाद एक सप्ताह तक जारी रहता है। यह भगवान रघुनाथ और अन्य देवताओं के साथ के जुलूस के साथ शुरू होता है, जिन्हें देवताओं की घाटी में शहर भर में ले जाया जाता है।
दूसरे देशों में भी मनाया जाता है दशहरा
दशहरा का त्योहार सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। दोनों दशहरा और विजयदशमी को भारत के अलावा नेपाल और बांग्लादेश में भी मनाया जाता है। यहां तक कि मलेशिया में भी इस दिन जश्न होता है।
पांडवों की वापसी
दशहरा के बारे में एक बात जो कम लोग जानते हैं, वह है कि इस दिन पांडव के निर्वासन से घर वापसी का भी जश्न मनाया जाता है। वनवास का अंतिम वर्ष समाप्त होने के बाद, विजयदशमी के पवित्र दिन पर उन्होंने अपने हथियारों को पुनः प्राप्त किया और शस्त्र और शमी वृक्ष दोनों की पूजा की। उसी दिन से शमी के पेड़ को सद्भावना का प्रतीक माना जाता है।
यह दिन बौद्ध धर्म के लिए भी है महत्वपूर्ण
प्रसिद्ध सम्राट अशोक ने इसी दिन बौद्ध धर्म अपना लिया था। एक समय में सम्राट रह चुके अशोक ने पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में बौद्ध धर्म का प्रसार किया और धर्म को दूर-दूर तक फैलाने के लिए ज़िम्मेदार रहे।
मौसम में परिवर्तन का प्रतीक है
दशहरा मॉनसून के मौसम के अंत और ठंडे मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। दशहरे के बाद, किसान खरीफ की फसल काटते हैं और दिवाली के बाद रबी की फसल लगाते हैं।