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Child Care Tips: आपकी इन आदतों की वजह से बच्चों का कॉन्फिडेंस होता है लूज, ऐसे करें बूस्ट

Child Care Tips अपने बच्चे की तुलना अन्य बच्चों से न करें। इससे आपके बच्चे का मनोबल टूटता है। वह अंदर ही अंदर असहज महसूस करने लगता है। इसके बाद वह आपकी हर बात की प्रतिक्रिया डरकर देता है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarPublished: Mon, 06 Feb 2023 05:52 PM (IST)Updated: Mon, 06 Feb 2023 05:52 PM (IST)
Child Care Tips: आपकी इन आदतों की वजह से बच्चों का कॉन्फिडेंस होता है लूज, ऐसे करें बूस्ट
Child Care Tips: आपकी इन आदतों की वजह से बच्चों का कॉन्फिडेंस होता है लूज, ऐसे करें बूस्ट

दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Child Care Tips: बच्चे मन के सच्चे होते हैं। उन्हें आप जिस सांचे में ढालते हैं। बच्चे उसी सांचे में ढल जाते हैं। कई पेरेंट्स इस बात को अच्छी तरह से समझते हैं। वहीं, कई पेरेंट्स बच्चों की प्रतिभा को परखने में गलती कर बैठते हैं। इससे बच्चे का कॉन्फिडेंस भी लूज होता है। अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चे अपने जीवन में बेहतर करें, तो इन आदतों से परहेज करें। आपकी इन आदतों की वजह से आपके बच्चे का कॉन्फिडेंस लूज होता है। आइए जानते हैं-

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-अपने बच्चे की तुलना अन्य बच्चों से न करें। इससे आपके बच्चे का मनोबल टूटता है। वह अंदर ही अंदर असहज महसूस करने लगता है। इसके बाद वह आपकी हर बात की प्रतिक्रिया डरकर देता है।

-अपने बच्चे से अधिक उम्मीद रखना भी बच्चे के मनोबल को कमजोर करता है। आसान शब्दों में कहें तो बच्चे का कॉन्फिडेंस लूज होता है। इसके लिए उन्हें अपने हिसाब से जीने दें।

-बच्चों को स्वाभिमानी बनाएं। उन्हें हर बात पर हेल्पिंग हैंड न दें, बल्कि उन्हें खुद से हर काम करने की आजादी दें। अगर गलती करता है, तो वह सीखने की कोशिश करेगा। इसमें आप सहयोग करें।

-अपने सपनों का बोझ बच्चों के कंधे पर न डालें। बच्चे खुद सपने देखते हैं। उन सपनों को पूरा करने के लिए सोचते हैं। उनके सपने को पूरा करने में मदद करें। बच्चे जिस क्षेत्र में बेहतर करें। उन्हें उस क्षेत्र में जाने की सलाह दें।

-अक्सर पेरेंट्स बच्चों के कॉन्फिडेंस को अंडर एस्टीमेट करते हैं। ऐसी गलती आप न करें। आप यह सोचने की भूल कभी न करें कि वह बच्चा है। आजकल के बच्चे पहले के वनिस्पत अधिक स्मार्ट होते हैं। उनकी आईक्यू शार्प होती है।

-आप अपने बच्चे को सीमाओं में न बांधें। इससे अवसर भी सीमित हो जाते हैं। कोई लिमिट न दें। उन्हें अपने हिसाब से अपने जीवन को बेहतर बनाने की सलाह दें।  

-बच्चे को बार बार पनिश यानी सजा न दें। इससे बच्चों का मनोबल टूटता है। वे अंदर से बिखर जाते हैं। अति होने पर उन्हें डांटे अन्यथा प्यार से बच्चों को समझाएं।

-बच्चे लर्निंग एज में रहते हैं। उन्हें हर कुछ जानने, समझने और सीखने की ललक रहती है। इसके लिए बच्चे अधिक सवाल करते हैं। ऐसी स्थिति में बच्चों के सवाल का जवाब जरूर दें। उनके सवाल को इग्नोर न करें।


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