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Chhath Geet And Songs 2019: घर-आंगनों में गूंजेगे छठ के ये 5 मधुर लोक गीत!

Chhath Geet And Songs 2019 छठ आस्था का पर्व है जिसमें सूर्य देवता और छठी मैया की उपासना की जाती है। छठ में सबसे पहले नहाया खाय फिर खरना और फिर ढलते सूरज को अर्घ दिया जाता है।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Wed, 30 Oct 2019 11:43 AM (IST)Updated: Sat, 02 Nov 2019 11:49 AM (IST)
Chhath Geet And Songs 2019: घर-आंगनों में गूंजेगे छठ के ये 5 मधुर लोक गीत!
Chhath Geet And Songs 2019: घर-आंगनों में गूंजेगे छठ के ये 5 मधुर लोक गीत!

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Chhath Geet And Songs 2019: दिवाली के बाद देश भर में छठ का पर्व धूम धाम से मनाने की तैयारियां हो चुकी हैं। इस व्रत में खासतौर पर भगवान सूर्य और छठी मईया की पूजा का जाती है। महिलाएं छठ पूजा के व्रत को सुहाग की रक्षा के लिए भी रखती हैं। इसी के साथ गली-मौहल्लों में छठ के लोक गीतों की मधुर धुन भी गूंजने लगती है।

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छठ का पर्व आस्था का पर्व है, जिसमें सूर्य देवता और छठी मैया की उपासना की जाती है। छठ में सबसे पहले नहाया खाय, फिर खरना और इसके बाद तीसरे दिन ढलते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है। इस बार ये त्योहार 31 अक्टूबर से शुरू होकर 2 नवंबर को खत्म होगा। नहाय-खाय से शुरू होने वाले इस व्रत में खरना और सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ये व्रत ख़त्म होता है। छठ ही एक ऐसा पर्व है जिसमें ढलते सूरज को भी अर्घ्य दिया जाता है।

छठ शुरू होते ही व्रत रखने वाले लोग अपने घर की साफ-सफाई के बाद स्नान करते हैं। खाने में अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू होता है। ऐसी परंपरा है कि छठ शूरू होने से खत्म होने तक व्रत करने वाले लोग बिस्तर पर नहीं सोते हैं। नहाय-खाय महापर्व का दूसरा चरण खरना होता है। खरना से प्रसाद बनाने के लिए घरों में गेंहू-चावल को पिसवाने का काम भी शुरू हो जाता है। यह पहली नवंबर यानी शुक्रवार को है। इस दिन व्रतीजन शाम को भोजन करते हैं। भोजन में गुड़ खीर खाने की परंपरा है।

डूबते सूर्य को अर्घ्य खरना के बाद तीसरा मुख्य चरण शनिवार यानी दो नवंबर को सूर्य पष्ठी है। इस दिन परिवार के सभी सदस्य मिलजुल कर प्रसाद बनाते हैं। प्रसाद में मुख्य रूप से ठेकुआ, गन्ना, बड़ा नीवू, चावल के लड्डू, फल आदि शामिल होगा। शाम को सूप में प्रसाद सजाकार व्रती अपने परिवार के साथ गंगा-यमुना के विभिन्न घाटों पर डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे। उगते सूर्य को अर्घ्य महापर्व का अंतिम चरण तीन नवंबर यानी रविवार को है। इस दिन व्रतीजन भोर में परिवार के साथ डाला लेकर घाटों पर पहुंचेंगे। घाट पर स्थापित वेदी पर विधिविधान से पूजन-अर्चन के बाद जल में खड़े होकर उगते सूर्य को अर्घ्य देंगे। छठव्रती भगवान भाष्कर को प्रसाद अर्पित करने के बाद पारण करेंगे।


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