पौधों के हिसाब से सही कंटेनर का चुनाव कर आप रख सकते हैं अपनी बगिया हमेशा हरी-भरी
अपनी बगिया को हरा-भरा रखने के लिए सिर्फ पौधे खरीदना ही काफी नहीं होता। समय-समय पर इनकी कटाई-छंटाई भी जरूरी है और उसस भी ज्यादा जरूरी उनके लिए सही पॉट्स चुनना। जी हां इस पर ध्यान देकर आप हर एक सीज़न में अपने बगिया को रख सकते हैं हरा-भरा।
बागबानी का शौक रखने वाले ये बखूबी जानते होंगे कि मिट्टी का गमला पौधों के विकास के लिए बेस्ट होता है, क्योंकि इसमें जड़ों को सही मात्रा में हवा मिल पाती है। अगर आपने मिट्टी से इतर किसी अन्य वस्तु से बने गमलों में पौधे लगाए हैं तो यह ज़रूर सुनिश्चित करें कि उनके बेस में छेद हो, जिससे अतिरिक्त पानी बाहर निकलता रहे। ऐसा न होने पर पौधों के गलने का खतरा रहता है। अगर धातु या किसी अन्य पदार्थ के गमले में छेद करना संभव नहीं है तो उसमें पानी डालने के दौरान विशेष सावधानी बरतें। उदाहरण के तौर पर गर्मियों में एक मध्यम आकार के पौधे में दिन में दो बार एक-एक ग्लास पानी डालना पर्याप्त है। जानेंगे कुछ और ऐसी ही जरूरी बातें।
हों अगर बड़े पौधे
जिन पौधों और पेड़ों की जड़ें मिट्टी की सतह से 1/2-1 फीट तक नीचे जाती हैं, उन्हें 40*40 इंच वाले क्यूबिकल आकार के गमले में लगाना ठीक रहता है। पाम, बोगेनविलिया, क्रिसमस ट्री इसी श्रेणी में आते हैं।
अगर करें ग्रुप प्लांटेशन
हरे पत्तेदार साग हो या पालक जैसे पौधों को 24&6 इंच के ट्रे कंटेनर्स में लगाना ठीक रहता है। एक ट्रे में 20 पौधे तक लग जाते हैं। इनकी जड़ें ज़्यादा फैलती नहीं हैं।
हैंगिंग कंटेनर्स
इनमें बेलों, छोटे और हलके पौधों को लगाना अच्छा रहता है। जैसे पेट्यूनिया, गुलदाउदी, ट्रेलिंग पैन्ज़ी, जेरेनियम आदि।बोन्साई व कैक्टस
छोटे आकार के बोन्साई के पौधे उगाने के लिए कम गहराई वाली ट्रे ठीक रहती है। इनका व्यास 20 सेमी. और गहराई 4-5 सेमी. तक होती है। वहीं कैक्टस के छोटे पौधे सिरेमिक पॉट या ट्रे कंटेनर्स में लगाए जा सकते हैं। नागफनी जैसे बड़े आकार के कैक्टस की जड़ें एक फीट तक मिट्टी के नीचे जाती हैं। इन्हें 40*40 इंच के क्यूबिकल आकार वाले गमले में ही लगाना सही रहता है।
न करें गलत कंटेनर का चुनाव
पौधे की ज़रूरत के हिसाब से गलत कंटेनर का चुनाव करने से पौधा कुछ दिन तो ठीक रहता है, लेकिन उसके बाद उसका विकास रुक जाता है। जड़ों को फैलने की उचित जगह न मिल पाने की वजह से पौधे को पोषण नहीं मिल पाता और वह मुरझा जाता है।
ताकि स्वस्थ रहें पौधे
बारिश के मौसम में पौधों में कीड़े लगना और बीमारियां होना आम है। इनसे बचाव करने के लिए 15 दिन के अंतराल पर विशेषज्ञ की सलाह से कोई पेस्टिसाइड या नीम का तेल स्प्रे करें। बारिश के मौसम में गोबर की खाद डालने से बचें। इसकी जगह एनपीके (नाइट्रोजन-फॉस्फोरस-पोटैशियम) खाद का ही इस्तेमाल करें।