नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क, Basant Panchmi 2023: आज यानी 26 जनवरी को देशभर में बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है। बसंत पंचमी के दिन ही मां सरस्वती की भी पूजा की जाती है। इस त्योहार के साथ ही बसंत के मौसम की शुरुआत हो जाती है। उत्तर भारत के साथ ही बंसत पंचमी का त्योहार बंगाल में भी काफी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। मांगलिक और शुभ कार्यों के लिए बसंत पंचमी का दिन काफी खास होता है। इस त्योहार को हर जगह अलग- अलग तरीकों से मनाया जाता है। इसे साल के अबूझ मुहूर्तों में से एक माना जाता है।
हिंदू पंचाग के मुताबिक माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। वसंत पंचमी के दिन विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्वती की मूर्ति स्थापित की जाती है। पंडाल सजते हैं और पूरे विधि-विधान के साथ मां की पूजा की जाती है। इस अवसर पर घरों में मीठे-नमकीन पकवान भी बनाए- खाए जाते हैं। उत्तर भारत में जहां सरस्वती पूजा के दिन ऐसा माहौल होता है वहीं बंगाल में थोड़ा अलग। बंगाल में इस दिन को वैलेंटाइन डे भी कहा जाता है। आइए जानते हैं बंगाल में कैसे मनाई जाती है वसंत पंचमी।
बंगाल की खास बसंत पंचमी
बंगाल के लोगों के लिए दुर्गा पूजा के बाद अगर किसी फेस्टिवल को लोग सबसे ज्यादा उत्साहित होते हैं तो वो है सरस्वती पूजा। एक तरह से ये उनका वैलेंटाइन डे होता है। सरस्वती पूजा को यहां बोंग वैलेंटाइन डे के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लड़कियां पीली साड़ी, कुर्ती पहनती हैं, तो लड़के कुर्ता-पजामा। यह दोस्ती की शुरुआत और प्यार का इजहार करने के लिए सही समय माना जाता है। जहां अन्य जगहों पर वैलेंटाइन डे पर एक-दूसरे को गिफ्ट देने का ट्रेंड है वहीं बंगाल में आज भी पुराने स्टाइल में ही इस दिन को सेलिब्रेट किया जाता है मतलब प्रेमी अपनी प्रेमिका के लिए कविताएं और गीत लिखते हैं। इस तरह प्रेम की कहानी की शुरुआत होती है।
हाथेखोड़ी भी है सरस्वती पूजा की खास परंपरा
पूजा-पाठ के साथ ही इस दिन बंगाल में हाथेखोड़ी परंपरा का भी आयोजन किया जाता है। यह एक ऐसी परंपरा है जिसमें पहली बार कोई बच्चा अपने हाथों में चॉक या पेंसिल पकड़ता है और परिवार वालों की मदद से स्लेट पर कुछ लिखता है। मां देवी के सामने की जाने वाली इस परंपरा के पीछे मान्यता है कि बच्चा बुद्धिमान होता है।
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