स्वाभिमानी है अनारकली
अपने गीतों को लेकर इन दिनों चर्चा में है स्वरा भास्कर अभिनीत फिल्म ‘अनारकली ऑफ आरा’। इस फिल्म से बतौर निर्देशक शुरुआत कर रहे बिहार से ताल्लुक रखने वाले अविनाश दास....
फिल्म ‘अनारकली ऑफ आरा’ द्विअर्थी गाने गाकर जीवनयापन करने वाली गायिका अनारकली के संघर्ष की कहानी है। पेशे से पत्रकार रहे अविनाश दास इसे एक स्त्री के स्वाभिमान की जंग की दास्तां के तौर पर संबोधित करते हैं।
दरभंगा से मायानगरी का सफर
अविनाश दास बताते हैं, ‘मैं दरभंगा जैसे इलाकों के ऐसे परिवार से हूं, जहां पूरा जोर किसी तरह सरकारी नौकरी हासिल कर जिंदगी गुजर-बसर कर लेने पर होता है। ऐसे में संसाधनों की कमी के बावजूद इस महंगे आर्ट फॉर्म में दस्तक देना अच्छा लग रहा है। मैं यही कहना चाहूंगा कि अगर मैं फिल्म बना सकता हूं तो यह काम छोटे शहर का हर वह शख्स कर सकता है, जिसे सिनेमा से बेपनाह मुहब्बत है। कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर मैंने पटना में पत्रकारिता में कदम रखा। पहली नौकरी जहां लगी, वह मनोज बाजपेयी के दोस्तों का समूह था। मनोज हमारे हीरो थे। उनसे मुलाकातों का सिलसिला ‘सत्या’ से पहले शुरू हुआ। उनके एक दोस्त थे तब अनीश। उन्होंने ‘दिल पे मत ले यार’, ‘कैश’ आदि फिल्में प्रोड्यूस की थीं। उन दोनों से रिश्ते प्रगाढ़ होते गए। मुंबई आने पर फिल्म निर्माण व निर्देशन देख महसूस हुआ कि यह तो मन का काम है।’
ताराबानो से मिला आइडिया
फिल्म के आइडिया के संबंध में अविनाश बताते हैं, ‘2005 में मैं दिल्ली में एक न्यूज चैनल में काम करता था। ड्यूटी बाद कैब के इंतजार में मैं यूट्यूब पर भोजपुरी व मैथिली के गाने ढूंढ़ा करता था। तभी मैंने ताराबानो फैजाबादी का वीडियो देखा। वह बड़ा चलताऊ किस्म का गाना गा रही थीं। मैं चौंका कि कैसे एक महिला चेहरे पर बिना किसी भाव के यंत्रवत उस तरह के गाने गा सकती है। मैं ताराबानो की जिंदगी की हकीकत को तलाशने लगा। उसके पांच साल बाद 2010 में बिहार के गया में देवी नामक सिंगर ने एक कार्यक्रम में बदतमीजी करने वाले जयप्रकाश नारायण विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर को थप्पड़ मारा था। वीसी साहब को इस्तीफा देना पड़ा था। ताराबानो फैजाबादी से शुरू हुआ कहानी का सफर देवी की जीत पर आकर खत्म हुआ। हमारी नायिका अनारकली भी कुछ इसी तरह की जंग लड़ती है।’
सितारों का साथ
अविनाश कहते हैं, ‘यह कहानी उन औरतों के हक की है, जिन्हें समाज मुख्यधारा में शामिल नहीं होने देता। इस तबके के दर्द को स्वरा भास्कर ने महसूस किया। संजय मिश्रा वीसी बने हैं, जबकि अनारकली के ऑर्केस्ट्रा के संचालक रंगीला के रोल में पंकज त्रिपाठी हैं। देवी प्रकरण के बाद मनोज बाजपेयी ने निर्माता संदीप कपूर जी से मेरी मुलाकात करवाई थी। वह इस कहानी से प्रभावित हुए। अब यह फिल्म रिलीज की दहलीज पर है। उम्मीद है दर्शक इसे प्यार देंगे।’
प्रस्तुति- अमित कर्ण
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