Move to Jagran APP

Alvida Jumma Mubaraq Wishes 2020: रमज़ान के आख़िरी जुमे पर परिवार और दोस्तों को ऐसे करें मुबारक

Alvida Jumma Mubaraq Wishes 2020जिस तरह यहूदी मज़हब में शनिवार और ईसाई मज़हब में इतवार को इबादत का खास दिन माना है। वैसे ही इस्लाम में जुमे को इबादत के लिए खास माना गया है।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Fri, 22 May 2020 07:00 AM (IST)Updated: Fri, 22 May 2020 08:18 AM (IST)
Alvida Jumma Mubaraq Wishes 2020: रमज़ान के आख़िरी जुमे पर परिवार और दोस्तों को ऐसे करें मुबारक
Alvida Jumma Mubaraq Wishes 2020: रमज़ान के आख़िरी जुमे पर परिवार और दोस्तों को ऐसे करें मुबारक

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Alvida Jumma Mubaraq Wishes 2020: रमज़ान के आखिरी जुमे को जुमा-तुल-विदा कहा जाता है। ईद से ठीक पहले वाले शुक्रवार को जुमा-तुल-विदा मनाया जाता है। ईद मुस्लिम समुदाय का बहुत बड़ा त्योहार है, जो बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है।

loksabha election banner

अंध्रेरों को नूर देता है ज़िक्र उसका

दिल को सुरूर देता है, 

उसके दर पर जो भी मांगो,

वह अल्लाह है ज़रूर देता है

रमज़ान का आख़िरी जुमा मूबारक! 

क्या है आख़िरी जुमे की अहमियत? 

जिस तरह यहूदी मज़हब में शनिवार और ईसाई मज़हब में इतवार को इबादत के लिए हफ़्ते का खास दिन माना जाता है। वैसे ही इस्लाम में जुमा इबादत और नमाज के लिए खास दिन माना गया है।

हदीस-शरीफ में है कि जुमा के दिन ही हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को जन्नत से दुनिया में भेजा गया था। उन्हें वापस जन्नत भी जुमा के दिन मिली। उनकी तौबा भी जुमा के दिन अल्लाह ने कुबूल की और सबसे बड़ी बात तो यह कि हज़रत मोहम्मद सल्ल. की ज़िंदगी का आख़िरी हज जुमे के दिन ही हुआ था।

कुरआन-ए-पाक में सूरह 'जुमा' नाज़िल की गई है। आखिरी जुमा, माहे-रमज़ान की रुखसत का पैगाम है। कुल मिलाकर आख़िरी जुमा यानी यौमे-खास रमज़ान की विदाई का अहसास और रमज़ान के आख़िरी जुम्मा की अलविदा नमाज़ है जो इस्लाम धर्म में बहुत ही खास मानी जाती है।

जिसका दिल ख़ुदा के ख़ौफ से ख़ाली हो

उसका घर कभी रहमत से नहीं भर सकता

जो नसीब में है, वो चल कर भी आएगा

जो नसीब में नहीं वो आकर भी चला जाएगा

रमज़ान का आख़िरी जुमा मूबारक!

तू अगर मुझे मवाज़ता है 

तो ये तेरा क़रम है या रब

वरना तेरी रहमतों के क़ाबिल मेरी बांदगी नहीं।

रमज़ान का आख़िरी जुमा मूबारक!

रमज़ान का महत्व

रमज़ान उल मुबारक महीना हमसे अब रुखसत ले रहा है। रहमतों, बरकतों वाला यह महीना हमें आपस में प्यार, मोहब्बत और अल्लाह के बताए हुए रास्ते पर चलना सिखाता है। अल्लाह अपने हर बंदों पर रहम फरमाता है इसलिए रमज़ान के आखिरी अशरे में अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगनी चाहिए।

हदीस-ए-पाक के मुताबिक रमज़ान-उल-मुबारक के मुकद्दस महीने में जन्नत के दरवाज़े खोल दिए जाते हैं और जन्नम के दरवाज़ों को बंद कर दिया जाता है। यह इंसानों के लिए बड़ी सआदत की बात है। माहे रमज़ान में भी शैतान गुनाहों से बाज़ नहीं रह पाते इसलिए इस दौरान उनको कैद कर दिया जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.