Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Supermoon 2025: नवंबर में इस दिन पृथ्वी के सबसे करीब होगा चांद, जानें कब और कैसे इसे देख सकेंगे आप?

    Updated: Sun, 02 Nov 2025 10:27 AM (IST)

    क्या आप आसमान में दिखने वाले अद्भुत नजारों के दीवाने हैं? अगर हां, तो तैयार हो जाइए! दरअसल, नवंबर 2025 में एक ऐसी खगोलीय घटना होने वाली है, जिसे आपको बिल्कुल भी मिस नहीं करना चाहिए। जी हां, इस महीने पूर्णिमा का चांद पृथ्वी के सबसे नजदीक होगा, जिसे वैज्ञानिक भाषा में Supermoon या Beaver Moon कहते हैं।

    Hero Image

    5 नवंबर को दिख रहा है साल का सबसे बड़ा 'सुपरमून' (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। सोचिए, आसमान में रोज दिखने वाला आपका जाना-पहचाना चांद अचानक पहले से 14% बड़ा और 30% ज्यादा चमकदार हो जाए तो कैसा नजारा होगा? क्या यह कोई जादू है... नहीं! दरअसल, यह प्रकृति का एक अद्भुत खेल है जिसे हम 'Supermoon' कहते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नवंबर का महीना एस्ट्रोनॉमी लवर्स के लिए एक खास सौगात लेकर आया है। यह सिर्फ एक सुपरमून नहीं है, बल्कि इस साल का सबसे नजदीकी सुपरमून होने वाला है (Closest Supermoon of 2025)। कल्पना कीजिए, चांद और पृथ्वी के बीच की दूरी लगभग 3.5 लाख किलोमीटर तक सिमट जाएगी, जिससे वह पहले से कहीं ज्यादा बड़ा और शानदार दिखेगा।

    लेकिन यह 'सुपर' चांद दिखता कैसा है, और इसे अपनी आंखों से देखने का सबसे अच्छा तरीका क्या है? आइए, इस दुर्लभ खगोलीय घटना (Full Moon November 2025) के बारे में कुछ रोचक बातों पर नजर डालते हैं...

    November 5 Supermoon

    (Image Source: Freepik)

    क्या है सुपरमून?

    चांद की पृथ्वी के चारों ओर घूमने की कक्षा (Orbit) पूरी तरह गोल नहीं होती, बल्कि अंडाकार होती है। यही वजह है कि कभी-कभी चांद पृथ्वी के थोड़ा करीब आ जाता है और कभी थोड़ा दूर चला जाता है। जब यही चांद अपने सबसे नजदीकी बिंदु पर रहते हुए पूरा दिखाई देता है, तो उसे “सुपरमून” कहा जाता है।

    नासा के अनुसार, ऐसे समय में चांद आम दिनों की तुलना में लगभग 14% बड़ा और 30% ज्यादा चमकदार दिखाई देता है। यानी यह वही चांद है, बस थोड़ी नजदीकी उसे और भी आकर्षक बना देती है।

    इस बार का सुपरमून क्यों है खास?

    नवंबर का यह सुपरमून इस साल का दूसरा सुपरमून है, लेकिन खास बात यह है कि यह सबसे नजदीकी भी होगा। जी हां, इस दौरान चांद पृथ्वी से महज 3,57,000 किलोमीटर (लगभग 2,22,000 मील) की दूरी पर रहेगा, जो पूरे साल में सबसे कम दूरी है।

    खगोल वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस बार का सुपरमून 5 नवंबर की शाम अपने पूरे शबाब पर होगा (November 5 Full Moon)। अगर आसमान साफ रहा, तो भारत में इसे शाम लगभग 6:30 बजे से रात तक आसानी से देखा जा सकेगा।

    November 5 Full Moon

    (Image Source: Freepik)

    समुद्र पर भी पड़ेगा असर

    जब चांद पृथ्वी के ज्यादा करीब होता है, तो उसका गुरुत्वाकर्षण बल थोड़ा और बढ़ जाता है। इसी वजह से महासागरों और समुद्रों में ज्वार-भाटा यानी Tides सामान्य से कुछ ऊंचे हो सकते हैं। हालांकि, वैज्ञानिकों के अनुसार यह अंतर बहुत मामूली होता है और आम लोग इसे आसानी से महसूस नहीं कर पाते।

    कैसे देखे सकेंगे सुपरमून?

    इस शानदार खगोलीय दृश्य को देखने के लिए किसी टेलिस्कोप या खास टूल की जरूरत नहीं है। बस आसमान साफ हो और आप किसी ऐसी जगह हों जहां शहर की रोशनी कम हो, तो चांद अपनी पूरी चमक के साथ नजर आएगा। अगर आप पिछले किसी सुपरमून की तस्वीरें या यादें देखें, तो इस बार का आकार और रोशनी का फर्क आपको साफ महसूस होगा।

    Closest Supermoon of 2025

    (Image Source: Freepik)

    क्यों कहलाता है ‘बीवर मून’?

    हर पूर्णिमा का एक पारंपरिक नाम होता है। नवंबर की पूर्णिमा को ‘बीवर मून’ कहा जाता है। कहा जाता है कि यह नाम उत्तर अमेरिका की एक पुरानी परंपरा से जुड़ा है, जब इस मौसम में लोग सर्दी से पहले बीवर (एक प्रकार का जानवर) के फर के लिए जाल लगाते थे। इसलिए नवंबर की पूर्णिमा को ‘बीवर मून’ कहा गया।

    कब दिखेगा अगला सुपरमून?

    सुपरमून साल में कुछ ही बार दिखाई देते हैं। इस साल एक सुपरमून 7 अक्टूबर को नजर आया था, और अगला सुपरमून 4 दिसंबर, 2025 को देखने को मिलेगा। दिसंबर का यह सुपरमून इस साल का आखिरी सुपरमून होगा। अक्टूबर में हुए सुपरमून को उसके मौसम के कारण 'हार्वेस्ट मून' कहा गया था, जबकि नवंबर में होने वाले सुपरमून को 'बीवर मून' कहा जाएगा।

    प्रकृति से जुड़ने का अनोखा मौका

    आज के बिजी लाइफस्टाइल में हम आसमान की ओर कम ही देखते हैं, लेकिन यह सुपरमून एक याद दिलाने वाला मौका है कि प्रकृति अब भी अपनी सुंदरता से हमें हैरान करने की ताकत रखती है। तो इस बुधवार, जरा वक्त निकालिए और आसमान की ओर नजर उठाइए, क्योंकि शायद यह पहला मौका हो जब आप चांद को पहले से कहीं ज्यादा अपने करीब महसूस करें।

    यह भी पढ़ें- स्टर्जन से लेकर ब्लू मून तक, जानें 'सुपरमून' के अलग-अलग नाम क्यों रखे जाते हैं?

    यह भी पढ़ें- इंसान ही नहीं, पशु-पक्षियों, कीड़े-मकोड़ों और पेड़-पौधों पर भी पड़ता है सूर्य ग्रहण का असर