कौन थे डॉक्टर महेन्द्रलाल सरकार, जिन्होंने एलोपैथी छोड़कर भारत को दी होम्योपैथी की सौगात?
जब भी हम भारत में होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति की बात करते हैं, तो एक नाम हमेशा सम्मान के साथ लिया जाता है- वह हैं डॉक्टर महेन्द्रलाल सरकार। जी हां, उनका जीवन और उनका चिकित्सा के प्रति समर्पण आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करता है। आइए, 2 नवंबर को उनकी जयंती के मौके पर जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातें।

बंगाल का वह लाल जिसने भारत को दी होम्योपैथी की पहचान (Image Source: X & Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। क्या आपने कभी सोचा है कि जिस होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति पर आज लाखों लोग भरोसा करते हैं, उसे भारत में लाने और स्थापित करने वाला पहला व्यक्ति कौन था? यह कहानी है एक ऐसे असाधारण व्यक्तित्व की, जिसने न केवल संघर्षों को पार किया, बल्कि अपनी दृढ़ता से चिकित्सा की एक पूरी धारा को बदल दिया।
जब भी हम भारत में होम्योपैथी का नाम लेते हैं, तो एक नाम हमेशा सम्मान के साथ लिया जाता है- वह हैं डॉक्टर महेन्द्रलाल सरकार। 2 नवंबर 1833 को हावड़ा जिले के पैकपाड़ा गांव में जन्मे, डॉ. सरकार का जीवन समर्पण, ज्ञान और अटूट लगन की मिसाल है। आइए, जानते हैं कैसे एक अनाथ बच्चा कलकत्ता विश्वविद्यालय का दूसरा एमडी बना और फिर भारत में होम्योपैथी का जनक कहलाया।

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शुरुआती जीवन और शिक्षा
डॉक्टर महेन्द्रलाल सरकार का जन्म 2 नवंबर 1833 को हावड़ा जिले के पैकपाड़ा नामक एक छोटे से गांव में हुआ था। उनका बचपन संघर्षों से भरा रहा, क्योंकि उन्होंने बहुत कम उम्र में ही अपने माता-पिता को खो दिया था। इसके बाद, उनकी परवरिश उनके मामा ने की।
महेन्द्रलाल पढ़ाई में बहुत ही लगनशील और मेहनती थे। उन्होंने न केवल बंगाली में, बल्कि अंग्रेजी भाषा में भी बेहतरीन महारत हासिल की। अपनी इसी मेहनत के दम पर उन्होंने छात्रवृत्ति परीक्षा पास की और प्रतिष्ठित हिंदू कॉलेज में दाखिला लिया।
चिकित्सा के क्षेत्र में शिखर पर
आगे की पढ़ाई के लिए, वे कलकत्ता मेडिकल कॉलेज गए। यह उनकी मेहनत का ही नतीजा था कि उन्होंने साल 1863 में एमडी (MD) की डिग्री हासिल की। उन्हें यह सम्मान मिला कि वे डॉ. चंद्रकुमार डे के बाद, कलकत्ता विश्वविद्यालय से एमडी की डिग्री प्राप्त करने वाले दूसरे व्यक्ति बने।
एलोपैथी से होम्योपैथी की ओर
शुरुआत में, डॉ. महेन्द्रलाल सरकार एक एलोपैथिक डॉक्टर के रूप में जाने जाते थे, लेकिन चिकित्सा के प्रति उनकी गहरी समझ ने उन्हें एक नई राह दिखाई। उन्होंने होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति को अपनाया और इस तरह, वह भारत के पहले होम्योपैथी डॉक्टर बने।
उन्होंने भारत में होम्योपैथी के विकास और प्रचार-प्रसार में एक अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके प्रयासों से ही इस पद्धति को देश में पहचान और स्वीकार्यता मिलनी शुरू हुई।
स्वामी रामकृष्ण परमहंस से संबंध
डॉक्टर महेन्द्रलाल सरकार का जीवन केवल चिकित्सा तक ही सीमित नहीं था। वे महान संत स्वामी रामकृष्ण परमहंस के निजी चिकित्सक भी थे। इस कारण वे स्वामी जी से बहुत निकटता से जुड़े रहे और उनका सानिध्य प्राप्त किया।
डॉ. महेन्द्रलाल सरकार का सफर हमें बताता है कि सच्चे ज्ञान की खोज कभी खत्म नहीं होती। उन्होंने अपनी लगन, मेहनत और दूरदर्शिता से भारत में चिकित्सा के इतिहास को एक नई दिशा दी।
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