Vitamin-D Deficiency: शोध में खुलासा, इस तरह के लोगों में बढ़ जाता है विटामिन-डी की कमी का ख़तरा!
Vitamin-D Deficiency विटामिन-डी एक ऐसा पोषक तत्व है जिसकी कमी होने पर कई तरह की स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं पैदा होने लगती हैं। एक नए शोध में साबित हुआ कि विटामिन-डी की कमी का ख़तरा इन खास तरह के लोगों में ज़्यादा होता है।
वॉशिंगटन, एएनआई। Vitamin-D Deficiency: हाल ही में किए गए एक अध्ययन में चौंकाने वाले परिणाम सामने आए हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ ह्यूस्टन कॉलेज ऑफ नर्सिंग द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया है कि 61 प्रतिशत स्वस्थ अश्वेत और हिस्पैनिक (लातिन अमेरिकी मूल के लोग) किशोरों में विटामिन-डी का स्तर कम होता है, जो उम्र के साथ और भी कम होता जाता है।
विटामिन-डी की कमी से क्या होता है?
यह शोध जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक हेल्थ केयर में प्रकाशित हुआ है, और विटामिन-डी की कमी से पीड़ित लोगों के समूहों को सचेत करता है। यूएच कॉलेज ऑफ नर्सिंग में एसोसिएट प्रोफेसर शाइनी वर्गीज ने कहा, अश्वेत और हिस्पैनिक आबादी में कार्डियोवैस्कुलर बीमारियां जैसे, कैंसर, टाइप-2 डायबिटीज़ और किडनी की बीमारी पाई गईं और ये सभी विटामिन-डी की कमी से जुड़ी हैं।
उनकी टीम ने दक्षिणपूर्व टेक्सास के एक उपनगरीय क्लिनिक से 12 से 18 आयु वर्ग के 119 जातीय रूप से विविध किशोरों के रिकॉर्ड की जांच की। शोधकर्ताओं ने कहा कि विटामिन-डी के लाभों को कम करके नहीं आंका जा सकता। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत करने, कुछ कैंसर को रोकने, आपके मूड को बढ़ावा देने, टाइप-2 डायबिटीज़ के जोखिम को कम करने और कई अन्य समस्याओं पर बहुत प्रभाव डालता है।
कोविड में भी प्रभावित करता है विटामिन-डी का कम स्तर
शोध में यह भी पाया गया है कि कोविड-19 पॉज़ीटिव रोगियों में, जिनका विटामिन-डी का स्तर कम था, वे विटामिन-डी की सामान्य स्तर वाले लोगों की तुलना में अधिक गंभीर लक्षणों से पीड़ित थे। उन्होंने कहा, यह शोध विटामिन-डी के स्तर में सुधार और दीर्घकालिक जटिलताओं को रोकने के लिए स्वास्थ्य और सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील आहार प्रथाओं के सामाजिक निर्धारकों के बारे में चिकित्सकों के बीच जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर ध्यान देता है।
इसके अलावा, स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारकों में आर्थिक स्थिरता, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल और निर्मित पर्यावरण, सामाजिक और सामुदायिक संदर्भ भी इसमें शामिल हैं- जिनमें से सभी खाद्य असुरक्षा और पहुंच की कमी के कारण विशेष रूप से रंग के समुदायों के बीच विटामिन-डी के स्तर को प्रभावित करने की संभावना है।
अश्वेत लोगों में क्यों बढ़ जाता है विटामिन-डी की कमी का ख़तरा?
शोधकर्ताओं ने कहा, विटामिन-डी को 'सनशाइन विटामिन' भी कहा जाता है क्योंकि शरीर स्वाभाविक रूप से धूप के जवाब में इसका उत्पादन करता है, लेकिन गहरे रंग (अश्वेत लोगों) की त्वचा वाले लोगों के लिए अवशोषण अधिक चुनौतीपूर्ण होता है। दरअसल, मेलेनिन यूवी प्रकाश को अवशोषित करता है और विटामिन-डी का उत्पादन करने वाली कोशिकाओं तक पहुंचने से रोकता है।
कुछ खाद्य पदार्थ जैसे सैल्मन, ट्राउट, टूना, अंडे और इसके साथ डेयरी का सेवन करके विटामिन-डी प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन, रिपोर्ट के अनुसार, जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं और अधिक स्वतंत्र होते हैं, उनकी पसंद बदल जाती है और वे चीनी और मीठे ड्रिंक्स लेना शुरू कर देते हैं और दूध के पदार्थों का सेवन कम कर देते हैं। जिससे, उनमें विटामिन-डी का स्तर और कम हो जाता है। वर्गीज की टीम में यूएच कॉलेज ऑफ ऑप्टोमेट्री के शोध सहायक प्रोफेसर जूलिया बेनोइट और यूएच कॉलेज ऑफ नर्सिंग में शोध प्रोफेसर टेरेसा मैकइंटायर शामिल हैं।
वर्गीस ने कहा, हमारा मानना है कि 10 में से सात अमेरिकी बच्चों में विटामिन-डी का स्तर काफी कम है, जिससे विभिन्न तीव्र और पुरानी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
वर्गीज ने कहा, विभिन्न जातीय समूहों के बीच कम विटामिन-डी के स्तर, अंतर्निहित विशेषताओं और कम विटामिन-डी के स्तर के जोखिम के बारे में ज्ञान और समझ प्राथमिक देखभाल प्रदाताओं के लिए आवश्यक है, जिन्हें कम उम्र से शुरू होने वाली जोखिम वाली आबादी की पहचान करनी चाहिए। हम चाहते हैं कि लोग अपनी आहार संबंधी आदतों और पोषण संबंधी कमियों की पहचान करें।
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