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Yoga magic : न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी ने माना एंग्जाइटी के इलाज में कुंडलिनी योग से बढ़कर कुछ नहीं- जानें कैसे

Yoga magic अब चिकित्सा विज्ञान में भी योग को महत्वपूर्ण स्थान दिया जा रहा है। चिंता से संबंधित विकार यानी एंग्जायटी डिसऑर्डर के इलाज में योग की सफलता दर सबसे अधिक है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Fri, 28 Aug 2020 11:41 AM (IST)Updated: Fri, 28 Aug 2020 06:31 PM (IST)
Yoga magic : न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी ने माना एंग्जाइटी के इलाज में कुंडलिनी योग से बढ़कर कुछ नहीं- जानें कैसे
Yoga magic : न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी ने माना एंग्जाइटी के इलाज में कुंडलिनी योग से बढ़कर कुछ नहीं- जानें कैसे

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। योग भारत द्वारा विश्व को दी गई अनमोल धरोहर है। शारीरिक क्षमता और दिमागी तंदुरुस्ती के लिए योग से बढ़कर कोई उपचार नहीं है। सदियों से हमारे ऋषि-मुनियों ने योग की परंपरा को कायम रखा है। प्राचीन काल से ही यह हमारे जनमानस में रचा बसा है। आधुनिक काल में अब विश्व भी योग का लोहा मानने लगा है। यही कारण है कि 21 जून को अंतरराष्ट्रीय विश्व योग दिवस मनाया जाता है। हालांकि प्रारंभ में चिकित्सा शास्त्र ने योग को नजरअंदाज किया, लेकिन अब चिकित्सा विज्ञान में भी योग को महत्वपूर्ण स्थान दिया जा रहा है।

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हाल ही में न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के ग्रोसमैन स्कूल ऑफ मेडीसिन के शोधकर्ताओं ने योग की प्रभावशीलता पर अध्ययन करते हुए पाया है, कि चिंता से संबंधित विकार यानी 'एंग्जायटी डिसऑर्डर' के इलाज में, योग की सफलता दर सबसे अधिक है। 'एंग्जायटी डिसऑर्डर' एक ऐसा विकार है जिसमें इंसान में नकारात्मक ऊर्जा भर जाती है, जिसके कारण वह चिंतित, बेचैन, हताश और परेशान होने लगता है। किसी काम में मन नहीं लगता है। ऐसे विकार के लिए एलोपैथिक दवाइयां कोई काम की नहीं होती। शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि योग, इन समस्याओं के समाधान के रूप में कारगर हथियार है।

'एंग्जायटी डिसऑर्डर' के इलाज में कारगर हथियार

अध्ययन में पाया गया कि आम 'एंग्जायटी डिसऑर्डर' में योग स्ट्रैस मैनेजमेंट और कॉग्निटिव विहेवरियल थेरेपी के मुकाबले ज्यादा असरदार है। स्ट्रेस मैनेजमेंट चिंता और अवसाद को सही करने का पश्चिमी तरीका है, जिसमें डॉक्टर कुछ चीजें बताकर नकारात्मकता से बाहर आने की सलाह देता है। दूसरी ओर कॉग्निटिव विहेवरियल थेरेपी(सीबीटी) एक तरह से ऐलोपैथिक चिकित्सकीय पद्धति है, जिसमें मरीज से बातकर के यह पहचान की जाती है कि उसमें किस तरह की या किस वजह से नकारात्मकता है। इस आधार पर मरीज को समझाया जाता है। इन दोनों से अलग योग शारीरिक और मानसिक व्यायाम है। डिपार्टमेंट ऑफ साइकेटरी की प्रमुख शोधकर्ता नोअमी एम साइमन ने बताया, कि आमतौर पर एंजाइटी बहुत ही आम स्थिति बन गई है, जिसका तथ्य के आधार पर इलाज नहीं है। उन्होंने बताया कि योगा एक ऐसी पद्धति है, जो बहुत ही सुरक्षित और हर जगह आसानी से पहुंच में है। यह कई लोगों को सही करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, और एंग्जाइटी के इलाज में समग्र रूप से उपचार की योजना बनाने में महत्वपूर्ण हथियार साबित हो सकता है।

तीन पद्धतियों में सबसे कारगर

यह अध्ययन जेएएमए साइकेट्री जर्नल में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं ने एंजाइटी का सामना कर रहे लोगों को तीन समूहों में बांट दिया। एक समूह का इलाज कुडलिनी योगा से किया गया, दूसरे समूह का स्ट्रेस मैनेजमेंट से जबकि तीसरे समूह का इलाज सीबीटी के माध्यम से किया गया। कुछ दिनों बाद अध्ययन के निष्कर्ष में पाया गया कि योग से इलाज करा रहे 54 प्रतिशत लोग बहुत जल्दी इस चिंता से उबर गए। जबकि स्ट्रैस मैनेजमेंट से सही होने वाले का प्रतिशत सबसे कम पाया गया। इसके छह महीने बाद जब इन मरीजों का फिर से विश्लेषण किया गया, तो जिन लोगों ने योग छोड़ दिया था, उनमें से ज्यादातर में फिर से एंजाइटी की समस्या होने लगी। जबकि सीबीटी के माध्यम से इलाज कराने वालों पर उसका असर अब भी बरकरार था। स्ट्रेस मेनैजमेंट से इलाज करा रहे लोगों में यहां भी बुरा हाल था। मतलब यह कि योग को लगातार किया जाए तो एंजाइटी की समस्या कभी नहीं होगी। 

                      Written By Shahina Noor


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