World Leprosy Day 2023: समय से इलाज न मिलने पर गंभीर रूप ले सकता है कुष्ठ रोग, जानें इससे जुड़ी जरूरी बातें
World Leprosy Day 2023 हर साल दुनियाभर में जनवरी के चौथे रविवार को विश्व कुष्ठ दिवस मनाया जाता है। हालांकि भारत में यह दिन 30 जनवरी यानी गांधी जी की पुण्यतिथि पर मनाया जाता है। जानते हैं इस बीमारी से जुड़ी जरूरी बातें-
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। World Leprosy Day 2023: विश्व कुष्ठ दिवस या विश्व कुष्ठ उन्मूलन दिवस हर साल कुष्ठ रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। यह दिन दुनियाभर में जनवरी के चौथे रविवार को मनाया जाता है। इसी क्रम में इस साल यह दिवस 29 जनवरी को मनाया जा रहा है, लेकिन भारत में इस दिन को 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के साथ मनाता है। इस दिन को मनाने के शुरुआत साल 1954 में राउल फोलेरो ने की थी। उन्होंने यह दिन गांधी जी को समर्पित किया था। दरअसल, गांधी जी कुष्ठ रोगियों के प्रति दया और स्नेह का भाव रखते हैं। यही वजह थी उन्होंने कुष्ठ रोगियों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए सफल प्रयास किया था। उनके इसी प्रयास को ध्यान में रखते हुए भारत में 30 जनवरी को कुष्ठ रोग दिवस मनाया जाता है। तो चलिए जानते हैं इस गंभीर बीमारी से जुड़ी जरूरी बातों के बारे में-
क्या है कुष्ठ रोग
कुष्ठ एक संक्रामक बीमारी है, जिसकी वजह से त्वचा, श्वसन तंत्र, आंखें और तंत्रिकाएं काफी प्रभावित होती हैं। यह रोग विशेष रूप से आपकी त्वचा, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के बाहर की नसों को प्रभावित करता है, जिसे परिधीय तंत्रिकाएं कहा जाता है। यह बीमारी मायकोबैक्टीरियम लैप्री नामक बैक्टीरिया के चलते होती है। कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों में इसके मुख्य लक्षणों के रूप में त्वचा में घाव, गांठ आदि दिखाई दे सकते हैं। ये लक्षण कई हफ्तों या महीनों तक रह सकते हैं। त्वचा के यह घाव फीके रंग के दिखते हैं।
कुष्ठ रोग के लक्षण
कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्ति में इसके कुछ सामान्य लक्षण नजर आने लगते हैं। इन लक्षणों में कमजोर मांसपेशियां, त्वचा पर दानेदार उभार, उंगलियों के पोरों का सुन्न होना और त्वचा पर घाव होना प्रमुख है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को हुए यह घाव आसानी से ठीक नहीं होते। इस बीमारी के होने पर अगर सही समय पर इलाज न किया जाए, तो इससे कुष्ठ रोग आपकी त्वचा, नसों, हाथ, पैर और आंखों को स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है। साथ ही गंभीर स्थिति में किडनी खराब, बांझपन, ग्लूकोमा आदि भी हो सकते हैं।
कैसे फैलता है कुष्ठ रोग
कुष्ठ रोग एक संक्रामक बीमारी है, जो पीड़ित व्यक्ति के डिस्चार्ज के संपर्क में आने से फैल सकता है। मायकोबैक्टीरियम लैप्री नाम के बैक्टीरिया से होने वाली इस बीमारी से संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से यह बैक्टीरिया हवा में फैलकर स्वस्थ व्यक्ति को भी संक्रमित कर सकता है। हालांकि, यह बीमारी छूने से नहीं फैलती है। लेकिन ज्यादा समय तक रोगी के लगातार संपर्क में रहने से इस बीमारी के होने की संभावना बढ़ जाती है।
कुष्ठ रोग का उपचार
- इस रोग की स्थिति के आधार पर उपचार किया जाता है। संक्रमित व्यक्ति के इलाज के लिए मरीजों को एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं। इस बीमारी का इलाज आमतौर 6 महीने से एक साल तक लंबा हो सकता है।
- यदि व्यक्ति गंभीर कुष्ठ रोग से पीड़ित हैं, तो उन्हें ज्यादा समय तक एंटीबायोटिक्स लेने की जरूरत हो सकती है। हालांकि, यह एंटीबायोटिक्स कुष्ठ रोग के कारण होने वाली तंत्रिका क्षति का इलाज नहीं कर सकते।
- मल्टीड्रग थेरेपी (एमडीटी) को कुष्ठ रोग के लिए एक सामान्य उपचार माना जाता है, जो एंटीबायोटिक दवाओं को जोड़ती है।
- नर्व पेन और कुष्ठ रोग से बोने वाली क्षति को रोकने के लिए, रोगी को एंटी- इंफ्लेमेटरी दवाएं भी दी जा सकती हैं।
- कभी-कभी कुष्ठ से पीड़ित रोगियों को थैलिडोमाइड की सलाह दी जा सकती है, जो कुष्ठ रोग से हुई त्वचा में गांठों के इलाज में मदद कर सकता है।
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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