World Hypertension Day: आखिर बाथरूम में ही सबसे ज्यादा क्यों आते हैं Heart Attack, एक्सपर्ट्स से जानें वजह
World Hypertension Day आज 17 मई के दिन दुनिया भर में विश्व हाइपरटेंशन दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन का महत्व हाई ब्लड प्रेशर और उससे होने वाली जानलेवा बीमारियों के बारे में लोगों को जागरुक करना है।
नई दिल्ली, रूही परवेज़। World Hypertension Day: कार्डिएक अरेस्ट एक ऐसी अवस्था है जिसमें हृदय गति रुक जाती है और जब ऐसा होता है तो महत्वपूर्ण अंगों को ऑक्सीजन की आपूर्ति रुक जाती है, जिससे व्यक्ति बेहोश हो जाता है या उसकी जान भी जा सकती है। इसके उलट हार्ट अटैक में दिल के कुछ हिस्से को ऑक्सीजन मिलनी बंद हो जाती है क्योंकि रक्त नली में अचानक थक्का आ जाता है। दोनों ही स्थितियां जीवन के लिए ख़तरनाक हैं और मौत का बड़ा कारण बनती हैं।
ज्यादातर लोग अपने जीवन का बहुत कम समय (औसतन 30 मिनट या दिन का 2%) बाथरूम में बिताते हैं। इसके बावजूद बाथरूम एक ऐसी जगह है जहां सबसे ज़्यादा कार्डियेक अरेस्ट या दिल के दौरे के मामले सुनने में आते हैं। ऐसा करीब 8 से 11% मामलों में होता है। बाथरूम एक ऐसी जगह है, जहां पुनरुज्जीवन देना मुश्किल हो जाता है। बाथरूम बहुत प्राइवेट स्थान होता है और वहां मरीज को फिर से जीवन देने के उपाय देर से हो पाते हैं। बाथरूम में बेहोश होने वाले करीब 8% हैं और सिर्फ 13% मामलों में ही जान बचने की उम्मीद रह पाती है, जो बाथरूम के बाहर होने वाले हार्ट अटैक या कार्डियेक अरेस्ट के मामलों से कहीं कम है।
बाथरूम में क्यों देखे जाते हैं हार्ट अटैक या कार्डियेक अरेस्ट के मामले
फोर्टिस अस्पताल, शालीमार बाग के कार्डियोलॉजी एंड इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी के निदेशक एवं यूनिट हैड, डॉ. नित्यानंद त्रिपाठी ने बताया कि क्यों अक्सर हम बाथरूम में हार्ट अटैक या कार्डियेक अरेस्ट के मामले सुनते हैं।
1. ज्यादातर हार्ट अटैक या अचानक हृदय गति रुकने के मामले में शौचालय और बाथरूम में मल त्याग या मूत्र के समय होते हैं क्योंकि ऐसी स्थिति में दबाव के कारण ऑटोमेटिक नर्वस सिस्टम में संवेदनाओं का संतुलन बिगड़ जाता है और रक्तचाप कम हो जाता है। इस असंतुलन की वजह से मस्तिष्क में रक्त प्रवाह कम हो जाता है और इससे बेहोशी आ जाती है। इन घटनाक्रमों और असमानताओं से ऑटोमेटिक नर्वस सिस्टम प्रभावित होता है जिससे हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट की नौबत शौचालय या स्नानघर में अधिक पैदा होती है। अचानक तबीयत बिगड़ने, चक्कर आने या उल्टी आने के कारण भी व्यक्ति बाथरूम की तरफ लपकता है और ऐसे में भी वह बेहोश हो सकता है।
2. ठंडे या गर्म पानी से नहाने की वजह से हृदय गति, ब्लड प्रेशर पर असर पड़ता है और शरीर को रक्त का वितरण भी प्रभावित होता है। ठंडे पानी से शरीर का सारा रक्त मस्तिष्क की ओर प्रवाहित होने लगता है और इससे रक्त नलियों और धमनियां में तनाव बढ़ जाता है। यह भी बाथरूम में हृदय संबंधी गड़बड़ियां होने का कारण बनता है।
3. इस तरह की स्थिति से बचने के लिए मल त्याग के समय अधिक जोर लगाने या मूत्र विसर्जन के समय खुद पर दबाव बढ़ाने से बचना चाहिए। ऐसे में आप तनाव मुक्त होकर आराम से निवृत हों। ज्यादा ठंडे या ज्यादा गर्म पानी से नहाने से बचें। सिर से पानी डालना मत शुरू करें और शरीर को धीरे-धीरे इस नए तापमान के संपर्क में लाएं। खासतौर से सर्दियों में इस तरह के ठंडे वातावरण से बचें। इससे हार्ट अटैक हो सकता है। अगर आप जोखिम वाले वर्ग में हैं, मसलन आप पहले से हार्ट के मरीज़ हैं, उम्र अधिक हो गई है, दिल की पंपिंग की ताकत कमज़ोर है या आपको कई घातक बीमारियां हैं, तो उचित होगा कि आप बाथरूम को भीतर से बंद न करें। बाथरूम जाते समय अपने निकटतम रिश्तेदार को बताएं ताकि जरूरत पड़ने पर वह आपकी सहायता के लिए तुरंत आ सकें। जोखिम वाले मरीजो को अपने बाथरूम में अर्लाम की व्यवस्था रखनी चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर तत्काल मदद के लिए पुकार लगाई जा सके और जान बचाई जा सके।
4. अहमदाबाद के अपोलो अस्पताल के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट के वरिष्ठ सलाहकार, डॉ. लाल डागा ने बताया कि ज्यादातर यह मामले पेशाब करने और मल पास करने के बाद देखे जाते हैं क्योंकि स्ट्रेस के बाद रोगी का रक्तचाप गिर जाता है, यह वेसोवेगल सिंकोप के कारण होता है, जो न्यूरोजेनिक कारणों से होता है, अगर पुनर्जीवित नहीं किया जाता है या समय पर रिकवरी नहीं होती है, तो यह घातक हो सकता है।
5. डॉ. डागा का कहना है कि बैठकर ही में पेशाब करें और पेशाब और शौच के बाद धीरे-धीरे खड़े हों। अगर आप अक्सर चक्कर आते हैं, तो बैठने के बाद आरान से उठें ताकि मतली या चक्कर से बचा जा सके।