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Positive India: जिंदगी के लिए वरदान बन रहा है ई-रक्तकोष

ई-रक्तकोष लोगों को सही समय और जरूरत में खून पहुंचाकर अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन सही ढंग से कर रहा है। 14 जून को विश्व रक्त दिवस है ऐसे में रक्तदान का प्रण लेने की जरूरत है।

By Vineet SharanEdited By: Published: Sun, 14 Jun 2020 09:08 AM (IST)Updated: Sun, 14 Jun 2020 09:13 AM (IST)
Positive India: जिंदगी के लिए वरदान बन रहा है ई-रक्तकोष
Positive India: जिंदगी के लिए वरदान बन रहा है ई-रक्तकोष

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। कहते हैं कि रक्तदान जीवनदान होता है। देश भर में विभिन्न बीमारियों का सामना कर रहे लोगों को नियमित अंतराल पर रक्त की जरूरत होती है। कई रिपोर्ट इस बात की तस्दीक करती है कि दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को अगर राहत और रक्त समय से पहुंच जाएं, तो उसकी जान बचाई जा सकती है। कोरोना महामारी से जूझ रहे देश में मरीजों का इलाज करने में देश के डॉक्टर, नर्स और दूसरे लोग दिन-रात लगे हुए हैं। संकट की इस घड़ी में हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि हम भी लोगों की मदद करें। ई-रक्तकोष लोगों को सही समय और जरूरत में खून पहुंचाकर अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन सही ढंग से कर रहा है। 14 जून को विश्व रक्त दिवस है, ऐसे में हमें भी रक्तदान का प्रण लेने की जरूरत है।

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ये है ई-रक्त कोष

ये मरीज और डोनर को मिलाने का एक तरीका है। मुख्यत: मरीज के तीमारदार खून के लिए इधर-उधर भटकते हैं। एक ब्लडग्रुप का ब्लड लेने के लिए ब्लडबैंक जाना पड़ता है। ऐसे में किसी एक ब्लडबैंक में खून न होने पर दूसरे ब्लडबैंक जाना पड़ता है। ऐसे में मरीज या तीमारदार वेबसाइट ई-रक्तकोष पर चेक कर सकते हैं कि कहां कौन सा ब्लड ग्रुप उपलब्ध है। ई-रक्त कोष पूरे देश में ब्लड बैंकों के कार्य प्रवाह को जोड़ने, डिजिटलीकरण करने और उन्हें कारगर बनाने के लिए एक पहल है।

इसमें एक सुविधा यह भी है कि डोनर खुद को रजिस्टर कर सकता है। डोनर के रजिस्ट्रेशन का फायदा यह है कि ब्लड बैंक को इसके बारे में जानकारी हो सकती है। ऐसे में ब्लड बैंक फोन कर आवश्यकतानुसार डोनर को बुला सकता है। कैंसर पेशेंट, थैलीसीमिया और हीमोडायलिसिस के रोगियों को खून की नियमित अंतराल में जरूरत पड़ती है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि इससे डोनर और मरीज की बेवजह की दौड़ खत्म हो गई।

कोरोना में मदद

स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि हमने थैलीसीमिया ऑनलाइन रिक्वेस्ट बनाई। रोगी ब्लड बैंक में जांच कर सकता है कि वहां खून मौजूद है कि नहीं। साथ ही वह यह बता सकता है कि उसे कहां ट्रांसफ्यूजन कराना है। यह जानकारी आईसीएचएस (इंटीग्रेटेड सेंटर फॉर हीमोग्लोबिनोपैथी और हीमोफीलिया) सेंटर को चली जाती है। इसके बाद अमुक तारीख को ब्लड का ट्रांसफ्यूजन हो जाता है। इसके अलावा ई-पास बनवाएं। डोनर खून दान करने के लिए जा नहीं पा रहे। हमने डोनर के पास ब्लड मोबाइल को भेजा। कई बार डोनर के घर कई कारणों से गाड़ी नहीं पहुंच पा रही थी। कोरोना के दौरान जब कमी आई तो उसे बढ़ाने के लिए लोगों तक संदेश भेजे गए, अपील जारी की गई, कुछ एनजीओ ने मदद की, बच्चों के छोटे-छोटे वीडियो बनाए। ऐसे में हमने काफी हद तक जरूरत पूरा करने में मदद की।

हम ये लगातार जांचते भी रहते हैं कि किसी जगह ब्लड कम हो गया तो हम उसकी मात्रा को बढ़ाने के लिए कोशिशें करते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि अभी कहा जा रहा था कि पूरी आबादी के एक प्रतिशत को ब्लड की जरूरत है। पर जिस तरह से मेडिकल टूरिज्म बढ़ा है, उससे दो प्रतिशत को जरूरत हो सकती है, जबकि दिल्ली जैसे शहरों में ये तीन प्रतिशत तक है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी का कहना है कि ब्लड बैंक मैनेजमेंट का ऐसा सिस्टम भारत में ही है।

क्या है फीचर

ब्लड बैंकों में ब्लडस्टॉक : ब्लड बैंकों में उपलब्ध ब्लड स्टॉक की स्थिति के बारे में यहां से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यहां आप राज्यवार, जिलेवार, ब्लडग्रुप, रक्तघटक जैसे प्लेटलेट्स आदि की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसमें आप सरकारी ब्लड बैंक के बारे में भी पता कर सकते हैं।

रजिस्टर करें : यहां पर आप रजिस्टर कर सकते हैं। ट्रैक कर सकते हैं और अपनी प्रोफाइल को बनाए रख सकते हैं।

रक्तदान शिविर : रक्तदान शिविरों के लिए देखें और पंजीकरण करें

ब्लड बैंकों से संपर्क : इसके माध्यम से आप निकटतम ब्लड बैंकों से संपर्क कर सकते हैं। साथ ही ब्लड स्टोरेज यूनिट के बारे में पता कर सकते हैं। यही नहीं आप ब्लड बैंक या अस्पताल के बारे में भी पता कर सकते हैं।

ऐसे बनवाएं रक्तदान के लिए ई-पास

केन्द्र सरकार ने रक्त दान करने वालों के लिए ई-पास बनवाने का विकल्प दिया है। हालांकि, पूरे देश में लॉकडाउन में ढील है, लेकिन यदि आपको कभी जरूरत पड़े तो रक्त दान के लिए ई-पास बनवा सकते हैं। इससे अस्पताल या ब्लड बैंक जाकर जरूरतमंदों को रक्तदान कर सकते हैं। रक्तदान के लिए बने ई-पास इस्तेमाल दूसरे कार्यों के लिए नहीं किया जा सकता है।

ई-पास के लिए ऐसे करें आवेदन

1. अपने कंप्यूटर या स्मार्टफोन पर ’https://www.eraktkosh.in/’ वेबसाइट खोलें

2.स्क्रीन के दाईं ओर से 'डोनेट नाउ' बटन पर क्लिक करें

3. अगली स्क्रीन पर, खून देने वाले व्यक्ति का विवरण जैसे नाम, लिंग, ब्लड ग्रुप आदि दर्ज करें

4. इसके बाद सेव बटन पर क्लिक करें और ई-पास बन जाएगा.

आंकड़े

-2012 के विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार, केवल नौ मिलियन इकाइयां सालाना एकत्र की जाती हैं, जबकि आवश्यकता 12 मिलियन इकाइयों की है।

-अकेले दिल्ली एनसीआर में प्रति वर्ष 100,000 इकाइयों की कमी का सामना करना पड़ता है।

- दान किए गए रक्त का शेल्फ-जीवन 35 से 42 दिन है। हमारे ब्लड बैंकों में स्टॉक को फिर से भरने की निरंतर आवश्यकता है।

- स्वस्थ दाताओं की आयु 18 से 65 वर्ष के बीच है।

-आंकड़े बताते हैं कि भारत में 234 मिलियन प्रमुख ऑपरेशन, 63 मिलियन आघात-प्रेरित सर्जरी, 31 मिलियन कैंसर से संबंधित प्रक्रियाएं और 10 मिलियन गर्भावस्था से संबंधित जटिलताएं हैं जिनके लिए रक्त संक्रमण की आवश्यकता होती है। 


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