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Bad Effect Of Phone:फोन खोने पर बेचैनी, चिंता, घबराहट होना एक मानसिक रोग है, जानिए कैसे

Bad Effect Of Phone नोमोफोबिया की बीमारी न हो इसके लिए जरूरी है आप अपने फोन को नियामित समय के लिए दूर रखें। यदि आपका फोन आपके रोजाना के काम में दखलअंदाजी करता है तो फोन इस्तेमाल करना आपके लिए समस्या बन सकता है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 04:46 PM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 04:46 PM (IST)
Bad Effect Of Phone:फोन खोने पर बेचैनी, चिंता, घबराहट होना एक मानसिक रोग है, जानिए कैसे
फोन खोने पर परेशान होना नोमोफोबिया है।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। फोन हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। फोन जरूरी कामों से लेकर इंटरटेनमेंट तक सक कुछ करता है। दुनिया में अब बहुत कम लोग बचे हैं जिनके पास फोन नहीं है। लोग एक पल के लिए भी फोन को खुद से दूर नहीं रखना चाहते। अगर कभी-कभार फोन खो जाता है या फिर फोन घर पर छूट जाता है तो लोग ऐसे परेशान हो जाते हैं जैसे उनका कोई अंग छूट गया। क्या आप जानते हैं कि फोन खोने के बाद आप इतना दुखी क्यों हो जाते हैं? आप जानते हैं कि फोन खोने पर आपका दुखी होना एक मानसिक बीमारी है।

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वैज्ञानिकों ने इसे नोमोफोबिया नाम दिया है। शोधकर्ताओं ने अपने शोध में पाया है कि नोमोफोबिया का संबंध पारस्परिक संवेदनशीलता और किसी चीज के प्रति सनकीपन की बाध्यता से जुड़ा है। अध्ययन में सलाह दी गई है कि यदि आपका फोन आपके रोजाना के काम में दखलअंदाजी करता है तो फोन इस्तेमाल करना आपके लिए समस्या बन सकता है। इसलिए विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि फोन से नोमोफोबिया की बीमारी न हो इसके लिए जरूरी है आप अपने फोन को नियामित समय के लिए दूर रखें।

फोनोफोबिया के कई खतरनाक परिणाम: 

फोनोफोबिया कई तरह की मानसिक परेशानियों को जन्म देता है। अध्ययन में पाया गया कि 2019 में लोगों ने इस बात की तस्दीक की जब उनका फोन उनसे दूर हो गया तो उनमें एक सीमा तक बहुत ज्यादा चिंताएं, बेचैनी और तनाव का स्तर बढ़ने लगा। अमेरिका के रश यूनिवर्शिटी में साइकेटरी के प्रोफेसर निरंजन कुमार कार्निक ने बताया कि नोमोफोबिया नया टर्म है जिसका चलन कुछ सालों में हुआ है। उन्होंने बताया कि जब फोन खो जाता है तब नोमोफोबिया होने पर लोगों में कई तरह के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। बेचैनी, चिंता, घबराहट और सामान्य पीड़ा आम बात है। हालांकि यह बीमारी अब तक किसी देश की मेडिकल एसोशिएशन की डिक्शनरी में शामिल नहीं हुई है, इसलिए अभी इसके इलाज के बारे में सोचा नहीं जा रहा है। लेकिन यह गंभीर मानसिक विकारों को प्रोत्साहित कर सकता है। कार्निक ने बताया कि अगर आप नोमोफोबिया के गंभीर रोगी बन चुके हैं तो यह आपके काम, स्कूल और यहां तक रोजाना की सामान्य दिनचर्या को भी बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। उन्होंने बताया कि इस बीमारी से सबसे सामान्य जो दुष्परिणाम स्पष्ट रूप से दिखाई देते है वह है थकान। अमूमन रात को ज्यादा देर तक मोबाइल पर चिपके रहने वालों को थकान की समस्या रहती है। इसके बहुत गंभीर रूप से आदी हो जाने के बाद कई शारीरिक समस्याएं भी सामने आती हैं।

तो क्या करना चाहिए:

कार्निक ने कहा कि लोगों को यह समझना चाहिए फोन इसलिए नहीं बना है हम इसके आदी हो जाए। इसके कुछ निश्चित इस्तेमाल है, उसे ही करना चाहिए। एक समय ऐसा निर्धारित करना चाहिए जिसमें हम फोन को खुद से दूर रख सकें। फोन को ज्यादातर समय साइलेंट मोड में रखें। अगर आप किसी से बात कर रहे हैं या कई लोगों के साथ हैं तो सबसे अच्छा यह है कि फोन को ऑफ कर दें या कहीं छोड़कर ही आ जाएं। उस समय आप उनलोगों पर फोकस करें जो आपके साथ हैं। कार्निक यह भी कहते हैं कि सिर्फ फोन ही नहीं सोशल मीडिया से भी एक निश्चित समय के लिए दूर रहने की आदत बनाएं। बल्कि बहुत दिनों के लिए भी इससे दूरी बनाना सही है। 

                    Written By : Shahina Noor


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