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Coronavirus: जानें क्‍या है कूलिंग पीरियड, हर्ड इम्यूनिटी और कोरोना से क्या है इसका रिश्ता

Coronavirus अभी तक हुई रिसर्च में यह बात साफ हुई है कि एक बार संक्रमण के बाद हर व्यक्ति के शरीर में एंटीबॉडी विकसित हो जाती है जो कम से कम तीन महीने तक प्रभावी रहती हैं। इन तीन महीनों के समय को ही एक्सपर्ट्स कूलिंग पीरियड कहते हैं।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Wed, 23 Sep 2020 12:55 PM (IST)Updated: Wed, 23 Sep 2020 01:26 PM (IST)
Coronavirus: जानें क्‍या है कूलिंग पीरियड, हर्ड इम्यूनिटी और कोरोना से क्या है इसका रिश्ता
संक्रमण के बाद शरीर में एंटीबॉडी विकसित होती है, जो 3 महीने तक प्रभावी रहती हैं।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Coronavirus: विशेषज्ञों के अनुसार, जब किसी देश में कोरोना वायरस संक्रमण के बाद अगर हर्ड इम्यूनिटी (Herd Immunity) हासिल हो जाती है तो तेज़ी से फैल रहे संक्रमण का सिलसिला टूट जाता है। नतीजतन रोज़ नए मामलों की संख्या में कफी कमी आने लगती है। यह कमी लगातार करीब तीन महीने तक जारी रहती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि एक बार संक्रमण होने के बाद हर व्यक्ति के शरीर में एंटीबॉडी विकसित होती हैं, जो कम से कम तीन महीने तक प्रभावी रहती हैं। इन तीन महीनों के समय को ही एक्सपर्ट्स कूलिंग पीरियड कहते हैं। इस समय में नए मामले लगातार कम होते चले जाते हैं, हालांकि, जैसे ही लोगों के शीरीर में एंटीबॉडी का असर कम या ख़त्म होता है, वो फिर संक्रमित होने लगते हैं और इसी के साथ संक्रमण के नए दौर की शुरुआत होती है। ऐसा कई देशों में देखा जा रहा है। 

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भारत में अभी तक हर्ड इम्यूनिटी नहीं हुई है और अच्छी बात यह है कि जब तक यहां संक्रमण के नए दौर की शुरुआत होगी, तब तक शायद कोरोना वायरस की वैक्सीन उपलब्ध हो जाए। ऐसे में इस वक्त ज़रूरी है कि सभी लोग अपनी इम्यूनिटी को मज़बूत और बढ़ाने का प्रयास करें। साथ ही इससे बचने की सभी सावधानियां बरतें, जैसे घर से निकलने पर मास्क पहनें, शारीरिक दूरी बनाए रखें, हाथों को दिन में कई बार धोएं और आसपास साफ सफाई का खास ध्यान रखें। सावधानी ही इस वायरस से बचने का सबसे अच्छा तरीका है। 

भारत में हर्ड इम्यूनिटी

हाल ही में पूरे देश में हुए सीरो सर्वे के मुताबिक जितने संक्रमित लोगों की संख्या सामने आती है, वास्तव में ये संख्या 80 गुना ज़्यादा होती है। इसका मतलब ये हुआ कि अगर आज कुल संक्रमितों की संख्या 50 लाख से ज़्यादा है, तो वास्तव में संख्या करीब 50 करोड़ हो सकती है, यानी देश की आधी आबादी अभी तक कोरोना से संक्रमित हो चुकी है। इसका मतलब ये भी है कि देश हर्ड इम्यूनिटी के करीब पहुंच रहा है। 

पश्चिम के देशों में ये देखा गया है कि मामलों में गिरावट होने से पहले कई दिनों तक नए मामलों की संख्या एक जैसी रहती है। यानी भारत में भी अब नए मामलों की संख्या में कमी देखी जा सकेगी और ऐसा तीन महीनों तक रहेगा। जिसके बाद भारत में संक्रमण का एक नया दौर शुरू हो जाएगा। लेकिन कई देशों में मामलों की संख्या में कुछ नई चीज़ें भी देखने को मिल रही हैं।

ब्रिटेन में अप्रैल और मई के महीने में मामले काफी तेज़ी से बढ़े, लेकिन फिर जून, जुलाई और अगस्त में संक्रमण के मामलों में गिरावट देखी गई। हालांकि अब फिर यहां मामले बढ़ रहे हैं।

वहीं, स्पेन में मार्च और अप्रैल में रोज़ाना बड़ी संख्या में मामले सामने आए इसके बाद कूलिंग पीरियड के दौरान गिरावट देखी गई। मई और जून में रोज़ 500 से भी कम मामले देखे गए। यहां भी अब तेज़ी से मामले बढ़ रहे हैं।

फ्रांस की स्थिति भी कुछ अलग नहीं है। यहां पर मार्च-अप्रैल के बीच आंकड़े काफी बढ़े, लेकिन मई, जून और जुलाई में गिरावट देखी गई। हालांकि, यहां भी कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में मामले बढ़ रहे हैं।

इटली में मार्च के आखिर में सबसे ज़्यादा मामले देखे गए थे, हालांकि अप्रैल में इसमें गिरावट आनी शुरू हो गई। फिर जुलाई-अगस्त में रोज़ाना मामले 200 से भी कम आए। यहां भी अब रोज़ाना एक हज़ार से ज़्यादा मामले देखा जा रहे हैं।


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