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Walking Benefits: चुस्त शरीर, निरोगी काया और स्ट्रेस-फ्री जिंदगी के लिए रोज टहलें

Walking Benefits अगर आप रोज व्यायाम नहीं करते तो कम से कम आधा घंटा जरूर चलें। इससे न सिर्फ आपका शरीर चुस्त और एक्टिव रहेगा बल्कि आप तनाव मुक्त होंगे और हेल्दी महसूस करेंगे। चलने से कोलेस्ट्रॉल बीपी डायबिटीज जैसी बीमारियां भी दूर रहेती हैं।

By Jagran NewsEdited By: Ruhee ParvezPublished: Wed, 08 Feb 2023 10:10 AM (IST)Updated: Wed, 08 Feb 2023 10:10 AM (IST)
Walking Benefits: चुस्त शरीर, निरोगी काया और स्ट्रेस-फ्री जिंदगी के लिए रोज टहलें
Walking Benefits: जानें रोज टहलें के क्या फायदे होते हैं

नई दिल्ली। Walking Benefits: इन दिनों गलत खानपान, लगातार बैठे रहने से कई गंभीर बीमारियों को न्योता मिल रहा है, पर साथ ही लोग स्वस्थ रहने की कोशिश भी खूब कर रहे हैं। टहलना इसी का हिस्सा है। आज जैसी आरामपसंद जीवनशैली हो गई है, उसमें हमारे सक्रिय रहने के लिहाज से देखें तो टहलने से बेहतर कुछ नहीं हो सकता। कहते हैं न कि यदि दौड़ न सकें तो चलें। चल न सकें, तो खड़े हो जाएं और खड़े भी नहीं हो पा रहे हैं तो अपने शरीर को बस सक्रिय रखकर स्वास्थ्य लाभ पा सकते हैं। जर्नल आफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के एक शोध के मुताबिक, यदि आप कदमों की एक निश्चित संख्या को सतत बनाए रखते हुए प्रतिदिन टहलते हैं तो डिमेंशिया, कार्डियोवेस्कुलर और कैंसर जैसी बीमारियों से बचाव करने में काफी हद तक सफल हो सकते हैं।

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मेदांता, गुरुग्राम में इंटरनल मेडिसिन की डायरेक्टर डॉ. सुशीला कटारिया का कहना है कि संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए टहलना सबसे अच्छा व्यायाम माना जाता है। आइए जानें इसके लिए किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है, ताकि टहलना अधिक फलदायी बन सके...

तेजी से टहलना रखता है चुस्त

यदि आप सामान्य रूप से टहलते हैं तो इस दौरान आमतौर पर लोग किसी से आराम से बात करते हुए चलते हैं। पर इससे थोड़ा और तेज चलें तो आप बस बात को समझकर हां या ना में जवाब भर दे सकते हैं। वहीं, जब आप इन दोनों तरीके से अलग और तेज चलते हैं तो इसे ब्रिस्क वाक कहते हैं। यह सामान्य गति से चलने और दौड़ने के बीच की स्थिति होती है। तेज गति से टहलना एक शानदार कसरत है। यदि आप हर दिन एक घंटे तक ब्रिस्क वाक करें तो यह हृदय की कार्यप्रणाली को स्वस्थ रखने में मदद करता है। हालांकि जितना लंबा चलें, उतना अच्छा।

तनाव न लें, इसे आनंददायक बनाएं

हर उम्र और वर्ग के लोगों को टहलने के लिए प्रेरित करना चाहिए। पर ऐसा न हो कि आपने टहलना शुरू किया और जब यह किसी कारण वश रुक गया तो आप परेशान हो जाएं। इससे कई लोग टहलना भी छोड़ देते हैं।

गैजेट की मदद से जानना कि कितने कदम चले, कितने घंटे चले, यह सब अच्छा है। यह उत्साह भी ठीक है, लेकिन टहलने को आनंददायक बना लें, तो इससे आपको लाभ अधिक मिलेंगे। यह एक मजेदार चीज है। आप दिन भर खुश और ऊर्जावान महसूस करेंगे। आप इसकी मदद से अपना स्वाथ्य बेहतर कर रहे हैं, इसलिए तनाव के बजाय सहजता से आगे बढ़ें।

हालांकि यह भी नहीं होना चाहिए कि किसी की देखा-देखी टहलने के नियम बना लें। अपनी शारीरिक स्थिति की अनदेखी न करें। यदि आप पूरी तरह स्वस्थ हैं और आपका शरीर इसकी अनुमति देता है, तभी ऐसा करें। अगर टहलने के दौरान कोई खास दिक्कत हो रही है, तो चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।

इन बातों का रखें ध्यान

  • आपके जूते आरामदायक हों। मधुमेह के मरीज हैं, तो संक्रमण का कारण बन सकता है अनफिट जूता।
  • कपड़े मौसम के अनुकूल होने चाहिए।
  • सर्दी में शरीर को अच्छी तरह ढककर चलें। गुनगुनी धूप में टहलें।
  • सुरक्षित और साफ-सुथरे वातावरण में टहलें।
  • टहलते समय अपना पेट बिल्कुल टाइट रखें। कमर सीधी रहे और आगे की ओर न झुकें।
  • खाने के बाद हल्की चहलकदमी करें। इससे पाचन में मदद मिलेगी।
  • उम्र का ध्यान रखें, अपनी क्षमता को जानें।

टहलने से तन मन रहता है चुस्त

  • नींद अच्छी आती है। पाचन तंत्र सही रहता है।
  • मोटापा, मधुमेह, कैंसर, डिमेंशिया आदि से दूर रहने में मदद मिलती है।
  • नाड़ी को नियंत्रित करता है। रक्तचाप को नियंत्रित कर हृदय की कार्यक्षमता में सुधार लाता है।
  • वजन पर नियंत्रण रहता है।
  • सहनशक्ति बढ़ती है। नकारात्मकता दूर होने से खुशी और उत्साह से भरे होते हैं आप।
  • मेनोपाज के कारण महिलाओं में वजन बढ़ने, चिड़चिड़ेपन आदि जैसी समस्या से छुटकारा मिल सकता है।

30 मिनट कम से कम प्रतिदिन चलना चाहिए

  • 10 प्रतिशत तक कम कर देता है हृदय रोग व कैंसर का जोखिम प्रत्येक 2000 कदम।
  • 10,000 कदम प्रतिदिन चलना डिमेंशिया का जोखिम 50 प्रतिशत तक कम कर देता है।
  • 35 प्रतिशत तक मौत के खतरे को कम कर सकते हैं तेजी से टहल कर।
  • 25 प्रतिशत तक कैंसर और हृदय रोग के खतरे को कम कर सकते हैं ब्रिस्क वॉक से।
(जर्नल आफ अमेरिकन मेडिकल असोसिएशन के शोध के अनुसार)

बातचीत : सीमा झा


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